नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे वेबसाइट में, आज के लेख में हम आपके लिए लोहार पर निबंध लेकर आए हैं, यह लेख आपको लोहार के बारे में सारी जानकारियां देगा, जो विद्यार्थियों के परीक्षा के लिए भी उपयोगी हो सकता है।
लोहार जाति समुदाय के लोग अनुसूचित जाति के बारे में आते हैं जो हमें विभिन्न प्रकार के वस्तुओं को बनाकर उपलब्ध कराते हैं हम लोहार से विभिन्न प्रकार के लोहे और स्टील के वस्तुओं को बनवाते हैं, इस आर्टिकल के जरिए आपको लोहार से जुड़ी सभी जानकारियां प्राप्त होगी, तो चलिए हम हमारे आज के लेख को शुरू करते हैं-
लोहार पर निबंध
प्रस्तावना
लोहार एक जाति समुदाय के लोग होते हैं जो अनुसूचित जाति वर्ग में आते हैं, लोहार जाति समुदाय के लोग अपने जीवन यापन करने के लिए लोहे से विभिन्न प्रकार के वस्तु बनाते हैं, लोहार एक पिछड़ा जाति का वर्ग समुदाय होता है, इस समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति लोहे से संबंधित विभिन्न प्रकार के वस्तुओं को बनाते हैं।
लोहार जाति समुदाय के लोग अपने जीवन यापन करने के लिए लोहे की वस्तुओं का निर्माण करते हैं, अर्थात लोहार जाति समुदाय के लोग हमारे द्वारा दिए जाने वाले लोहे विभिन्न प्रकार से आकार देकर हथौड़े और कई वस्तुएं बनाते हैं। आप सभी ने अपने गांव में अक्सर लोहार जाति के समुदायों के द्वारा लोहे के वस्तुओं को बनाते हुए देखा होगा।
लोहार दो प्रकार के होते हैं, एक प्रकार के लोहार वे होते हैं जो गाड़ी पर अपना सारा सामान लादकर एक गांव से दूसरे गांव तक घूमते रहते हैं अर्थात जो लोहे को खरीदते हैं, और किसी गांव में रुकते भी हैं तथा लगभग 10 से 15 दिनों तक रुककर काम करते हैं और कुछ दिनों के बाद दूसरे गांव में चले जाते हैं इस प्रकार के लोहार को गाड़िया लोहार कहते हैं।
दूसरे प्रकार के लोहार अपने गांव में ही स्थाई रूप से कार्य करते हैं, अर्थात अपने गांव में रहकर विभिन्न प्रकार के लोहे के वस्तुओं को बनाते हैं, और इन लोहारों को मालवीय लोहार कहा जाता है। लोहार समुदाय जाति के लोगों के द्वारा भी धार्मिक कानून को माना जाता है।
लोहार समुदाय जाति के लोगों के कई प्रकार के पाबंद और सख्त कानून बनाए गए हैं जिनका पालन करना लोहार जाति समुदाय के लोगों के लिए बहुत आवश्यक होता है, लोहार जाति समुदाय में महिलाओं के द्वारा कमर में काला धागा बांधा जाता है यह महिलाओं के लिए सख्त कानून है।
लोहार जाति के लोगों के लिए एक ऐसा कानून बनाया गया है जिसमें लोहार जाति वर्ग का व्यक्ति किसी भी अन्य जाति से विवाह नहीं कर सकता है, तथा इस समुदाय के लोग कुवे से पानी नहीं भर सकते हैं।
आप सभी को पता होगा ही कि कोई भी व्यक्ति अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रकार के कार्य करता है, कई व्यक्ति अपने वंशज व्यवसाय को बढ़ाने में रुचि रखते हैं और कई लोग अपना अलग व्यवसाय चलाना पसंद करते हैं। सुनार जाति में अधिकतर लोग अपने वंशज व्यवसाय को अपनाते हैं, तथा लोहार भी एक ऐसा ही जाति समुदाय होता है जो अपने वंशज व्यवसाय को अपनाता है।
लोहार समुदाय के लोग लोहे, स्टील इत्यादि के वस्तुओं को निर्मित करते हैं और अपने पूरे जीवन भर इन्हीं सभी कार्यों को करते हैं जिसके लिए लोहार जाति के लोगों को बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है और लोहे को पिघलाने में बहुत मेहनत भी रखता है तथा लोहार जाति के लोगों का जीवन पूरी तरह से धर्म से परिपूर्ण रहता है।
