चंद्रयान 2 पर निबंध | Essay on Chandrayaan 2 in Hindi

नमस्कार दोस्तों! आज के लेख में हम chandrayaan-2 , चंद्रयान 2 पर निबंध पर चर्चा करेंगे और चंद्रयान के बारे में जानेंगे, यह निबंध सभी विद्यार्थियों के लिए परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत उपयोगी है।

चंद्रयान 2 पर लिखा हुआ यह निबंध के माध्यम से आप सभी विद्यार्थी अपने स्कूल या कॉलेज में दिए जाने वाले प्रोजेक्ट वर्क के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं तथा आपको हमारे इस वेबसाइट में विभिन्न प्रकार के निबंध मिल जाएंगे जिन्हें आप पढ़कर आसानी से निबंध लिख सकेंगे।

चंद्रयान 2 पर निबंध 1

प्रस्तावना

हमारा भारत देश अंतरिक्ष विज्ञान में बहुत तरक्की कर रहा है तथा अंतरिक्ष में तरक्की करने के लिए निरंतर अनुसंधान और नई तकनीक योगा खोज कर रहा है। हमारे भारत देश की अंतरिक्ष एजेंसी विदेशों के साथ मिलकर अच्छे कार्य कर रहे हैं तथा रूस, और अन्य शक्तिशाली देशों को टक्कर दे रहे हैं।

चंद्रयान 1(chandrayaan-1) में विदेशी तकनीकों के माध्यम से सफलता प्राप्त किया गया था परंतु चंद्रयान 2 ( chandrayaan-2) को पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीकों द्वारा तैयार किया गया था और इस अभियान यानी चंद्रयान 1 (chandrayaan-1) के बाद भारत का दूसरा महत्वपूर्ण चंद्र अन्वेषण अभियान था।

इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के द्वारा विकसित किया गया था, तथा इस अभियान का शुरुआत 2019 में हुआ था और यह चंद्रयान 1 के अनुसार ही बनाया गया था परंतु इसको बनाने के लिए पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था और इस मिशन को इसरो के चेयरमैन” मिस्टर के सिवन” इनके द्वारा संचालित किया गया था।

वर्तमान में भारत के द्वारा किए गए कार्यों के अनुसार चंद्रयान-1 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण भारत में चांद पर झंडा लहराया था परंतु चंद्रयान-2 को बनाने का उद्देश्य दूसरा था।

चंद्रयान 2 को इस प्रकार से डिजाइन किया गया था कि इससे लैंड करने के लिए बहुत कम समय लगा जिसके कारण यह भारत की शक्ति का प्रदर्शन था और इसे पूरी दुनिया में देखा गया।

चंद्रयान 2 की शुरुआत

चंद्रयान 2 अभियान का शुरुआत भारत के अंतरिक्ष एजेंसियों के द्वारा किया गया था जिसका नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन या इसरो है। चंद्रयान 2 का जीएसएलवी संस्करण प्रक्षेपण यान के द्वारा संचालित किया गया था।

इसरो के चेयरमैन श्री के सिवन इस अभियान के अध्यक्ष थे और भारत में चंद्रयान 2 को 22 जुलाई 2019 को हरी कोटा से भारतीय समय के अनुसार 2:45 के दोपहर में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था।

चंद्रयान 2 को लैंडर और रोवर चंद्रमा पर लगभग 70 डिग्री दक्षिण के अक्षांश पर एक उच्च मैदान पर उतारने का प्रयास किया गया था, जिस समय श्रीहरिकोटा में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी उपस्थित थे।

चंद्रयान का शुरुआत 18 सितंबर 2008 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में की गई थी उस समय इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वीकृति प्रदान की थी तथा बाद में 2009 में चंद्रयान 2 के कार्यक्रम के अनुसार पेलोड को अंतिम रूप दिया गया।

