स्वागत है दोस्तों आपका अपने वेबसाइट में, आज के आर्टिकल में हम शतरंज पर निबंध हिंदी में लेकर आए हैं, आपने अक्सर देखा होगा कि हमारे स्कूल ,कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता या परीक्षा में शतरंज पर निबंध लेखन का प्रश्न आ जाता है, तो हमारे इस आर्टिकल के माध्यम से आप आसानी से निबंध लेखन कर सकते हैं।
शतरंज घर में बैठकर खेला जाने वाला खेल होता है, जिसे बड़े बड़े बिजनेसमैन भी खेलना पसंद करते हैं, यह खेल हमारे मस्तिष्क को एकाग्र करता है । आज के आर्टिकल में हम शतरंज के बारे में विस्तार पूर्वक निबंध लेखन लेकर आए हैं, इसके माध्यम से आप परीक्षा में आए निबंध के प्रश्न को आसानी से लिख सकते हैं, तथा निबंध प्रतियोगिता में भाग लेकर भी शतरंज पर अच्छी लेख लिख सकते हैं।
शतरंज पर निबंध 1
प्रस्तावना:-
शतरंज एक प्राचीन खेल है, यह घर के अंदर खेला जाने वाला खेल है यह चौकोर लकड़ी के तख्ते पर खेला जाता है, इस खेल को एक बार में दो खिलाड़ी खेल सकते हैं। तख्ते पर काले और सफेद रंग के 64 खाने बने होते हैं, दोनों खिलाड़ियों के पास समान संख्या में एक राजा, एक वजीर,दो ऊंट ,दो घोड़े,दो हाथी, और आठ सैनिक होते हैं, जो सफेद और काले रंग के होते हैं।
शतरंज दिमाग से खेला जाने वाला खेल होता है, इस खेल का मुख्य लक्ष्य शह और मातदेना होता है इस खेल की प्रतियोगिता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होती है। शतरंज को चेस भी कहा जाता है, यह एक पुराना खेल है जिसे चेस बोर्ड में दो लोगों के द्वारा खेला जाता है। शतरंज को समझने के लिए अभ्यास की जरूरत होती है, यह दिमाग का खेल होता है इसलिए इसे खेलने से मानसिक व्यायाम होता है।
यह खेल एक इंडोर गेम है अर्थात घर के अंदर खेला जाने वाला गेम है, इसे खेलने के लिए कोई उम्र सीमा नहीं होती है परंतु एक समझदार व्यक्ति ही इस खेल को खेल सकता है।
इस खेल में ढेर सारे मोहरे होते हैं जैसे- हाथी, घोड़े,ऊंट आदि इन सभी के चालें भी पूर्व निर्धारित होती है। जैसे –
राजा :-यह शतरंज खेल का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है, और यह किसी भी दिशा में केवल एक कदम चलता है।
घोड़ा:-घोड़ा किसी भी दिशा में ढ़ाई कदम चलता है।
ऊंट :-यह हमेशा तिरछा चलता है, चाहे वह दिशा कोई भी हो।
सिपाही:-यह सदैव आगे की ओर चलता है, कभी पीछे नहीं हटता और सामान्यत यह एक कदम सीधा चलता है परंतु परिस्थिति के अनुसार इसके चाल में परिवर्तन आ जाता है। जैसे ही किसी को काटना हो तो तिरछा भी चल सकता है।
रानी/वजीर:-स्थान खाली होने पर यह किसी भी दिशा में चल सकता है।
हाथी :-यह हमेशा सीधा दिशा में चलता है।
शतरंज के प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी बारीचलने का मौका बारी बारी से दिया जाता है।
अन्य पासों वाले खेलों में हार जीत पूरी तरह से किस्मत पर निर्भर होती है, परंतु शतरंज में हार जीत खेलने वाले व्यक्ति की बुद्धि पर निर्भर करता है। इस खेल को खेलने के लिए दिमाग का इस्तेमाल किया जाता है, शतरंज एक प्राचीन खेल है जिसकी उत्पत्ति हमारे देश भारत में ही हुई थी।
शतरंज का प्रारंभिक नाम चतुरंग था, जिसका उल्लेख हर्ष चरित्र नामक पुस्तक में मिलता है, वर्तमान में यह खेल पूरे विश्व में खेला जाता है और इस खेल की प्रतियोगिता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होती है। शतरंज खेल की प्रतियोगिता में भारत कई बार विश्व विजेता रह चुका है।
शतरंज का इतिहास:-