हमारे भारत देश में लोहार समुदाय के कई लोग जीवन व्यतीत करते हैं ग्रामीण क्षेत्रों में लोहार अधिकतर मात्रा में निवास करते हैं, और लोहार समुदाय का मुख्य व्यवसाय लोहे की वस्तुओं को बनाना होता है और लोहा समुदाय के द्वारा उनके पुश्तैनी व्यवसाय को आगे बढ़ाया जाता है।
लोहार के द्वारा कृषि कार्य के लिए कृषि औजार बनाया जाता है, तथा हथौड़े, छेनी और अन्य विभिन्न प्रकार के उपकरण बनाए जाते हैं, तथा उनके द्वारा लोहे के बर्तनों को भी बनाया जाता है और इन्हें अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया है तथा पुराने समय में लोहार समुदाय को शुद्र वर्ण का माना जाता था।
गाड़िया लोहार का जीवन यापन
गाड़िया लोहार का जीवन यापन गाड़ी पर निर्भर होता है, इस प्रकार के लोहार जन्म से लेकर मृत्यु तक अपना सारा सफर गाड़ी के माध्यम से करते हैं अर्थात एक गांव से दूसरे गांव में अपने जीवन यापन के लिए कार्य करते हैं तथा कुछ दिनों के बाद अपना सारा सामान गाड़ी में लादकर दूसरे गांव में चले जाते हैं।
गाड़िया लोहार समुदाय का कोई भी अपना घर नहीं होता है अर्थात अस्थाई घर नहीं होता है इतिहास के अनुसार ज्ञात होता है कि पुराने समय में लोहार समुदाय के व्यक्ति राजपूत हुआ करते थे । लोहार को राणा प्रताप का मुख्य सहयोगी माना जाता था, और प्राचीन समय में लोहार समुदाय के लोग राजपूत लोगों के लिए हथियार बनाने का कार्य करते थे।
युद्ध के लिए हथियार तैयार करने के लिए जोहार समुदाय को कार्य दिया जाता था और लोहार समुदाय के द्वारा राजपूतों के लिए युद्ध के हथियार तैयार किए जाते थे।
लोहार समुदाय का कार्य
लोहार समुदाय जाति के व्यक्ति के द्वारा लोहे और स्टील से संबंधित संपूर्ण प्रकार के वस्तुओं को बनाने का कार्य किया जाता है, और लोहार समुदाय के लोग लोहे तथा स्टील का विभिन्न उपकरण तैयार करते हैं तथा हथियार भी बनाते हैं । लोहार समुदाय के लोगों के द्वारा कृषि कार्य के लिए हथियार भी तैयार किया जाता है जिससे किसान अपने खेतों में खेती करते हैं।
कृषि कार्य के लिए विभिन्न प्रकार के हथियार की आवश्यकता होती है और यह सभी हथियार लोहार को बनाने आते हैं इसलिए इन सभी हथियारों को किसान के द्वारा लोहार से बनवाया जाता है, तथा इनके अलावा लोहार के द्वारा कई बर्तन भी बनाए जाते हैं और इन सभी उपकरणों को लोहे को गर्म करके बनाया जाता है।
लोहार समुदाय का पहनावा
लोहार जाति के सदस्यों के लिए विभिन्न प्रकार के रीती रिवाज बनाए गए हैं, और लोहार की संस्कृति में बनाए गए कानून बहुत कठोर है जिनका पालन करना बहुत आवश्यक होता है। लोहार समुदाय के सभी लोगों के द्वारा एक ही भाषा बोला जाता है क्योंकि उनके लिए केवल एक ही भाषा होता है इस समुदाय के लोगों के लिए विशिष्ट प्रकार के आभूषण बनाए जाते।
महिलाओं के द्वारा हाथ में कांच या तांबे का चूड़ी पहना जाता है, और नाक में नथ पहनी जाती है, और इसके साथ ही लोहार जाति के महिलाओं के द्वारा गले में लोहे का कड़ा पहना जाता है। लोहार जाति की महिलाएं कमर में काला धागा बांधी रहती हैं, और अपने बाल का कई छोटी-छोटी चोटी बांधी रहती हैं।
लोहार समुदाय में विभिन्न प्रकार के कानून बनाए गए हैं जिसके अंतर्गत, लोहार समुदाय के द्वारा पक्के के घर में रहना धर्म के खिलाफ माना जाता है, तथा इस समुदाय के लोगों के द्वारा घर में कोई भी दीपक नहीं जलाया जाता है।