2013 में इस अभियान को स्थगित कर दिया गया परंतु सन 2016 में इस अभियान को फिर से निर्धारित किया गया, चंद्रयान 2 में लैंडर की आवश्यकता होती है उसे बनाने का कार्य गोश्त के द्वारा किया जा रहा था और रूस समय पर विकसित नहीं कर पाया जिसके कारण बाद में भारत में स्वदेशी तकनीकी से लैंडर विकसित किया गया और स्वतंत्र रूप से इस अभियान को लागू किया गया।

चंद्रयान 2 की विशेषता

इस अभियान के माध्यम से चंद्रयान 2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक सॉफ्ट लैंडिंग का संचालन करने का मौका प्राप्त हुआ था और यहां भारतीय अंतरिक्ष एजेंसियों को पहला मौका मिला था जिसके अनुसार सॉफ्ट लैंडिंग की जानी थी।

चंद्रयान 2 पूर्ण रूप से घरेलू तथा स्वदेशी तकनीकों के माध्यम से बनाया गया था जो अपने आप में एक अलग पहचान रखता है तथा यह भारत का पहला मिशन था जो घरेलू तकनीकी के माध्यम से चंद्रमा पर होने वाले हलचलों और अन्य गतिविधियों के बारे में पता लगाने का प्रमुख तकनीक था।

यह बहुत महत्वपूर्ण विषय था जो भारत की दुनिया का एक ऐसा देश बनने वाला था जिसने चांद की सतह पर लैंडिंग की थी। चंद्रयान 2 मिशन के कारन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसियों के बारे तथा में भारत के वैज्ञानिकों के ज्ञान के बारे में दुनिया के संपूर्ण लोग अच्छे से जानते थे कि भारत प्रत्येक क्षेत्र में आगे हैं।

उपसंहार

चंद्रयान 2 भले ही विफल हो गया परंतु भारत उन सभी देशों में से एक देश बन गया है जिसमें चंद्रयान 2 को बनाया है और इसमें लगभग 95% तक सफल रहा है। इस चंद्रयान को उस क्षेत्र में उतारा गया है जहां कोई भी देश नहीं पहुंच पाया है।

इसरो को सौंपी गई एक विफलता विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार इस मिशन में एक सॉफ्टवेयर गड़बड़ दुर्घटना के कारण बनी थी, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के इतिहास में चंद्रयान 2 इसरो के द्वारा किया गया अब तक का सबसे जटिल मिशन था।

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प्रस्तावना

चंद्रयान 2 एक भारतीय चंद्र मिशन है और इस मिशन को भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के द्वारा बनाया गया था, इसमें एक रोवर को इसरो के द्वारा चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव के बारे में जानकारी लेने के लिए विकसित किया गया था।

चंद्रयान 2 के मिशन में अंतरिक्ष यान का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य चंद्र सतह पर एक रोवर उतारना था जो चंद्रमा पर हो रहे गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्रित कर सकता था। चंद्रयान 2 की सफलता भारत देश के लाखों सपनों को अंतरिक्ष में ले जाती है।

चंद्रयान 2 का उद्देश्य

चंद्रयान 2 का उद्देश्य हमें चांद के बारे में जानकारी देना था, प्रौद्योगिकी की उन्नति और भविष्य में बनने वाले वैज्ञानिक तथा खोजकर्ता को प्रेरित करना और विश्वव्यापी गठबंधन को बढ़ावा देना आदि प्रमुख उद्देश्य थे।

चंद्रयान 2 बहुत कठिन और जटिल मिशन था इस इसरो के चंद्रयान 2 मिशन का प्रारंभिक उद्देश्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करके उसके सतह पर रोबोटिक रोवर को संचालित करना था, इस मिशन को 20 अगस्त 2019 को चंद्रमा पर कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था।

चंद्रयान 2 के विफलता के कारण

चंद्रयान 2 को बनाने में अमेरिका लगभग 26 बार तथा रोज 14 बार और सफल हो चुका है, भारत में जुलाई 2019 में चंद्रयान 2 को रवाना किया था और 7 सितंबर को इस मिशन में चांद के पर उतरने के पहले ही 2 किलोमीटर की दूरी पर लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया था।

