महात्मा गांधी पर निबंध | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

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गांधी जी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है, महात्मा गांधी जी हमारे राष्ट्रपिता थे, आज के आर्टिकल में आपको महात्मा गांधी जी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त होगी, इसे पढ़कर आप गांधी जी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और स्कूल तथा कॉलेज में अच्छी तरह से गांधी जी पर निबंध लेखन का कार्य कर सकते हैं।

महात्मा गांधी पर निबंध 1

प्रस्तावना:-

महात्मा गांधी स्वतंत्र भारत के महान सेनानी थे, भारत के स्वाधीनता के स्वप्न को साकार करने के लिए इनके अहम भूमिका के कारण इन्हें राष्ट्रपिता , तथा श्रद्धावश बापू कहा जाता है। अहिंसा परमो धर्म, के सिद्धांत को नींव बनाकर विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गांधी ने देश को गुलामी की जंजीर से आजाद कराया, गांधीजी राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे, उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।

संसार में उसी पुरुष का जन्म सार्थक होता है, जिसके द्वारा देश समाज और जाति की विकास हुई हो, इस परिवर्तनशील संसार में सभी मरते हैं और पैदा भी होते हैं, इस कथन के अनुसार महान पुरुष वहीं कहलाते हैं, जिनका देश के निर्माण और जागृति में बड़ा योगदान रहता है, गांधीजी भी ऐसे ही युगपुरुष थे।

गांधी जी ने अपने पूरे जीवन को भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में बिताया था, गांधी जी को राष्ट्रपिता और बापू के नाम से जाना जाता है।

देश की आजादी में राजनीति के क्षेत्र में सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में गांधी जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। गांधीजी उच्च कोटि केशिक्षा शास्त्री थे, उनका दृढ़ विश्वास था कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे समाज उन्नति कर सकता है। स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी शासकों से संघर्ष करते हुए उन्होंने शिक्षा पर विशेष बल दिया 4 शिक्षा के विभिन्न पक्षों पर चिंतन मनन कर कई प्रयोग किए,

शिक्षा से संबंधित अनेक पुस्तकें भी लिखी, राष्ट्रपिता के नाम से सुशोभित महात्मा गांधी देश की अमूल्य धरोहर में से एक है। उनकासम्मान और उनके विचारों का अनुगमन न केवल भारतीय करते हैं, बल्कि भारत के बाहर भी बहुत बड़ी संख्या में लोग करते हैं। गांधी जी के कार्यों एवं विचारों को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।

गांधी जी सत्य एवं अहिंसा के पुजारी होने के साथ देश प्रेमी थे, सत्य एवं अहिंसा के बल पर ही उन्होंने अंग्रेजों से संघर्ष किया, और देश की आजादी में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

महात्मा गांधी का जन्म और शिक्षा:-

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को काठियावाड़ के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ, इनके पिता का नाम करमचंद और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी जी जब 13 साल के थे तो उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से हो गया, इनकी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में हुई, मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद गांधीजी वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए तथा बैरिस्टर बनकर भारतलौटे,

एक मुकदमे की पैरवी करने के लिए इन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा, जहां अंग्रेजों की रंगभेद नीति का शिकार होना पड़ा, गांधी जी ने उसके विरुद्ध आवाज उठाई तथा सफलता प्राप्त की, इन्होंने दक्षिण अफ्रीका से लौटकर भारत में भी अहिंसात्मक आंदोलन चलाने का निश्चय किया तथा भारत की स्वतंत्रता के लिए जुट गए,

गांधी जी ने सत्याग्रह को अपना अस्त्र बनाया, गांधी जी के आंदोलन में सारा भारत कूद पड़ा, 1921 में इन्होंने असहयोग आंदोलन चलाया जिससे गोरी सरकार अर्थात अंग्रेज डर गए, इनके नेतृत्व में जनता ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया तथा सन् 1930 में नमक सत्याग्रह और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन भी चलाए गए,

अंग्रेजों ने उनकोकई बार बंदी बनाया तथा जेल में बंद कर दिया, परंतु अंत में अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा और 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वाधीनता मिली, देश के विभाजन के समय हिंसा रोकने के लिए गांधीजी ने उपवास किया था तथा हिंदू मुस्लिम एकता स्थापित की, गांधी जी ने छुआछूत को बंद करने के लिए भी कार्य किया, तथा उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं तथा खादी के उपयोग पर भी विशेष बल दिया।

महात्मा गांधी का राजनीतिक जीवन:-

गांधीजी सन 1893 ईस्वी में एक व्यापारी के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए, वहां इन्होंने गोरे लोगों का भारतीय मूल्यों के लोगों के प्रति दुर्व्यवहार देख कर विरोध में सत्याग्रह आंदोलन चलाया, इस आंदोलन से वहां के अंग्रेजों के अत्याचार में बहुत कमी आई,

