स्वागत है दोस्तों आपका अपने वेबसाइट में, आज के आर्टिकल में हम अहिंसा वाद पर निबंध लेकर आए है, अहिंसा हम सभी मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म होता है, अहिंसा के राह पर चलकर हम कठिन से कठिन कार्य को विनम्रता के साथ बहुत आसानी से कर सकते हैं।
अक्सर देखा होगा आपने स्कूल और कॉलेज में परीक्षाओं में अहिंसा वाद पर निबंध लिखने का प्रश्न दिया जाता है, तो अगर आप अहिंसावाद पर निबंध ढूंढ रहे हैं,
तो जी हां आप बिल्कुल सही जगह पर है, इस आर्टिकल के माध्यम से आप अहिंसावाद पर निबंध लेखन का प्रश्न आसानी से लिख सकते हैं, इनके अलावा निबंध प्रतियोगिता में थी निबंध लेखन कर सकते हैं और अहिंसाके बारे में जानकारियां भी प्राप्त कर सकते हैं।
हम सभी विद्यार्थियों एवं अन्य लोगों को भी अहिंसावाद के बारे में पता होना चाहिए, क्योंकि अहिंसा सभी के कार्य को आसान बना देता है, हम सभी को अपने जीवन में अहिंसा को अपनाना चाहिए।

अहिंसावाद पर निबंध 1
प्रस्तावना:-
अहिंसा की राह पर चलने वाले व्यक्ति को समाज में उचित स्थानदिया जाता है, अहिंसा वाद किसी भी समाज के कल्याण और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, अहिंसा वाद एक ऐसा विचार होता है जो लोगों को आपस में जोड़ने और संगठित रखने का काम करता है, आपस के अहंकार, द्वेष और झगड़े को समाप्त करता है।
हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी अहिंसा के पुजारी थे, हम सभी को अपने विद्यार्थी जीवन में अहिंसा वाद को अपनाना चाहिए, तथा सभी लोगों को भी अहिंसा वाद पर चलने के लिए जागरूक करना चाहिए।
हिंसा मनुष्य के अंदर पशु की भावना का संचार करता है, जिससे व्यक्ति कई बार ऐसे कार्य कर लेता है, जिसका एहसास उसे समय गुजर जाने के बाद होता है और उसके पास पछताने के अलावा कोई राह नहीं बचता।
युवाओं में अहिंसा की भावना:-
मानव जाति के सभी युवाओं में अहिंसा का भावना होना बहुत ही जरूरी होता है, क्योंकि देश के युवा अहिंसा की भावना से देश के लिए कार्य करेंगे तो देश बहुत विकास करेगा, हम सभी व्यक्ति के एक सोच और एक विचार होते है जो समाज और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं,
इससे बुद्धि और विकास में काफी बदलाव होता है, वर्तमान समय में सभी युवा अपनी प्रतिभा और क्षमता से संपन्न है, और नई चीजों को सीखने और ढूंढने में जागरूक होते हैं, परंतु उन्हें चीजों को पूरा करने की जल्दबाजी होती है, मानव ने गणित, विज्ञान, इंजीनियरिंग आदि अन्य क्षेत्रों में बहुत ही प्रगति किया है परंतु हमारे युवा हिंसा और अपराध की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।
हिंसा और अपराध में बढ़ावा:-
शिक्षा की कमी:-
शिक्षा की कमी होने के कारण हम सभी लोग सोचने और समझने की क्षमता खो देते हैं, जिसके कारण लोग हिंसा अपराध कर बैठते हैं, शिक्षा के क्षेत्र में मजबूत होकर युवाओं तथा अन्य व्यक्तियों में अहिंसा को बढ़ावा दिया जा सकता है।
बेरोजगारी:-
अपराध या हिंसा का मुख्य कारण देश में बढ़ता बेरोजगारी है, जिसके कारण युवाओं तथा सभी लोगों को रोजगार ना मिल पाने के कारण युवा वर्ग और अन्य व्यक्ति हिंसा की ओर अग्रसर हो जाते हैं।
असंतोष :-
पहले के लोगों में जैसा संतोष देखने को मिलता था वह आज के दिनों में अर्थात वर्तमान युग में लोगों में देखने को नहीं मिलता है, लोगों में अपने चाहत को प्राप्त करने की लालसा बढ़ती ही जा रही जिसके कारण उनमें असंतोष के भावना पैदा होने लगती है, और लोग हिंसा या अपराध को बढ़ावा देने लगते हैं।
गांधीजी और अहिंसा:-
जब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था, तो उस समय हिंसा गुलामी का प्रमुख कारण था, लोगों में हिंसा बहुत ज्यादा मात्रा में था, परंतु देश को आजाद कराने के लिए भी कोई भी व्यक्ति अहिंसा की राह को नहीं अपना रहे थे।
तब गांधी जी ने सभी लोगों को अहिंसा के महत्व को समझाया और उन्होंने अहिंसा के मार्ग को अपनाकर अपना हथियार बनाया तथा देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवाया।
