नमस्कार दोस्तों! आज के लेख में हम आपके लिए साक्षरता का महत्व पर निबंध लेकर आए हैं, यह निबंध प्रत्येक लोगों के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि सभी लोगों को साक्षरता के महत्व के बारे में जानना चाहिए।
वर्तमान योग शिक्षा का युग है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का शिक्षित होना अति आवश्यक है, इसलिए हम यह निबंध आप सभी के समक्ष शेयर कर रहे हैं जिससे आप सभी भी साक्षरता के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
साक्षरता का महत्व पर निबंध 1
प्रस्तावना
आज के वर्तमान युग में प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर होना चाहिए क्योंकि आज के युग में सारे कार्य डिजिटल किए जा रहे हैं और डिजिटल कार्यों को करने के लिए शिक्षा का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। साक्षरता से ही किसी भी देश की गुणवत्ता की पहचान होती है, तथा साक्षरता प्रत्येक देश की मूल आवश्यकता होती है।
साक्षरता का अर्थ पढ़ने और लिखने से होता है जिसमें व्यक्ति को अक्षरों का ज्ञान होता है, हमारे भारत देश में किसी भी व्यक्ति को साक्षर तब कहा जा सकता है जब व्यक्ति अपना नाम लिख सके और पढ़ सके।
तथा इनके अलावा व्यक्ति को पैसों का हिसाब करने आना चाहिए और पैसे के हिसाब किताब के बारे में समझ आना चाहिए। पुराने समय में लोग बहुत सरल जीवन यापन करते थे और उनकी जरूरतें भी कम हुआ करती थी।
प्राचीन समय में बहुत कम लोग साक्षर होते थे, जब हमारा देश आजाद हुआ तब भारत की साक्षरता दर केवल 12% थी, मनुष्य में जब धीरे-धीरे प्रगति करना शुरू कर दिया था तब लोगों की जरुरतें भी बढ़ने लगी और जरूरतों को पूरा करने के लिए हिसाब किताब करने की आवश्यकता होने लगी ।
लोगों को पढ़ने लिखने की आवश्यकता महसूस होने लगी, क्योंकि साक्षर व्यक्ति ही देश के लिए कार्य कर सकता है और जो व्यक्ति साक्षर नहीं है वह इस युग में अपनी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर सकता है।
साक्षरता का अर्थ
साक्षरता का उद्देश्य देश के अनपढ़ लोगों को पढ़ने लिखने योग्य बनाना है, तथा साक्षरता का अर्थ प्रत्येक व्यक्ति को अक्षरों को समझ आना चाहिए और अपने नाम लिखने आने चाहिए तथा पैसे का हिसाब किताब करना आना चाहिए।
साक्षर होना यानी पढ़ने लिखने की योग्यता हासिल करना, हमारे भारत देश में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अनुसार कोई व्यक्ति अपना नाम लिखने पढ़ने योग्य हो जाए तो उसे साक्षर माना जाता है। अनपढ़ और अशिक्षित व्यक्ति हमारे समाज के ऐसे अंग है जिनके द्वारा देश का विकास नहीं हो सकता है।
देश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षित होना बहुत आवश्यक है तभी देश का विकास संभव हो सकता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को साक्षरता की ओर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए तथा साक्षरता के प्रति लोगों में जागरूकता लाना चाहिए।
साक्षरता का महत्व
भारत देश को गांव का देश कहा जाता है, अर्थात भारत में रहने वाले अधिकतर लोग गांव में निवास करते हैं। भारत में रहने वाले लोगों की संख्या अधिकतर किसान और मजदूरों की होती है, और सबसे ज्यादा शोषण के शिकार गरीब और किसान ही होते हैं क्योंकि गरीब तथा किसान अशिक्षित होते हैं उन्हें साक्षरता के बारे में कोई ज्ञान नहीं होता है।
व्यापारी तथा सरकारी अधिकारियों और चतुर लोगों के द्वारा गरीबों का शोषण किया जाता है, यदि हमारे देश के सभी लोग साक्षर हो जाए तो किसान और गरीब व्यक्ति अपने सही गलत के बारे में जान सकते हैं जिससे उनका कोई भी फायदा नहीं उठा सकता है।
साक्षर व्यक्ति केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा लिए गए फैसले को अच्छे से समझ सकते हैं तथा सरकार के द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं, और अशिक्षित व्यक्ति सरकार के योजनाओं के द्वारा दी जा रही लाभ को भी प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
