भयानक रस (परिभाषा, भेद, उदाहरण) पूरी जानकारी

नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे वेबसाइट में, आज हम आपके लिए भयानक रस ( परिभाषा, भेद, उदाहरण) की पूरी जानकारी लेकर आए हैं। आप आज के आर्टिकल में भयानक रस की परिभाषा, उदाहरण सहित पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।

अगर आपको भयानक रस के बारे में समझना है, तो आप इस आर्टिकल के माध्यम से भयानक रस की परिभाषा और भेद अथवा प्रकार के बारे में जान सकते हैं तथा इन जानकारियों को प्रतियोगी परीक्षाओं और अन्य स्कूल तथा महाविद्यालय के परीक्षाओं के लिए उपयोगी बना सकते हैं।

तो चलिए हम हमारे आज के आर्टिकल लेख को शुरू करते हैं और भयानक रस के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं-

भयानक रस

भयानक रस का स्थाई भाव भय होता है, भयानक रस ऐसी स्थिति में उत्पन्न होता है जब किसी कारणवश भय की स्थिति उत्पन्न होती है। जब किसी व्यक्ति को किसी खतरनाक घटना या भूतकाल के हुए घटनाओं के स्मरण से उत्पन्न व्याकुलता को भयानक रस कहा जा सकता है।

भयानक रस किसी व्यक्ति या वस्तु के भय रहित घटनास्थल या वस्तु को देखने से या सुनने व्यक्ति के मन में उत्पन्न होने वाले व्याकुलता को भयानक रस कहा जा सकता है, क्योंकि जब कोई व्यक्ति किसी खतरनाक वस्तु को देखता है तो उसके अंदर डर की भावना उत्पन्न हो जाती है अर्थात उनमें भय की व्याकुलता आ जाती है, इन्हीं उत्पन्न व्याकुलता को भयानक रस कहा जाता है।

भयानक रस भय या आतंक की भावना से जुड़ा है, इसका उद्देश्य दर्शकों में आतंक या डर की भावना पैदा करना है। भयानक रस को प्रभावी रूप से चित्रित करने और जगाने के लिए कलाकार विभिन्न तकनीकों जैसे नाटकीय अभिव्यक्ति, संगीत, कहानी आदि का उपयोग करते हैं।

भयानक रस की उपस्थिति के कारण भय, डर और आस्था की भावना का विकास होता है। भयानक रस का प्रदर्शन कलाकार और दर्शक के बीच एक अभिनव और आध्यात्मिक अनुभव का संदर्भ बनाता है। भयानक रस नाटक, संगीत और नृत्य तथा अलग-अलग कथाओं जैसे कि भूत प्रेत की कहानियां, डायन, राक्षस या किसी अन्य प्रकार के आतंक के माध्यम से भय को दर्शाता है।

भयानक रस कला की एक महत्वपूर्ण अनुभूति है इसके माध्यम से डर और भय को कलाकारों और दर्शकों के बीच प्रदर्शित किया जाता है। यह अनुभूति कल्पनात्मक कथा और प्राकृतिक दुनिया से प्रभावित क्रियाओं तथा आध्यात्मिक भूत प्रेतों और अन्य रहस्यमय कथाओं को महसूस करने का एक माध्यम है।

भयानक रस का अर्थ

भयानक रस का नाम सुनने से ही ज्ञात होता है कि, यह डर और भय की भावना से जुड़ा हुआ है। भयानक रस डर और भय का अनुभव कराता है अर्थात यह रस भय और डर अनुभव कराने की कला है, इसके माध्यम से कलाकार दर्शकों में भय का अनुभव करा सकते हैं। भयानक रस का प्रदर्शन कलाकार के अभिनय और कला की संयोगिता पर आधारित होती हैं।

संगीत अर्थात नृत्य और नाटक आदि के माध्यम से कलाकार भयानक रस के अनुभव कर सकते हैं तथा इस रस के माध्यम से आश्चर्य का बोध भी होता है अर्थात जब कोई व्यक्ति किसी खतरनाक घटने को देखता है तो वह आश्चर्यचकित हो जाता है और उस समय भी भयानक रस की उत्पत्ति होती है। भयानक रस के प्रदर्शन में कलाकार खतरनाक घटना या डरावने कहानियां, आदि के माध्यम से भयावह भावना को जागृत करने का प्रयास करते हैं।

