अतिथि देवो भव पर निबंध | Essay on Atithi Devo Bhava in Hindi

हेलो दोस्तों! आज हम आप सभी के लिए अतिथि देवो भव पर निबंध लेकर आए हैं, आप सभी का हमारे वेबसाइट में स्वागत है। आज हम अतिथि देवो भव पर चर्चा करेंगे, और इस निबंध के द्वारा अतिथि देवो भव से जुड़ी सारी जानकारियों के बारे में भी जानेंगे,

यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी है, तथा विद्यार्थियों के अलावा या अन्य लोगों के लिए भी उपयोगी है क्योंकि सभी के घरों में अतिथि आते हैं आप सभी को अतिथि के बारे में पता होगा।

अक्सर सभी के घरों में किसी त्यौहार के उपलक्ष पर अतिथि आते होंगे जिनका मान सम्मान सभी के घरों में आदर पूर्वक किया जाता होगा,यह निबंध लेखन विद्यार्थियों के साथ साथ सभी वर्ग के लोगों के लिए उपयोगी साबित होने वाला है तो चलिए हम इस आर्टिकल के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करते हैं।

अतिथि देवो भव पर निबंध
अतिथि देवो भव पर निबंध

अतिथि देवो भव पर निबंध 1

प्रस्तावना :-

अतिथि देवो भव का अर्थ, मेहमान भगवान समान होते हैं। हम सभी के घरों में अतिथि को भगवान के तुल्य मान सम्मान दिया जाता है, प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मेहमानों को भगवान का रूप माना जाता है। मेहमानों का प्राचीन समय से ही आदर भाव से सम्मान किया जाता है।

अतिथि त्यौहार या बिना किसी प्रयोजन के भी हमारे घरों में आ सकते हैं, जिनका ध्यान रखना और आदर सम्मान करना हम सभी का कर्तव्य है, अतिथियों का आगमन हमारे जीवन में खुशियां लाता है और हमें अतिथियों के बारे में कभी भी हीन भावना नहीं रखना चाहिए।

अतिथियों का हमेशा आदर करना चाहिए तथा उन्हें हमेशा प्यार और सम्मान देना चाहिए, अतिथि उन लोगों को कहा जाता है जिनके आने का कोई निर्धारित समय नहीं होता है वे किसी भी समय बिना किसी उद्देश्य के आ सकते हैं।

अतिथियों का महत्त्व:-

हमारी संस्कृति में अतिथियों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है, हम सभी अतिथियों को देवता के समान मानते हैं अर्थात हम अतिथियों का सम्मान प्रेम भाव के साथ आदर और उनके खाने-पीने आदि सभी चीजों की सुविधा का व्यवस्था करते हैं। मेहमानों को किसी भी प्रकार के निरादर भाव का अनुभव नहीं कराते हैं और हमेशा उन्हें प्रेम और आदर के साथ सम्मानित करते हैं।

अतिथि सन्यासी, ऋषि मुनि, संत आदि किसी भी रूप में हो सकते हैं, हमारे घर, द्वार पर आए सभी व्यक्ति को अतिथि कहा जा सकता है। हमें घर पर आए किसी सभी व्यक्ति का सम्मान सत्कार भावना से करनी चाहिए

अतिथि और आधुनिक युग:-

आधुनिक युग में लोगों के पास समय नहीं होती है, किसी भी व्यक्ति को किसी के पास बैठने ,किसी से बातचीत करने का समय नहीं है, सभी लोग हमारे भारतीय संस्कृति के परंपरा को भूलते जा रहे हैं और अतिथियों को आज के लोग बोझ समझते हैं।

वर्तमान में घर में आए अतिथियों के पास बैठने के लिए लोगों के पास थोड़ा भी समय नहीं होता है जिससे लोग अतिथियों का आदर सम्मान भी नहीं करते हैं।

वर्तमान में शहरों में अतिथियों की सेवा, सम्मान करना सभी लोग भूलते जा रहे है ,परंतु ग्रामीण इलाकों में वर्तमान में भी अतिथियों का सम्मान आदर पूर्वक किया जाता है।

अतिथियों की सेवा :-

अतिथि का आशय मेहमान से होता है, हमारे भारत देश में मेहमानों को भगवान के समान माना जाता है जिसके कारण हमारे भारत देश में सभी लोग मेहमान का भगवान के समान सेवा करते हैं,जो व्यक्ति अतिथि की बिना किसी स्वार्थ भाव से सेवा करता है उस व्यक्ति को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

हमारे भारत देश में अतिथियों का सम्मान प्राचीन समय से सभी लोग करते आ रहे हैं और वर्तमान में भी अतिथियों का सम्मान आदर , तथा सेवा किया जाता है।

हमारे भारत देश में अतिथियों की सेवा को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है जिसके कारण अतिथियों की सेवा को भगवान के समान दर्जा दिया जाता है।

हम सभी को हमारे घर पर आए अतिथियों का सम्मान अच्छे व्यवहार के साथ करना चाहिए, अतिथियों की सेवा भगवान के रूप में करने से हमें लोगों का दुआ प्राप्त होता है जिससे हमारा जीवन सफल होता है अर्थात दिल से दिया हुआ दुआ और आशीर्वाद से हमारा जीवन हमेशा ही सफल होता है।