पुराने जमाने में शतरंज को राजा महाराजाओं द्वारा ही खेला जाता था, शतरंज को अंग्रेजी में चेस कहा जाता है, यह अंग्रेजी शब्द के पार्सियल भाषा के शाह से निकला है अर्थात शाह का अर्थ होता है राजा, और राजा को ही बादशाह कहा जाता है ।
शतरंज भारत में लगभग छठी सदी में शुरू हुआ था, यह गेम पूरे एशिया में खेला जाता था और बाद में यूरोप में 900 के आस-पास फैल गया, लोग इस खेल को अपने दिमाग को और तेज करने के लिए काफी ज्यादा मात्रा में खेलते हैं, भारत में शतरंज नाम से प्रसिद्ध खेल का आविष्कार भारत में ही हुआ था।
ज्यादातर खेलों में शारीरिक बल लगाने की आवश्यकता होती है, लेकिन शतरंज एक ऐसा खेल है जिसमें शारीरिक शक्ति से नहीं खेला जाता बल्कि दिमाग से खेला जाता है, इसे खेलते समय दिमाग को शांत रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि हड़बड़ी में खेलने से इस खेल को नहीं जीत सकते हैं।
इस गेम को खेलने से व्यक्ति के दिमाग में सोचने की क्षमता शक्ति और लॉजिकल शक्ति बढ़ती है।
सबसे पहले महाभारत काल में भारत में पासों का खेल खेला जाता था, यह वही खेल था जिससे कौरवों ने पांडवों की संपत्ति छीनी और उनकी पत्नी द्रोपदी के साथ अभद्रता की, यह शतरंज का खेल गुप्त काल से आया था लेकिन राजा महाराजा एक ऐसा खेल खेलना चाहते थे जिसमें दिमाग का इस्तेमाल हो क्योंकि पासों का खेल केवल किस्मत पर निर्भर होता था, अगर व्यक्ति की किस्मत अच्छी होती थी तो जीत जाते थे और नहीं होती थी तो हार जाते थे।
इसलिए उस जमाने के राजा महाराजा चाहते थे कि एक ऐसा खेल हो जो ना तो बल पर और ना ही किस्मत पर निर्भर हो, वह चतुराई और दिमाग से जीता जा सके ऐसा गेम खेलना चाहते थे, एक ऐसा खेल जिसमें खिलाड़ी अपने दिमाग का इस्तेमाल करें और उसके चतुराई के सामने कोई खड़ा ना हो सके चाहे खिलाड़ी शारीरिक रूप से कमजोर हो लेकिन दिमाग से चतुर हो, राजाओं के इन्हीं जिज्ञासाओं के कारण शतरंज का आविष्कार किया गया,
इस खेल का सबसे पुराना रूप छठी शताब्दी का है, जिसे शुरुआत में चतुरंग के नाम से जाना जाता था, जो एक बड़े बोर्ड पर खेला जाता था इस खेल को 8 बाय 8 के हिस्सों में बांटा गया था, इस खेल को बक्से में बनाने के साथ ही इसका नाम चतुरंग से बदल कर अष्टपद रखा गया,
भारत से यह खेल नवी शताब्दी में पश्चिमी यूरोप और रूस की ओर निकला इसके बाद साल 1000 के अंत तक यह खेल पूरी तरह यूरोप में फैल गया, साथ ही 10 वीं शताब्दी तक यह पेनिनसुला के प्रांतों तक पहुंच गया और 13वीं शताब्दी में इस खेल का नाम शतरंज पड़ा जो काफी हद तक प्रसिद्ध हुआ।
यह शतरंज जब ईरानियों के माध्यम से यूरोप पहुंचा तो इसे चेस कहा जाने लगा जिन जिन प्रांतों में यह खेल गया इसके नामों के साथ नियमों में भी बदलाव किए गए,16 वीं शताब्दी में यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया, भारत से आरंभ में यह खेल यूरोप और चीन में गया इसके बाद सभी जगह खेला जाने लगा।
शतरंज खेल का लक्ष्य:-
शतरंज खेल दो खिलाड़ियों के द्वारा खेला जाता है, चेस बोर्ड में 64 खाने होते हैं, 32 खाने सफेद रंग के और 32 खाने काले रंग के होते हैं, दोनों टीम के पासएक राजा, एक रानी, दो हाथी, दो घोड़े, दो ऊंट, एवं आठ प्यादे होते हैं। शतरंज खेल का लक्ष्य होता है किसी तरह सामने वाले खिलाड़ी को शह और मात दिया जा सके, शह और मात की स्थिति तब पैदा होती है जब कोई खिलाड़ी राजा की जगह पर कब्जा कर ले और उस कब्जे से उसेकोई निकाल ना सके।