साक्षर महिलाओं का महत्व
हमारे देश में महिलाओं का शिक्षित होना भी बहुत आवश्यक है क्योंकि महिलाओं के द्वारा ही परिवार चलाया जाता है और परिवार चलाने के लिए भी साक्षर होना बहुत आवश्यक होता है। महिलाएं अपने परिवार के साथ साथ बच्चों को भी शिक्षित बना सकते हैं तथा अन्य कार्यों को भी आसानी से कर सकती है।
एक शिक्षित महिला अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को भी शिक्षित कर सकती हैं, तथा इसके साथ ही रोजगार या नौकरी भी प्राप्त कर सकती है। नौकरी और रोजगार प्राप्त करके अपने परिवार को आर्थिक लाभ भी पहुंचा सकती है जिससे परिवार के साथ साथ समाज का भी भला हो सकता है।
साक्षरता के अभाव
साक्षरता के अभाव से हमारे देश के किसान तथा मजदूर अज्ञानता और अंधविश्वास के बेड़ियों से जगड़े हुए हैं। साक्षरता के अभाव में रहने वाले व्यक्ति को उनके अधिकार तथा सरकार के द्वारा दी जाने वाली योजनाओं के बारे में भी ज्ञान नहीं होता है जिसके कारण सरकार के द्वारा सहायता राशि या अन्य सहायता दी जाने वाली चीजों का लाभ नहीं ले पाते हैं।
भारत देश में साक्षरता
हमारे भारत देश में 1947 के समय भारत में साक्षरता दर केवल 12 % थी, हमारे देश के आजादी के बाद भारत की शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार आई है परंतु आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से लोग अशिक्षित है। सरकार ने कई योजनाएं चलाकर लोगों को पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित किया है जिसके माध्यम से आज हमारे देश के कई महिलाएं और पुरुष शिक्षित हो रहे हैं।
आज भी हमारे देश में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की साक्षरता दर में काफी कमी है, 2011 सर्वे के अनुसार हमारे भारत देश में साक्षरता की दर 74.04% थी, परंतु आज भी देश में पुरुषों के मुकाबले महिला की साक्षरता दर काफी कम है। हमारे भारत देश के ग्रामीण इलाकों में आज भी लोगों में साक्षरता नहीं आई है लोग आज भी निरक्षर है।
भारत देश में पुरुषों की साक्षरता दर 82 % और महिलाओं की साक्षरता दर 65 % ही है, हमारे भारत देश का केवल एक ऐसा राज्य है जहां की साक्षरता दर सर्वाधिक 94% है तथा बिहार की साक्षरता दर सबसे कम 64% है।
उपसंहार
वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर होना बहुत आवश्यक है जो व्यक्ति आज के युग में साक्षर नहीं है वह किसी भी कार्य के योग्य नहीं माना जाता है। साक्षर व्यक्ति अपने परिवार के साथ साथ समाज और देश के विकास में भी योगदान दे सकता है आप सभी को भी साक्षर बनना चाहिए और विशेषकर महिलाओं को साक्षरता के प्रति जागरूक करना चाहिए।
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प्रस्तावना
साक्षर व्यक्ति प्रत्येक क्षेत्र में कार्य कर सकता है और अपना जीवन यापन सरलता से व्यतीत कर सकता है तथा जो व्यक्ति सक्षम नहीं है उसे हमेशा परेशानियों का सामना करना पड़ता है,निरक्षर व्यक्ति के प्रत्येक क्षेत्र में मुश्किलें आती है। भारत देश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया गया है जिसके तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों का स्कूल जाना अनिवार्य किया गया है।
सरकार के द्वारा ही बच्चों को कॉपी और पुस्तक तथा मिड डे मील में पौष्टिक आहार दी जाती है इनके अलावा बच्चों को निशुल्क ड्रेस दिया जाता है। हमारे भारत देश के आजाद होने के बाद सरकार के द्वारा साक्षरता के प्रचार प्रसार के लिए अनेक योजनाएं चलाई गई है।
अनेकों शिक्षा कार्यक्रम चलाए गए हैं जिसके माध्यम से गांव के बड़े बुजुर्गों को पढ़ाना दिखाने का प्रयास किया जा रहा है, कई लोगों के लिए साक्षरता अभियान के तहत रात्रि के समय स्कूल चलाया जाता है जिसमें गांव के सभी लोग जाकर शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं।
