विमुद्रीकरण पर निबंध | Essay on Demonetization in Hindi

हेलो दोस्तों !आप सभी का स्वागत है हमारे वेबसाइट में, आज के आर्टिकल में हम विमुद्रीकरण पर निबंध लेकर आए हैं। यह निबंध लेखन सभी के लिए महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि विमुद्रीकरण क्या है? इसकी आवश्यकता क्यों होती है?

विमुद्रीकरण के लाभ और हानियों के बारे में भी जानेंगे, यह लेख सभी विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य लोगों के लिए भी उपयोगी साबित होगा, आप सभी इसे पढ़कर विमुद्रीकरण के बारे में समझ सकते हैं, तो चलिए इस आर्टिकल को शुरू करते हैं।

विमुद्रीकरण पर निबंध
विमुद्रीकरण पर निबंध

विमुद्रीकरण पर निबंध 1

प्रस्तावना:-

भारत देश के दिन प्रतिदिन विकास हो रहे हैं अर्थात भारत देश एक विकासशील देश है। हमारे भारत देश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए विमुद्रीकरण करने का निर्णय लिया गया था जो बहुत ही कठिन निर्णय था, विमुद्रीकरण ‌का निर्णय भारत के केंद्र सरकार द्वारा लिया गया था।

विमुद्रीकरण से काला धन, आतंकवाद में रोक लगी है तथा हमारा भारत देश डिजिटल भी हुआ है, अर्थात विमुद्रीकरण के दौरान लेन देन डिजिटल माध्यम से हुआ है यह हमारे देश के लिए बहुत ही लाभकारी साबित हुआ है।

विमुद्रीकरण के अंतर्गत नागरिकों को एक सीमित सीमा दिया जाता है जिसके अंतर्गत नागरिक बैंकों में जाकर बंद हुए नोटों को बदल सकते हैं और उनके बदले में उन्हें नए नोट दिए जाते हैं।

विमुद्रीकरण का अर्थ :-

नोटबंदी को विमुद्रीकरण कहा जाता है, हाल ही में हमारे देश में विमुद्रीकरण किया गया था , अर्थात किसी भी देश में सरकार द्वारा बड़े मूल्य के नोटों को बंद करना या उनके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना ,जिससे बड़े नोट किसी काम के नहीं रहते हैं अथवा जिस नोट पर प्रतिबंध लगाया है वह किसी काम का नहीं रहता और नोट विमुद्रीकरण के बाद उस नोट से कुछ भी नहीं खरीदा जा सकता है, इसे विमुद्रीकरण कहा जाता है।

जब पुराने नोटों और सिक्कों पर प्रतिबंध लगाकर उनके बदले नए नोट और नए सिक्के चलाए जाते हैं तो उन्हें विमुद्रीकरण कहते हैं। विमुद्रीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सरकार देश में चल रही पुरानी मुद्रा को बदल देता है। मुद्रा को बदल देने के बाद समाज में रखें नए नोट और सिक्कों का कोई अस्तित्व नहीं होता है।

विमुद्रीकरण के दौरान नोटों को बदलवाने के लिए समय सीमा निर्धारित की जाती है उसके अंतर्गत ही नोटों को बैंक में बदलना रहता है, नोटों को नहीं बदलने पर उनकी कोई कीमत नहीं रह जाती है।

विमुद्रीकरण की आवश्यकता :-

जब देश में काले धन की जमाखोरी और जाली नोटों के कारोबार में वृद्धि होने लगती है तो ऐसी स्थिति में विमुद्रीकरण की आवश्यकता पड़ती है।

हाल ही में 2016 में नोटबंदी से पहले बहुत सारे जाली नोट भी पाए गए थे जो हमारे अर्थव्यवस्था को खराब कर रहे थे, देश की अर्थव्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए विमुद्रीकरण की आवश्यकता पड़ी।

काला धन, नकली नोट, महंगाई और आतंकवादी गतिविधियों आदि पर काबू पाने के लिए नोटबंदी या विमुद्रीकरण का उपयोग किया जाता है।

विमुद्रीकरण के लाभ :-

विमुद्रीकरण के दौरान जब लोग अपने पैसों को बदलवाने के लिए बैंक गए तब उनके पैसे की जानकारी सरकार के पास चली गई, जिसके माध्यम से उस व्यक्ति के पास ज्यादा आय या पैसा था उनसे आयकर विभाग वालों ने जांच पड़ताल की और बहुत से लोगों के पास मौजूद काला धन पकड़ा गया।

काला धन एक ऐसा धन है जो आतंकवाद, अहिंसा आदि को बढ़ावा देता है, विमुद्रीकरण के कारण आतंकवाद में भी कमी हुई है।

विमुद्रीकरण के वजह से बहुत सारे काले धन खत्म हुए हैं और इससे सरकार के पास धन में वृद्धि भी हुआ है तथा इससे हमारे देश में अर्थव्यवस्था में सुधार हुए हैं।

विमुद्रीकरण के होने से सभी लोग डिजिटल पेमेंट करने लगे, जो बहुत ही महत्वपूर्ण है, विमुद्रीकरण के द्वारा देश में मौजूद नकली नोटों को अत्यधिक मात्रा में निकाला गया है।

विमुद्रीकरण से हानियां :-

विमुद्रीकरण से जहां लोगों को बहुत से लाभ मिले हैं वहीं कुछ हानियां भी मिली है परंतु हानियां कुछ दिनों के लिए होती है और लाभ पूरे समय तक चलने वाले हैं-