चेस खेलने का नियम:-
शतरंज खेलने से पहले सभी गोटियों को चेस बोर्ड में जमाया जाता है, इन गोटियों को हर बार के खेल में एक जैसे ही सेट किया जाता है, इसमें कोई भी बदलाव नहीं किया जाता है। एक खिलाड़ी सफेद गोटी लेता है और दूसरा खिलाड़ी काला गोटी, चेस बोर्डजमाने के लिए हाथियों को दोनों कोने में रखते हैं इसके बाद उसके बगल वाले कोने में घोड़े को रखते हैं, और इसके बगल में दोनों साइड ऊंटरखते हैं, इसके बाद बाएं तरफ राजा और दाएं तरफ रानी रखते हैं, तथा उनके सामने की लाइन में आठ प्यादे रखते हैं जो सफेद गोटी लेता है वह पहले चाल चलता है।
उपसंहार:-
शतरंज खेल को पहले केवल राजा महाराजा खेला करते थे, जिसे वर्तमान में सभी लोगों के द्वारा खेला जाने लगा है, यह खेल हमारे मस्तिष्क के एकाग्रता और यादाश्त क्षमता को बढ़ाता है, शतरंज हम सभी का लोकप्रिय खेल होता है क्योंकि इसे खेलने के लिए हमें कहीं भी बाहर नहीं जाना पड़ता और इसे कभी भी खेल सकते हैं।
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शतरंज पर निबंध 2
प्रस्तावना:-
यह खेल दो खिलाड़ियों के बीच खेला जाने वाला एक बौद्धिक एवं मनोरंजक खेल होता है। इस खेल को पहले चतुरंग नाम से जाना जाता था, शतरंज का आविष्कार भारत देश में ही हुआ है, यह हमारे देश का लोकप्रिय और प्रसिद्ध खेल है, इस खेल को खेलने के लिए दिमाग को स्थिर और शांत रखना पड़ता है, इस खेल को खेलने के लिए शारीरिक शक्ति की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
शतरंज छठी शताब्दी के आसपास भारत के मध्य पूर्व पर यूरोप में फैला, और यह शीघ्र ही लोकप्रिय हो गया, शतरंज खेल को सबसे जटिल खेलों में गिना जाता है, यह भारतीय भूमि से उत्पन्न प्राचीन खेल है जो व्यक्ति के मानसिक विकास में महत्वपूर्ण साबित होता है।
इस खेल को खेलने के लिए ताकत की आवश्यकता नहीं होती बल्कि दिमाग की आवश्यकता होती है, वर्तमान में इस खेल को काफी ज्यादा मात्रा में खेला जाता है। इस खेल को खेलने के लिए दो खिलाड़ियों की आवश्यकता होती है, यह एक इंडोर गेम होता है जिसे घर के अंदर रहकर खेला जाता है।
शतरंज खेल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी पसंद किया जाता है, इस खेल को अमीर लोग भी खेलना बहुत पसंद करते हैं, तथा इस खेल को बच्चे ,जवान सभी खेलना पसंद करते हैं। यह खेल हम सभी के मस्तिष्क का विकास करता है।
शतरंज खेलने के फायदे:-
शतरंज खेलने से हमारे अंदर की मानसिक क्षमताबढ़ती है जैसे -सोचने की क्षमता, डिसीजन लेने की क्षमता, आदि बढ़ती है।
शतरंज खेलने से हमारे मस्तिष्क में फोकस करने की शक्ति बढ़ती है।
शतरंज खेलने से हमारी एकाग्र क्षमता बढ़ती है।
शतरंज खेल हमारे मस्तिष्क के विकास में सहायक होता है।
हमें बुरे परिस्थिति में कैसे डिसीजन लेना है यह हमें शतरंज सिखाता है।
हमें शतरंज खेलते समय सोच समझकर चाल चलनीपड़ती है, जिससे हम प्रॉब्लम को आसानी से सॉल्व कर सकते हैं।
शतरंज मस्तिष्क के द्वारा खेला जाने वाला गेम होता है, जिसकी सहायता से हमारे मस्तिष्क में सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है।
शतरंज का इतिहास:-
शतरंज का जन्म भारत में ही हुआ है, शतरंज का प्राचीन नाम चतुरंग था, छठी शताब्दी के आसपास चतुरंग नाम के एक बहुत बुद्धिमान ब्राह्मणथे उन्होंने इस खेल की शुरुआत की, यह खेल भारत से अरब होते हुए यूरोप गया और धीरे-धीरे यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया। विश्व में पहली शतरंज प्रतियोगिता 1951 में हुई थी, तथा पुरुषों का पहला शतरंज ओलंपियाड 1927 में लंदन में हुआ था।