1914 ईस्वी में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गांधी जी ने भारतवासियों के प्रति अंग्रेजों के दमन और जुल्म की ओर ध्यान दिया, इन्होंने अहमदावाद में मिल मजदूरों के लिए, चंपारण में किसानों के लिए आंदोलन किया और उनका हक दिलाया, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में भारत देश शामिल हुआ, इसके बाद अंग्रेजों को हराकर 15 अगस्त 1947 को भारतवर्ष को आजाद कराया।

गांधीजी के विचार:-

गांधीजी सदा सत्य बोलो कहते थे, गांधीजी अहिंसा के परम पुजारी थे, गांधीजी जीवन के अंतिम क्षण तक बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो और बुरा मत बोलो के सिद्धांत पर ही चलते रहे।

महात्मा गांधी का शिक्षा में योगदान:-

महात्मा गांधी जी का मानना थाकि भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं बल्कि समाज के अधीन है, इसलिए गांधीजी भारतीय शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” कहां करते थे, शिक्षा के क्षेत्र में गांधी जी का विशेष योगदान रहा, भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गांधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन’ समाज की स्थापना करना था।

गांधीजी के आधारभूत शिक्षा सिद्धांत:-

7से 14वर्ष के बच्चों को निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए, शिक्षा का माध्यम मातृभूमि हो, साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता, शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।

विशेषताएं:-

गांधीजी अपनी साधना के कारण साधारण मनुष्यों से ऊपर माने जाते हैं, ये समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे, इनकी निर्भीकता सत्य वचन, अहिंसा, देश स्वतंत्रता, हरिजन प्रेम आदि ने देश को बदल दिया, और सादा जीवन उच्च विचार का आदर्श प्रस्तुत किया, उन्होंने जो वचन कहा उसे पूरा करके दिखाया।

धर्म से राजनीति को जोड़कर रामराज्य का आदर्श उपस्थित किया, तथा रामराज्य की पूर्ति के लिए जिए और उसके लिएमरे, गांधी जी ने अपने गुणों के कारण देश में ही नहीं बल्कि विश्व भर में अपना उच्च स्थान बना लिया था। इसलिए गांधीजी युग सृष्टा महापुरुष, विश्व वंदनीय, राष्ट्र देवता, राष्ट्रपिता, बापू आदि नाम से संबोधित किए जाते हैं।

गांधी जी की मृत्यु:-

गांधी जी का मृत्यु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में हुआ था, गांधी जी का दिल्ली के बिरला हाउस में शाम को हत्या कर दिया गया, गांधीजी एक प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे, तभी उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे ने उनके सीने में 3 गोलियां दाग दी, गांधीजी के मुख से अंतिम शब्द राम निकला था, नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगी पर मुकदमा चलाया गया और 1949 में उन्हें मौत की सजा दी गई।

उपसंहार:-

राष्ट्रपिता गांधी जी भले ही आज हमारे बीच में नहीं है , किंतु उनके विचार प्रासंगिक है तथा पूरी दुनिया को रास्ता दिखाते हैं। वर्तमान में गांधी दिवस 2 अक्टूबर को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रूप में तथा भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता हैं, इस दिन को राष्ट्रीय त्यौहार की मान्यता प्राप्त है।

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महात्मा गांधी पर निबंध 2

प्रस्तावना:-

हमारे देश के महान नेता महात्मा गांधी को बापू और राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, गांधीजी अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे, उनका व्यक्तित्व आदर्शवादी था। गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे, आजादी के लिए भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी जी ने अथक और महत्वपूर्ण योगदान दिया, गांधी जी हमारे देश के उन महापुरुषों में से एक है जिन्होंने राष्ट्रीय जीवन का एक नया इतिहास तैयार किया, सच्चाई और अहिंसा माध्यम से उन्होंने अंग्रेजों से भारत की आजादी के लिए एक अलग राह बनाया।

महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता तथा बापू कहकर भी पुकारा जाता है, वे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए आशा के केंद्र थे। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था। गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी राजकोट में रियासत दिवान थे, तथा उनकी माता का नाम पुतलीबाई था, जिन्होंने गांधीजी का पालन पोषण बड़े अच्छे तरह से किया था।

महात्मा गांधी जी ने अंग्रेजो के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया उनकी प्रतीकात्मक दृष्टि ने दुनिया भर के लोगों को किसी भी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया, गांधीजी सच्चाई और अहिंसक के अग्रदूत थे, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया तथा ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

गांधी जी ने दुनिया को यह साबित कर दिखाया कि अहिंसा के मार्ग से स्वतंत्रता हासिल की जा सकती है।