आज का युग शैक्षिक युग है, और आज के युग में हर किसी के जीवन के लिए साक्षर होना बहुत आवश्यक है, साक्षरता प्रत्येक देश की मूल और आवश्यक हिस्सा है। भारत देश में प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर कहा जा सकता है यदि व्यक्ति को अपना नाम लिखना और अक्षर को पहचाना ना आता हो तो, वर्तमान में अधिकतर निरक्षर लोगों की जनसंख्या गांव में मिलती हैं।
साक्षरता अभियान
साक्षरता अभियान 1966 में यूनेस्को के साथ आरंभ हुआ है, तथा प्रत्येक वर्ष 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस अभियान के द्वारा लोगों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार किए जाते हैं और लोगों को साक्षरता के प्रति जागरूक किया जाता है।
देश के प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा मिलनी चाहिए प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार प्राप्त है। कोई भी व्यक्ति किसी भी कारण शिक्षा से वंचित नहीं रह सकता, इन सभी उद्देश्यों से साक्षरता अभियान को बनाया गया है।
साक्षरता का अर्थ
साक्षरता का अर्थ केवल कुछ पुस्तकों के बारे में जानना ही नहीं है, बल्कि उनके अधिकार कार्य और भूगोल इतिहास आदि सभी की जानकारी होनी चाहिए। गरीब व्यक्ति में शिक्षा का अभाव होता है जिसके कारण गरीब व्यक्ति सरकार के द्वारा दी जा रही योजनाओं का लाभ भी प्राप्त नहीं कर पाता है।
हमारे भारत देश के अनुसार शिक्षा का अर्थ लोगों में अक्षर का ज्ञान होना और पैसे के हिसाब किताब के बारे में समझना तथा खुद का नाम लिखने आना आधी होता है।
उपसंहार
प्रत्येक व्यक्ति का शिक्षा का अधिकार है अर्थात सभी वर्ग के व्यक्ति शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, और प्रत्येक लोगों को शिक्षित होना बहुत आवश्यक है, आज के वर्तमान युग में लोग शिक्षित होकर रोजगार और नौकरी प्राप्त कर सकते हैं।
जिस प्रकार से पुरुषों का शिक्षित होना आवश्यक महिलाओं का भी शिक्षित होना है क्योंकि पुरुषों के शिक्षित होने से एक व्यक्ति ही शिक्षित हो सकता है परंतु महिलाओं को शिक्षित होना पूरा परिवार शिक्षित हो सकता है। जो महिलाएं शिक्षित होती है वे अपने बच्चों को भी शिक्षित बनाती हैं तथा परिवार के अन्य सदस्यों को भी शिक्षित बनाती हैं।
सरकार को ग्रामीण स्तर में रहने वाले लोगों को विशेष रूप से शिक्षा के प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूक करना चाहिए क्योंकि ग्रामीण स्तरों में साक्षरता दर बहुत कम होती है, और लोगों में ज्ञान के प्रति कोई उत्सुकता नहीं होती हैं।
देश के विकास के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षित होना बहुत आवश्यक है, लोगों के शिक्षा के द्वारा ही हमारे देश का विकास हो सकता है अन्यथा देश के विकास संभव नहीं है। हम सभी को भी लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना चाहिए।
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निष्कर्ष
उम्मीद करती हूं दोस्तों आप सभी को साक्षरता का महत्व हमारे द्वारा लिखा गया निबंध पसंद आएगा और आप सभी के लिए मददगार तथा ज्ञानवर्धक होगा।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
साक्षरता दिवस कब मनाया जाता ?
हमारे देश में प्रत्येक वर्ष 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है, और इस दिवस को लोगों में साक्षरता के प्रति प्रचार प्रसार किया जाता है।
साक्षरता अभियान का शुरुआत कहां से हुआ है ?
साक्षरता अभियान का शुरुआत 1966 में यूनेस्को के साथ हुआ है, वर्तमान में साक्षरता आंदोलन पर सभी देशों में कार्य किया जा रहा है।
भारत देश के अनुसार साक्षरता का अर्थ क्या है ?
भारत देश के अनुसार साक्षर व्यक्ति वह व्यक्ति कहलाता है जो अपना नाम लिखना जानता हो, तथा उसे अक्षरों का ज्ञान हो और उसे पैसे का हिसाब किताब करना आता हो, वह व्यक्ति साक्षरता की श्रेणी में आता है।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अमृत यादव है और पेशे से मैं एक ब्लॉगर और लेखक हूं, जो लेख आप अभी पढ़ रहे हैं वह मेरे द्वारा लिखा गया है, मैं अभी बीकॉम फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा हूं।