नमस्कार दोस्तों! हम हमारे आज के लेख में सत्संगति पर निबंध के बारे में जानेंगे, जो सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हो सकता है, निबंध का प्रश्न सभी स्कूल और कॉलेज में विद्यार्थियों को दिया जाता है।
यह लेख के माध्यम से आप सभी आसानी से निबंध लेखन कर सकेंगे तथा इससे जुड़ी जानकारियों को भी प्राप्त कर सकेंगे और यह लेख आप सभी के लिए ज्ञानवर्धक भी साबित हो सकता है, तो चलिए हम हमारे सत्संगति पर निबंध के लेख को शुरू करते हैं-
सत्संगति पर निबंध 1
प्रस्तावना
मानव का जीवन आसपास के वातावरण से प्रभावित होता है, अर्थात मानव के विचार और कार्य उनके संस्कार तथा वंश के अनुसार भी होता है। यदि मनुष्य को बचपन से ही अच्छा वातावरण मिला है तो वह सदैव कल्याण के मार्ग पर चलता है और बचपन से ही दूषित वातावरण में रहा है तो उसके कार्य भी इससे प्रभावित होते हैं।
मनुष्य का स्वभाव कभी भी अकेला रहना पसंद नहीं करता, मनुष्य सुखपूर्वक और आनंद पूर्वक जीवन बिताने के लिए अन्य पुरुषों का साथ ढूंढता है। मनुष्य अपने कार्य अकेले नहीं कर पाता है अपने कार्य को करने के लिए अन्य व्यक्तियों पर निर्भर रहता है अर्थात कार्य करने के लिए दूसरे व्यक्तियों की आवश्यकता भी पड़ती हैं।
हम सभी को आनंद से जीवन व्यतीत करने के लिए एक दोस्त की आवश्यकता होती है क्योंकि हम सभी मानव का स्वभाव अकेला नहीं रह सकता, मनुष्य जाति संगति में रहना पसंद करता है अर्थात मनुष्य पर सत्संगति का विशेष प्रभाव पड़ता है।
सत्संगति आत्मा संस्कार का महत्वपूर्ण साधन है, तथा बुद्धि की जड़ता को दूर घर के वाणी में सत्यता लाती है। महान पुरुषों का साथ सदैव लाभकारी होता है और सत्संगति व्यक्ति को अज्ञान से ज्ञान की ओर, असत्य से सत्य की ओर, घृणा से प्रेम की ओर, जड़ता से चेतन की ओर, ईर्ष्या से सौहार्द की ओर, तथा अविद्या से विद्या की ओर ले जाती है।
जो विद्यार्थी अपने संस्कार वाले छात्रों की सत्संगति में रहते हैं, उनका चरित्र सदैव श्रेष्ठ रहता है और उनके सभी कार्य भी उत्तम होते हैं ऐसे लोगों से समाज और राष्ट्र की प्रतिष्ठा बढ़ती हैं।
मानव जीवन में उन्नति के कारक
मनुष्य जीवन में उन्नति की सीढ़ी सत्संगति होती है, हमें सत्संगति की संभव प्रयास करना चाहिए तभी हम ऊंचाई पर पहुंच सकते हैं तथा समाज में आदर और सम्मान प्राप्त कर सकते हैं। सत्संगति प्राप्त करके हमारा स्वभाव चंदन के वृक्ष के समान हो जाता है।
सत्संगति के लाभ
सत्संगति के अनेक लाभ होते हैं-
सत्संगति पारस पत्थर के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है उसी प्रकार अच्छी संगति में रहने से बुरा से बुरा व्यक्ति भी चरित्रवान व्यक्ति बन जाता है, सत्संगति को दो रूपों में बांटा जा सकता है पहला आध्यात्मिक और दूसरा सामाजिक, साधु संतों की संगति से मनुष्य में सात्विक की भावना उत्पन्न होती है और हमारा उत्थान होता है।
हमारे अंदर शक्तियां उत्पन्न होती है तथा जो अवगुण हमारे अंदर विद्यमान होता है वह दूर हो जाता है, तथा हमारे अंदर सद्गुणों का विकास होता है। हमारे अंदर उदारता, सहिष्णुता, परोपकारिता, निर्भयता, करुणा आदि उत्तम गुण उत्पन्न होते हैं।