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भयानक रस की परिभाषा

ऐसी घटनाएं जिसे सुनने या देखने से भय का संचार होना भयानक रस को प्रकट करता है। जब कोई व्यक्ति खतरनाक घटना के बारे में सुनता है तो उसके मन में बुरी बुरी भय की उत्पत्ति होती है और इन्हें ही भयानक रस कहा जाता है।

भय उत्पन्न करने वाले घटना और वस्तुओं का वर्णन भयानक रस कहलाता है। अर्थात ऐसी घटनाएं जो भय को उत्पन्न करती है अथवा ऐसी वस्तुएं जिससे भय की उत्पत्ति हो जाती है, भयानक रस कहलाती है। भयानक रस का स्थाई भाव भय होता है, भय रस की उत्पत्ति की कारण विभिन्न प्रकार की हो सकती है। जैसे कि किसी घटना स्थल के बारे में सुनकर घटना स्मरण से मन में व्याकुलता आना।

“भय की अवस्था में भयानक रस होता है।”इसका स्थाई भाव भय होता है।

उदाहरण

एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृग राय।

विकल बटोही बीच ही , परयों मूरछा खाए ।।

प्रस्तुत लेख में काल के बीच खड़े व्यक्ति का वर्णन है, एक और से अजगर तथा दूसरी ओर शेर के बीच फंस गया है। उसके भय की परिस्थिति को इस पंक्ति में प्रस्तुत किया गया है, इन दोनों के बीच फंसा हुआ व्यक्ति भय से व्याकुल होता है और मूर्छा खाकर वहीं गिर जाता है।

भयानक रस के प्रकार अथवा भेद

भयानक रस के दो भेद बताए गए हैं-

1. स्वनिष्ठ भयानक रस – स्वनिष्ठ भयानक रस वहां होता है जहां पर भय का आलंबन स्वयं के आश्रम में रहता है।

2. परनिष्ठ भयानक रस – परनिष्ठ भयानक रस जहां भय का आलंबन स्वयं के आश्रय में ना रहकर , इससे अलग होता है वहां पर होता है।

अर्थात जिस प्रकार सभी अन्य रसों के कई भेद हैं उस तरह से भयानक रस के विशिष्ट उपप्रकार या विविधताएं नहीं है, यह भारतीय शास्त्रीय प्रदर्शन कला में भय या आतंक की विलक्षण भावना का प्रतिनिधित्व करता है। भयानक रस की अवधारणा को कुछ अन्य रसों की तरह अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित नहीं किया गया है।

भयानक रस प्रदर्शन में भय और आतंक की समग्र अभिव्यक्ति को समाहित करता है, चाहे वह नृत्य या नाटक के माध्यम से हो या फिर संगीत के माध्यम से, भयानक रस की विशेषता आतंक से संबंधित तीव्र भावनाओं का चित्रण है। कलाकार इस भावना को दर्शकों तक पहुंचाने और व्यक्त करने के लिए लोगों के चेहरे के भाव और बॉडी लैंग्वेज तथा विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं।

उदाहरण

तीन बेर खाती थी, वो तीन बेर कहती है।

प्रस्तुत पंक्ति में मुगल की रानियों के भय का वर्णन हुआ है, जो शिवाजी महाराज के भय की भावना से व्याकुल है। अर्थात रानियां इतनी डरी हुई है कि,वे फूल, फल और घास खाने को मजबूर थी।

भयानक रस के अवयव

निश्चित भ – भय

संचारी भाव – ग्लानि, चपलता, शंका, स्मृति, जोश, शोक, मरण,आशा, निराशा आदि।

अनुभाव – हाथ पांव कांपना, भागना,रोमांच, चित्कार, आंखों का विस्तार,शरण, आदि।

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निष्कर्ष

आशा करते हैं दोस्तों आपको भयानक रस से जुड़ा लेख पसंद आएगा तथा आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा। उम्मीद है आप इस लेख को पढ़कर भयानक रस के बारे में समझ सकेंगे और इससे संबंधित जानकारी अन्य लोगों को भी बता सकेंगे।

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