हमारा भारत देश एक ऐसा देश है जो अपने शत्रुओं को भी गले लगाकर उनका सम्मान करता है, हमारे घर के दरवाजे के सामने आए हुए सभी लोग हमारे अतिथि होते हैं चाहे वह भीख मांगने ही क्यों ना आया हो उसे भी हमें अतिथि के समान मानना चाहिए।

उपसंहार:-

हमारे भारतीय संस्कृति में अतिथि को भगवान के तुल्य माना जाता है, इस कारण अतिथि को कभी भी अपने घर से खाली हाथ ना भेजें, अतिथि हमारे घर में खुशियां लेकर आते हैं और हम सभी को अतिथियों का सत्कार भावना से आदर करना चाहिए तथा कभी भी अतिथियों का निरादर नहीं करना चाहिए क्योंकि अतिथि भगवान के समान पूजनीय होते हैं।

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अतिथि देवो भव पर निबंध 2

प्रस्तावना:-

अतिथियों का आदर करना हम सभी का धर्म है, हमारे देश में आने वाले सभी व्यक्ति और घर द्वार में पधारने वाले हर एक इंसान को अतिथि के समान आदर पूर्वक उसका सम्मान किया जाता है। हम सभी भारत में स्नेह और प्रेम के साथ अतिथियों का बिना किसी स्वार्थ भाव के स्वागत करते हैं।

हमारे भारतीय संस्कृति ने हमें अतिथियों का सम्मान करना सिखाया है, तथा हमारे घर में आए हुए अतिथियों को कई प्रकार के पकवान बनाकर खिलाए जाते हैं । मेहमानों का पूरे मन से ख्याल रखा जाता है और उन्हें उपहार स्वरूप कुछ पैसे आदि के साथ विदा किया जाता है।

अतिथि :-

हम अतिथियों को मेहमान के नाम से भी जानते हैं, हमारे समाज में अतिथियों को भगवान के समान माना जाता है। हमारे संस्कृति में अतिथियों का सम्मान करना प्राचीन समय से ही चला आ रहा है।

भगवान श्री कृष्ण ने भी अपने मित्र सुदामा का अतिथि के रूप में पूरे सत्कार भाव से स्वागत किया था, उसी प्रकार हमारे संस्कृति में भी अतिथियों का स्वागत किया जाता है।

अतिथि देवो भव :-

अतिथि हम‌ सभी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते है जिसमें अतिथि का आशय मेहमान से है और देवो भव का अर्थ है देव के समान अर्थात अतिथियों को देवता के समान माना जाता है।

प्राचीन समय से ही मेहमानों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, प्राचीन समय में भी जब कोई व्यक्ति किसी के घर में आता था तो उसे पूरे सम्मान के साथ भोजन कराया जाता था और उसके रहने के लिए भी उचित व्यवस्था की जाती थी।

हमें हमारे घर द्वार पर आए हुए अतिथियों का सम्मान करना चाहिए, अतिथि के रूप में हमारे रिश्तेदार, पड़ोसी, दोस्त कोई भी हो सकते हैं हमें इन सभी का सम्मान आदर पूर्वक करना चाहिए। वर्तमान समय में कुछ लोग अतिथियों का बहाना बनाकर हमारे घर में घुसकर हमें नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

हमें ऐसे लोगों से बचना चाहिए घर में आए अतिथि को पहचान करके ही उन्हें अपने घर में प्रवेश करने को कहना चाहिए।

कुछ अतिथि कुछ दिन रहने के लिए भी हमारे घर में आते हैं और जिसके कारण अतिथि कुछ लोगों को बुरे लगने लगते हैं हमें इन सभी भावना को दूर करना चाहिए और अतिथियों को भगवान के समान समझकर उनका मान सम्मान करना चाहिए तथा उनकी सेवा निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए।

उपसंहार:-

हम सभी को पढ़ाई के साथ-साथ अपने भारतीय संस्कृति के बारे में भी सीख लेना चाहिए और अपने घर में आने वाले मेहमानों का आदर करना चाहिए, तभी हम अपने जीवन में सफल हो सकते हैं। अतिथियों के सम्मान के साथ साथ अपने बड़ों का भी आदर करना चाहिए जिससे उनके आशीर्वाद से हमारे सभी कार्य सफलताओं को प्राप्त कर सके।

अतिथि और हमारे घर के बड़े लोग हमें हमेशा एक अच्छा मार्गदर्शन देते हैं जिसके कारण हम सफल नागरिक बनते हैं, हमें सभी बुजुर्गों और अपने बड़े लोगों तथा छोटो का भी आदर करना चाहिए और अतिथियों का भगवान के समान आदर पूर्वक अपने घरों में स्वागत करना चाहिए।

निष्कर्ष –

आशा करते हैं दोस्तों आप सभी को अतिथि देवो भव पर निबंध पसंद आया होगा, तथा यह निबंध आप सभी के लिए उपयोगी और महत्वपूर्ण साबित हुआ होगा जिसके माध्यम से आप सभी अतिथियों का सम्मान करना सीख सकते हैं।

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