चरित्रवान व्यक्ति की संगति हमें चरित्रवान बनाती है और समाज में पुण्य के कार्य करने के लिए हमें प्रोत्साहित करती हैं। जो लोग चरित्रवान व्यक्ति की आदर सत्कार करते हैं लोग उन्हीं की श्रद्धा करते हैं। हमारे संसार में जितने भी महान पुरुष उत्पन्न हुए थे वे सभी सदाचारी थे।
सत्संगति का अर्थ
सत्संगति का शाब्दिक अर्थ अच्छी संगति होती है, हम सभी को समाज और देश में उच्च स्थान प्राप्त करने के लिए जितनी आवश्यकता सत्संगति की होती है उतनी ही आवश्यकता भोजन की अर्थात रोटी की, जिस प्रकार हमें हमारे पेट भरने के लिए रोटी की आवश्यकता होती है उसी प्रकार हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए सत्संगति की आवश्यकता होती है।
हमारे समाज में बुरे व्यक्ति का सम्मान बिल्कुल भी नहीं किया जाता तथा कुकर्म करने वाले लोगों के लिए लोग हमेशा त्रिशूल के समान बन जाते हैं, प्रत्येक मानव को कुसंगति से बचना चाहिए और अच्छाई के राह पर चलना चाहिए। हम सभी को धर्म अधर्म, ऊंच-नीच, सत्य असत्य, पाप पुण्य तथा अच्छाई और बुराई में से उसी को चुनना चाहिए जिसके द्वारा हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।
उपसंहार
सज्जन व्यक्ति के साथ रहकर दुराचारी व्यक्ति भी अपने दुश्मनों को त्याग देता है, हम सभी के विद्यार्थी जीवन में सत्संगति का महत्वपूर्ण महत्व होता है, क्योंकि विद्यार्थी जीवन ही हमारे जीवन की संपूर्ण आधार होती हैं। विद्यार्थी जीवन में जो संस्कार विद्यार्थियों पर पड़ते हैं वे जीवन भर विद्यार्थियों के साथ रहते हैं।
अतः हम सभी को अपने जीवन में सत्संगति की ओर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए, और सभी युवकों को अपनी सत्संगति की ओर विशेष सावधान रहना चाहिए। हम सभी मानव के सर्वांगीण विकास के लिए सत्संग बहुत आवश्यक है, क्योंकि इसके माध्यम से ही हम अपने लाभ के साथ साथ देश के लिए निष्ठावान नागरिक बन सकते हैं।
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सत्संगति पर निबंध 2
प्रस्तावना
सत्संगति दो शब्दों से मिलकर बना होता है सत् और संगति अर्थात अच्छी संगति, अच्छी संगति का और ऐसे सत पुरुषों के साथ होता है जिनके विचार अच्छी दिशा की ओर हमें ले जाए, हम सभी का उत्तम प्रकृति के मनुष्य के साथ उठना बैठना ही सत्संगति कहलाता है। हम सभी मनुष्यों को समाज में जीवित रहने तथा मान सम्मान प्राप्त करने के लिए सत्संगति बेहद आवश्यक होता है।
हम सभी मानव का जीवन हमारे वातावरण से प्रभावित होता है, तथा मानव के विचार और कार्य तथा उनके संस्कार, वंश और परंपराओं की दिशा से हम सभी प्रभावित होते हैं। यदि हमें अच्छा वातावरण मिलता है तो हम हमेशा कल्याण के मार्ग पर चलने हैं और यदि हमें दूषित वातावरण मिलता है तो हम सभी इससे भी प्रभावित होते हैं।
सत्संगति का प्रभाव
सभी मनुष्यों पर वातावरण का प्रभाव अवश्य रूप से पड़ता है तथा मनुष्य के साथ-साथ पशु और वनस्पतियों पर भी इनका प्रभाव पड़ता है। मनुष्य को जिस भी संगति में रखा जाए संगति का प्रभाव हम सभी मानव पर अवश्य रूप से पड़ता है।
जिस प्रकार पारस के स्पर्श से लोहा सोने में परिवर्तित हो जाता है उसी प्रकार सत्य संगति के प्रभाव से व्यक्ति कहीं भी पहुंच सकता है, सत्संगति से व्यक्ति महान बनता है और कुसंगति से व्यक्ति क्षुद्र बन जाता है। कुसंगति के कारण मानव को जीवन के प्रत्येक क्षण में बुराइयों का सामना करना पड़ता है।