स्थानीय पैसा ना होने के कारण सबसे ज्यादा नुकसान पर्यटन स्थलों को हुआ है, तथा आम आदमियों को भी उनके दैनिक जीवन में बहुत से तकलीफ हुए है ।

बैंकों और एटीएम के सामने घंटों लाइन में खड़े रहना, अस्पताल का बिल, बिजली का बिल, किराए की समस्या और भी बहुत सी समस्याएं आम आदमियों को झेलनी पड़ी है।

विमुद्रीकरण के कारण लोग शादियां भी धूमधाम से नहीं कर पाए, नए नोटों को छापने में बहुत से पैसे खर्च हुए हैं और आतंकवादी फंडिंग वर्तमान तक चालू है।

उपसंहार:-

हमारे भारत देश में पहले भी विमुद्रीकरण कई बार हो चुका है, समय-समय पर विमुद्रीकरण की आवश्यकता होती है ताकि आतंकवाद, महंगाई आदि को नियंत्रित किया जा सके, हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा विमुद्रीकरण की सोच अर्थात उनके द्वारा उठाया गया कदम सभी लोगों के लिए बहुत ही सराहनीय रहा है।

विमुद्रीकरण से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायता मिली है, अर्थात कुछ सालों के बाद विमुद्रीकरण करना बहुत ही आवश्यक होता है इससे आतंकवाद से जुड़ी सभी समस्याएं भी खत्म हो जाती है।

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विमुद्रीकरण पर निबंध 2

प्रस्तावना :-

विमुद्रीकरण का अर्थ सरकार के द्वारा कानून के मदद से कानूनी निविदा के रूप में उपयोग की जाने वाली मुद्रा को अवैध करार करने से हैं, जब सरकार के द्वारा विमुद्रीकरण की जाती है तो नोटों की बदलाव ना करने पर उन नोटों की कोई कीमत नहीं रह जाती है।

विमुद्रीकरण का उद्देश्य काले धन और टैक्स की चोरी तथा प्रचलन के साथ साथ नकली मुद्रा का मुकाबला करना होता है, भारत सरकार के द्वारा तीन बार नोटबंदी की घोषणा की गई थी, 1954 में पहली नोटबंदी तथा 1978 में दूसरी नोटबंदी और तीसरी बार 2016 में नोटबंदी की गई थी।

हमारे देश का पड़ोसी देश पाकिस्तान है जो आतंकवाद का प्रमुख केंद्र है, जो हमारे देश को आतंकवाद में बढ़ावा देता है, जिससे आतंकवादी नकली नोटों को छपवाकर बहुत से गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं।

आतंकवादी चोरी और गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए भारत सरकार के द्वारा विमुद्रीकरण का कदम उठाया गया था।

नोटबंदी या विमुद्रीकरण का अर्थ:-

विमुद्रीकरण का अर्थ किसी भी देश में सरकार के द्वारा बड़े मूल्य के नोटों को बंद किया जा सकता है तथा उनके प्रयोग पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है जिससे उन नोटों का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

प्रतिबंध लगाए गए नोटों से कोई भी खरीदारी नहीं की जा सकती है, पुराने नोटों और सिक्कों को बंद करने के लिए नए नोट और सिक्के चलाए जाते हैं जिसे नोटबंदी विमुद्रीकरण कहा जाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर विमुद्रीकरण का प्रभाव :-

विमुद्रीकरण का प्रभाव भारत के अर्थव्यवस्था पर कई सकारात्मक तरीके से पड़ा है, काला धन को मुख्य धारा में वापस लाना तथा राष्ट्र विरोधी और अवैध गतिविधियों आदि में कमी लाना था, और विमुद्रीकरण के प्रभाव से इन सभी में कमी आई है।

डीजीपी को कम करने में विमुद्रीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है क्योंकि कई छोटे और मध्यम उद्योगों ने नकदी की कमी के कारण अपने व्यवसाय बंद कर दिए थे।

हमारे भारत देश के प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर 2016 को विमुद्रीकरण की घोषणा की और इस दिन देश में 500 और ₹1000 के नोटों को प्रतिबंधित कर दिया गया था।

विमुद्रीकरण एक ऐसा निर्णय था जिसके माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अल्पकालिक असुविधाएं दी गई लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ थे, इसके अल्पकालिक असुविधाओं में नकदी की कमी, बैंकों और एटीएम पर लंबी कतारें आदि शामिल थे।

उपसंहार:-

विमुद्रीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सरकार देश में प्रचलित पुरानी मुद्रा को बंद कर देती है और पुरानी मुद्रा के जगह पर नई मुद्रा लागू करती है,इसके अंतर्गत ज्यादातर बड़े नोटों को ही बदला जाता है और उनके बदले में समाज में नए नोट आते हैं।

नोटबंदी या विमुद्रीकरण से बचत और निवेश पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा, तथा चुनाव में धन का प्रभाव कम हुआ, और बैंकिंग सेक्टर, क्रेडिट कार्ड तथा इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के विस्तार में वृद्धि हुआ।

निष्कर्ष –

उम्मीद है दोस्तों आप सभी को विमुद्रीकरण पर निबंध का लेख पसंद आया होगा, क्योंकि इससे आप सभी को बहुत सारे ज्ञान की बातें भी सीखने को मिली होगी, यह निबंध लेख आप सभी विद्यार्थियों और व्यक्तियों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

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