उपसंहार:-
हमारे देश का विकास तभी हो सकता है जब हम सभी अपने अंदर अहिंसा की भावना को अपनाएंगे, हम सभी के द्वारा अहिंसा को महत्व दिया जाना चाहिए क्योंकि जिस देश में अहिंसा का वातावरण बना रहेगा वह देश हमेशा ही प्रगति की ओर बढ़ेगा,
हम सभी युवा वर्ग अहिंसा को बढ़ावा देना चाहिए तथा बाकी लोगों को भी अहिंसा की भावना को अपनाने के लिए जागरूक करना चाहिए।
सम्बंदित निबंध : –
अहिंसा वाद पर निबंध 2
प्रस्तावना:-
हिंसा मानव जाति का मूलाधार होता है, हमारे देश के कई महान नेताओं ने भी देश को आजाद कराने के लिए सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया था, जैसे महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर एक नया इतिहास रचा था।
अहिंसा की परिभाषा:-
हिंसा का अर्थ होता है हिंसा ना करना, अर्थात अपने मन, वचन से किसी भी व्यक्ति को दुख ना पहुंचाना।
हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था, वे एक अहिंसा वादी थे, उन्होंने हमारे देश को आजाद कराने के लिए अहिंसा और सत्य के मार्ग को अपनाया तथा लोगों को भी अहिंसा के बारे में समझाया, इसी कारण 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
अहिंसावाद कामहत्व:-
दुनिया के सभी लोग चाहते हैं कि देश में शांति व्यवस्था बनी रहे, कोई भी लड़ाई झगड़ा ना करें सभी प्रेम भाव से एक साथ मिलजुल कर जीवन यापन करें, इन सब के लिए अहिंसा के मार्ग पर चलना बहुत ही आवश्यक होता है, क्योंकि अहिंसा के भावना में कोई भी कटुता की भावना नहीं होती है,
यह लोगों के बीच शांत वातावरण लाती है और मन में उत्पन्न क्रोध और हिंसा को समाप्त करती है । अहिंसा विद्यार्थी, युवा और बुजुर्ग सभी के जीवन को बेहतर बनाने का कार्य करती है।
हिंसा के कारण कई प्रकार के क्षति और परेशानियों का सामना करना पड़ता है, अहिंसा देश में सभीलोगों को आपस में जोड़े रखता है तथा एक दूसरे की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। अहिंसा वाद इस संसार में मौजूद सभी प्राणियों के जीवन का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।
अहिंसा से लाभ:-
अहिंसा को जीवन में अपनाने से आपसी प्रेम भाव बढ़ता है, तथा एक दूसरे के प्रति सहयोग की भावना का विकास होता है, इससे लोगों के बीच झगड़े नहीं होता तथा एक दूसरे में अच्छा सामंजस्य भी स्थापित होगा,
अहिंसा के मार्ग को अपनाकर हम खुशहाल तथा तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं, अहिंसा के भावना से हम सभी में प्रेम भावना उत्पन्न होता है और लोगों के प्रति विश्वास तथा सहयोग का विकास होता है, इससे देश की प्रगति भी निरंतर होती है।
एक अहिंसक विद्यार्थी, युवा तथा अन्य लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझ सकते हैं, और अपने कार्यों को शांति तथा तनाव मुक्त परिस्थिति में पूर्ण कर सकते हैं और अहिंसक व्यक्ति केवल अपने परिवार तक सीमित ना रहते हुए समाज और देश के लिए अच्छी सोच रखते हुए देश की विकास के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
उपसंहार:-
हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने अहिंसा और सत्य के मार्ग को अपनाकर हमारे देश को आजाद कराया, इसी तरह हम सभी को भी अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए, क्योंकि इससे हमेशा बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल होती है,
किसी को भी अन्याय और अत्याचार का सामना नहीं करना पड़ता है, और प्रेम, दया आदि का लाभ प्राप्त होता है।हम सभी नागरिकों को हिंसा के मार्ग पर चलकर देश की उन्नति के लिए कार्य करना चाहिए और अपने आपसीभेदभाव को भुलाकर प्रेम तथा सहयोग की भावना से एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहना चाहिए।
एक अहिंसक व्यक्ति जीवन के सभी सफलताओं को प्राप्त कर सकता है, और जीवन में हमेशा खुशी और प्रेम भाव से रह सकता है।
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