चंद्रयान 2 का आर्बिट आज भी चंद्रमा की कक्षा में ही मौजूद है, जिसके कारण हम कह सकते हैं कि चंद्रयान 2 95% सफल रहा है।

चंद्रयान 2 से भारत को लाभ

चंद्रयान 2 मिशन के कारण भारत का नाम अंतरिक्ष विज्ञान में पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है, भारत के अंतरिक्ष विज्ञान को अमेरिका, दोष जैसे शक्तिशाली देशों पर यह घर रहना पड़ता था परंतु वर्तमान में अपने तकनीकों के माध्यम से अनुसंधान को आगे बढ़ाया जा रहा है।

इस चंद्रयान में बनाए गए शक्तिशाली रॉकेट पेलोड छोड़ने की क्षमता दुनिया भर में पता चली तथा भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थानों के द्वारा सन 2022 में गगनयान मिशन का रास्ता साफ हुआ।

चंद्रयान 2 बनाने का कारण

दुनिया भर के देशों के द्वारा चंद्रयान बनाने की बहुत कोशिश की गई परंतु आज तक 4 देशों के द्वारा ही सफलता हासिल की गई है जिसमें हमारा भारत देश भी चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 के तहत शामिल है, अन्य देशों के द्वारा सफलता हासिल करने के तर्ज पर ही भारत देश के द्वारा चंद्रयान 2 को बनाया गया था, चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 को बनाने का उद्देश्य अलग अलग था।

उपसंहार

हमारा भारत देश अंतरिक्ष विज्ञान में काफी तरक्की कर रहा है जिसके लिए अनुसंधान केंद्रों के द्वारा निरंतर प्रयास किया जा रहा है, चंद्रयान 1 में विदेशी तकनीकों के माध्यम से सफलता प्राप्त की गई थी और चंद्रयान 2 को पूर्ण तथा स्वदेशी तकनीकों के द्वारा तैयार किया गया था।

यह अभियान चंद्रयान 1 के बाद भारत का दूसरा महत्वपूर्ण चंद्र अन्वेषण अभियान था, जिसको भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के द्वारा विकसित किया गया था। चंद्रयान बनाने का कारण चंद्रमा में उपस्थित मिट्टी के बारे में पता लगाया जा सके तथा चंद्रमा की सतह में उपस्थित रीता में मौजूद पोषक तत्व जो पौधों की वृद्धि में आवश्यक होते हैं।

इन सभी गतिविधियों को पता करने के लिए चंद्रयान अभियान को बनाया गया था, तथा चंद्रयान अभियान का शुरुआत चंद्रमा की सतह में मौजूद तत्वों के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी किया गया था।

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निष्कर्ष-

उम्मीद है दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया आज का निबंध चंद्रयान 2 पर आप सभी को पसंद आएगा और यह निबंध लेखन सभी स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होगा।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

चंद्रयान 2 को बनाने का उद्देश्य क्या था?

चंद्रयान 2 का उद्देश्य चंद्रमा की सतह कितनी कठोर है तथा कितनी नरम है, और वैज्ञानिकों के अध्ययन के लिए वहां की मिट्टी तथा चट्टानों के नमूनों को एकत्रित करने के उद्देश्य से बनाया गया था।

चंद्रयान 2 की विशेषता क्या है?

चंद्रयान 2 अभियान के जरिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक सॉफ्ट लैंडिंग का संचालन करने का पहला अवसर प्राप्त हुआ था।

चंद्रयान 2 किस तकनीक के माध्यम से बनाया गया था ?

चंद्रयान 2 पूर्णता घरेलू तथा स्वदेशी तकनीकों के माध्यम से बनाया गया था, जो अपने आप में एक अलग पहचान रखता है।

चंद्रयान की शुरुआत कब की गई थी ?

चंद्रयान की शुरुआत 18 सितंबर 2008 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में की गई थी और बाद में 2009 में चंद्रयान 2 के कार्यक्रम के अनुसार पेलोड को अंतिम रूप दिया गया।

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