महिलाओं का पहला शतरंज ओलंपियाड 1957 रोमन में हुआ था, अखिल भारतीय शतरंज संघ की स्थापना 1961 में हुई, तथा इस क्षेत्र में पहला अर्जुन पुरस्कार मैनुएल ऐरोन को 1961 में मिला तथा प्रथम द्रोणाचार्य पुरस्कार रघुवीर नंदन बसंत गोखले को मिला।
शतरंज खेलने का तरीका:-
शतरंज में 2 खिलाड़ी होते हैं, जो कि एक दूसरे के विरोध में खेलते हैं, इसमें 1 स्क्वायर बोर्ड होता है जिसे चेस बोर्ड कहते हैं इनके अलावा कुछ मोहरे दी जाती है, इनमें एक तरफ काले रंग की और दूसरी तरफ सफेद रंग की मोहरे होती है जिस प्लेयर के पास सफेद कलर की मोहरे होती है वह पहले चाल चलता है, तथा इस खेल के दोनों खिलाड़ी राजा की जगह हासिल करना चाहते हैं, जो खिलाड़ी शह और मात दे सकेगा वह इस खेल का विजेता होता है।
Chess board – बिसात :-
इसमें 64 खाने होते हैं, जिसमें 32 सफेद रंग के और 32 काले रंग के वर्ग होते हैं। बोर्ड में जो होरिजेंटल लाइन होते हैं उन्हें रैंक बोला जाता है, तथा वर्टिकल कॉलम होते हैं उन्हें फाइल कहा जाता है।
Chess pieces – शतरंज के मोहरे:-
शतरंज में दो कलर की मोहरें होती हैं सफेद और काले रंग की, एक खिलाड़ी के पास काले रंग के मोहरे तथा दूसरे खिलाड़ी के पास सफेद रंग की मोहरे होती है, दोनों खिलाड़ियों के पास एक राजा होता है, तथा एक रानी होती है और 2 ऊंट होते हैं, तथा दोनों खिलाड़ी के पास 8 प्यादे या सैनिक होते हैं।
इस तरह से दोनों टीम के पास 16 सोलह मोहरे होते हैं। इस बोर्ड को इस तरीके से रखा जाता है कि दाएं तरफ सफेद कार्नर ही आए।
Pawn – प्यादा:-ये प्यादे अपने सामने की स्क्वायर में एक कदम चल सकते हैं, और यहएक बार आगे चलने के बाद पीछे वापस नहीं आता है, यह अपने सामने के खिलाड़ी को नहीं मार सकता है केवल तिरछे खिलाड़ी को मार सकता है।
Rook – हाथी :-यह होरिजेंटल और वर्टिकल में चलताहै।
Knight – घोड़ा :-यह ढ़ाई कदम तक चल सकता है, यह ऐसा खिलाड़ी होता है जो किसी खिलाड़ी के ऊपर से जा सकता है।
Bishop – ऊंट :-अगर यह सफेद वर्ग में है तो सफेद वर्ग में चल सकता है तथा यह काले वर्ग में है तो काले वर्ग में चल सकता है।
Queen – रानी:-रानी किसी भी कदम में चल सकती है,इसे सबसे ज्यादा पावरफुल माना जाता है।
King – राजा :-यह किसी भी दिशा में चल सकता है लेकिन एक एक कदम ही सभी दिशा में चल सकता है।
उपसंहार:-
शतरंज एक बहुत ही अच्छा खेल है, इसकी शुरुआत भारत से ही हुई है। इसमें दोनों खिलाड़ियों को अपने राजा को सुरक्षित रखना होता है, जिस खिलाड़ी के राजा की मृत्यु पहले होती है वह खेल हार जाता है। यह बहुत ही रोचक खेल होता है इसलिए इसे कई बुद्धिजीवी बड़े शौक से खेलते हैं, यह सभी वर्ग के लोगों द्वारा मनोरंजन के साथ खेला जाता है।
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अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
किस खेल को शुरू करने का तरीका गैम्बिट कहलाता है?
शतरंज का खेल शुरू करने का तरीका गैम्बिट कहलाता है
‘चेकमेट’ शब्द किस खेल से संबंधित है?
Chess(शतरंज)
नायडू ट्रॉफी किस खेल से संबंधित है?
Chess(शतरंज)

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम प्रवीन कुमार है . और में इस ब्लॉग का Owner हूँ. मुझे हिंदी में लेख लिखना पसंद है. और में आपके लिए सरल भाषा में लेख लिखता हूँ.