कुसंगति के प्रभाव से मानव को प्रतिक्षण कई प्रकार की हानियां होती हैं, तथा कुसंगति हम सभी के लिए बहुत भयानक होता है। हमें अपने जीवन में कुसंगति से बचना चाहिए।
सत्संगति के लाभ
सत्संगति मनुष्य को सन्मार्ग की ओर ले जाती है तथा सत्संगति से दुष्ट प्रवृत्ति के व्यक्ति भी श्रेष्ठ बन जाते हैं। सत्संगति के प्रभाव से दुराचारी व्यक्ति सदाचारी बन जाते हैं। संतो के प्रभाव से आत्मा के मलिन भाव दूर हो जाते हैं और निर्मल बन जाते हैं।
मानव के पास शुद्ध मन और ज्ञान के विशाल भंडार होती है, शुद्ध मन के सज्जनों के अनुभवों से मूर्ख व्यक्ति भी सुधर सकता है और अपने अंदर विशाल ज्ञान के भंडार को ग्रहण कर सकता है। सत्संगति के प्रभाव से मनुष्य के दुर्गुण दूर हो जाते हैं और मनुष्य में सद्गुणों का विकास भी होता है। इनके अलावा आशा और धैर्य का संचार भी उत्पन्न हो जाता है ।
सत्संगति से मनुष्य में चरित्रवान व्यक्ति बनने की प्रवृत्ति आती है, और मनुष्य में चरित्र का विकास होता है जिससे व्यक्ति अपना और संसार का कल्याण कर सकता है। सत्संगति आत्म संस्कार का महत्वपूर्ण साधन होता है जो बुद्धि की जड़ता को दूर करके हमारे वाणी में सत्यता लाता है।
जो व्यक्ति या जो विद्यार्थी अच्छे संस्कार वाले छात्रों की संगति में रहते हैं उनका चरित्र सदैव श्रेष्ठ होता है और उनके सभी कार्य भी उत्तम होते हैं तथा समाज और राष्ट्र उनका प्रतिष्ठा बढ़ाती है।
कुसंगति से हानि
कुसंगति में रहने के कारण कई विद्यार्थियों और युवकों का जीवन नष्ट हो जाता है, कुछ लोगों का मानना होता है कि यदि हम अच्छे हैं तो हमारे पर कुसंगति का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जो साधारण व्यक्तियों के लिए लागू नहीं होता है।
कुछ ऐसे असाधारण व्यक्ति हो सकते हैं जिन पर बुरी संगति का असर नहीं पड़ता, परंतु साधारण व्यक्ति बुरी संगति में पड़कर धीरे-धीरे अपना जीवन नष्ट कर देता है। आधुनिक युग में हमारे समाज में बुरे व्यक्तियों की मात्रा बढ़ चुकी है और लोगों में कुसंगति की प्रभाव विद्यमान हो गई है, हमें किसी की भी संगति करने से सावधान रहना चाहिए और जीवन में हमेशा अच्छे सत्संगति के राह को ही सावधानी पूर्वक अपनाना चाहिए।
उपसंहार
विद्यार्थी जीवन से ही हमे सावधानी रखने की आवश्यकताएं होती है, और हमें अच्छे लोगों से मिल जुल कर रहना चाहिए तथा बुरे लोगों के संगति से बचना चाहिए, सत्संगति में रहने के लिए हमें कष्ट उठाने पड़ सकते हैं और इसके लिए परिश्रम भी करना पड़ सकता है।
सत्संगति से अनेक व्यक्ति अच्छे व्यक्ति बन जाते हैं तथा कोई व्यक्ति बुरी तरह से प्रभावित होकर नष्ट हो जाते हैं। यदि किसी विद्यार्थी व्यक्ति पर बुरी संगति का प्रभाव पड़ता है 2 विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होने की जगह बुराइयों के राह पर चल पड़ता है।
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निष्कर्ष
उम्मीद है दोस्तों हमारा आज का लेख सत्संगति पर निबंध आप सभी को पसंद आया होगा, यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अमृत यादव है और पेशे से मैं एक ब्लॉगर और लेखक हूं, जो लेख आप अभी पढ़ रहे हैं वह मेरे द्वारा लिखा गया है, मैं अभी बीकॉम फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा हूं।