भारत में लोहार जाति की स्थिति
भारत देश में लोहार प्रजाति के लोग कई क्षेत्रों में निवास करते हैं और लगभग सभी राज्यों में रहते हैं जो अपना कार्य बहुत मेहनत और ईमानदारी से करते हैं। लोहार जाति के लोग अपनी मेहनत के दम पर लोहे को पिघलाकर लोहे का विभिन्न प्रकार से समान बनाया जाता है।
लोहार के द्वारा विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को बनाकर बाजार में बेचा जाता है और इस समुदाय के लोग अपने सामान को भेज कर अपना जीवन यापन करते हैं।
उपसंहार
लोहार समुदाय के लोग हमारे लिए विभिन्न प्रकार के वस्तु बनाते हैं, हमें जब भी कृषि कार्य के लिए या किसी अन्य कार्य के लिए किसी लोहे की वस्तु की आवश्यकता पड़ती है तो हम लोहार के पास जाते हैं उसे अपने अनुसार बनवाने के लिए, लोहार प्रजाति के लोगों का जीवन बहुत चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि इन्हें अपना जीवन यापन करने के लिए बहुत मेहनत करना पड़ता है।
लोहार प्रजाति के लोग इस बात को आग में पिघलाकर विभिन्न तरह की वस्तु बनाते हैं और लोहे को पिघलाकर हथौड़ी, कुल्हाड़ी, धान और गेहूं काटने का हसिया, सब्जी काटने का हसिया, चाकू और युद्ध के लिए तलवार आदि हथियार बनाते हैं।
लोहार लोहे को अपने अनुसार आकार दे सकता है लोहे की वस्तुओं को विभिन्न प्रकार के आकार देने में लोहार का महत्वपूर्ण भूमिका होता है, इसके लिए लोहार को बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है और बहुत ताकत की भी आवश्यकता होती है।
लोहार जाति के लोग बहुत साहसी और मेहनती इंसान होते हैं, जो अपनी भुजाओं की ताकत से कठोर से कठोर लोहे को पिलाकर लोहे का कई तरह से वस्तु बनाते हैं, और लोहे से बना हुआ वस्तु हमारे कई कार्य में सहायक होता है।
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निष्कर्ष –
उम्मीद करते हैं दोस्तों आपको हमारे द्वारा लोहार पर निबंध के माध्यम से दी गई जानकारी पसंद आएगी, और आपके लिए मददगार भी साबित होगी।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
लोहार कितने प्रकार के होते हैं?
लोहार दो प्रकार के होते हैं, गाड़िया लोहार और मालवीय लोहार, गाड़िया लोहार अपना सारा सामान एक गाड़ी में लादकर एक गांव से दूसरे गांव में जाकर कार्य करते हैं, तथा मालवीय लोहार अपने स्थाई गांव में रहकर कार्य करते हैं।
लोहार को कौन से जाति में शामिल किया गया है ?
लोहार समुदाय के लोगों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया है, पहले प्राचीन समय में लोहारों को राजपूत समुदाय में गिना जाता था।
लोहार किसे कहा जाता है?
लोहार उस व्यक्ति को कहा जाता है जो लोहे, या इस्पात का उपयोग करके विभिन्न प्रकार के वस्तुओं को बनाता है, जैसे कृषि कार्य के हथियार, युद्ध के हथियार, हथौड़ी आदि वस्तुएं लोहार के द्वारा तैयार की जाती है।
लोहार वंश के संस्थापक कौन थे?
लोहार वंश के संस्थापक राजा संग्राम राज थे उन्होंने अपनी मंत्री तुंग को भटिंडा के साहिल शासक त्रिलोचन पाल की ओर से महमूद गजनवी से लड़ने के लिए भेजा था परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अमृत यादव है और पेशे से मैं एक ब्लॉगर और लेखक हूं, जो लेख आप अभी पढ़ रहे हैं वह मेरे द्वारा लिखा गया है, मैं अभी बीकॉम फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा हूं।