गांधी जी की शिक्षा:-

सन 1891 ईस्वी में गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टर पास कर स्वदेश और मुंबई से वकालत प्रारंभ कर दी, किंतु कुछ समय बाद वकालत पूरी करने दक्षिण अफ्रीका चले गए, दक्षिण अफ्रीका में भी उस समय अंग्रेजी हुकूमत थी जहां भारतीय लोगों के साथ दुर्व्यवहार होता था, इसी को देखते हुए गांधीजी ने सामाजिक क्रांति कारी जीवन का शुरुआत किया, जिसका आधार केवल सत्य और अहिंसा का मार्ग था।

महात्मा गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे, जहां कहीं भी सत्य या अहिंसा की बात होती है तो गांधी जी का नाम सर्वोपरि आता है, गांधी जी को महात्मा नाम से संबोधित किया जाता है जिसका अर्थ है महान आत्मा, गांधीजी दुर्बल शरीर, तन पर सिर्फ एक सफेद धोती, हाथ में लाठी, अहिंसा, प्रेम और सत्य के पुजारी वास्तव में है। गांधीजी के अनुसार सत्य उस हिमालय की भांति सर्वोपरि है जो हमेशा अपना सर उठाए रहता है अर्थात सत्य की हमेशा जीत तथा असत्य की हमेशा हार होती है।

महात्मा गांधी के शिक्षा संबंधी विचार:-

महात्मा गांधी के व्यक्तित्व और कृतित्व आदर्शवादी रहा है, उनका आचरण प्रयोजनवाद विचारधारा से ओतप्रोत था। विश्व के अधिकांश लोग उन्हें महान राजनीतिज्ञ एवं समाज सुधारक के रूप में जानते हैं, परंतु उनका मानना यह था कि समाज की उन्नति हेतु शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

गांधी जी का शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष योगदान रहा है, उनका मूल मंत्र था सत्य अहिंसा तथा सहयोग पर आधारित शोषण विहीन समाज की स्थापना करना, उसके लिए सभी को शिक्षित होना चाहिए क्योंकि शिक्षा के बिना एक स्वस्थ समाज का निर्माण असंभव है। उन्होंने अपने शिक्षा दर्शन में मनुष्य को 11 व्रत सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अस्वाद, अस्तेय, अपरिग्रह, अभय, अस्पृश्यता निवारण, कायिक श्रम, सर्वधर्म समभाव और विनम्रता आदि को पालन करने की ओर प्रवृत्त करने पर बल दिया।

महात्मा गांधी का शैक्षिक दर्शन:-

महात्मा गांधी भारत के एक महान विचारक, समाज सुधारक तथा शिक्षाविद थे, उनका शिक्षा दर्शन सत्य, हिंसा तथा सत्याग्रह पर आधारित है। शिक्षा की उनकी लोकप्रिय परिभाषा-शिक्षा सेअभिप्राय बच्चे के शरीर, मस्तिष्क एवं आत्मा का उत्तम रूप से सर्वांगीण विकास करना है।

मानव व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास करना है, गांधीजी के लिए शिक्षा का अभिप्राय व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक विकास से था, महात्मा गांधी जी के अनुसार सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह, निर्भयता, विश्वास, मानवता आदि जैसे मूल्य किसी भी व्यक्ति के जीवन के आधार है।

उनकी बुनियादी शिक्षा ,शिल्प आधारित शिक्षा, नैतिक एवं मूल्य आधारित शिक्षा, की अवधारणा का वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर महान प्रभाव है।

शिक्षा से तात्पर्य:-

महात्मा गांधी शिक्षा को व्यापक अर्थ में प्रयुक्त करते हैं। वे केवल साक्षरता को शिक्षा नहीं मानते थे, उनके अनुसार साक्षरता न तो शिक्षा का अर्थ है ना प्रारंभ, यह केवल एक साधन है जिसके द्वारा पुरुष और स्त्रियों को शिक्षित किया जा सकता है। गांधीजी के अनुसार शिक्षा से तात्पर्य एक ऐसी प्रणाली से है जो बालक एवं मनुष्य की समस्त प्रतिभाओं जिसमें शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक सम्मिलित है।

गांधीजी के आधारभूत शिक्षा सिद्धांत:-

  • 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए।
  • शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो।
  • साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता है।
  • शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।

उपसंहार:-

गांधीजी एक अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ अच्छे वक्ता भी थे, गांधीजी को बचपन में मंदबुद्धि समझा जाता था, परंतु आगे चलकर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा, सत्य,असहयोग और एकता को अपना हथियार बनाया था, इनके विशेष गुणों ने इन्हें महामानव बना दिया। 30 जनवरी 1948 ईस्वी को इनकी हत्या कर दी गई।

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अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या है?

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।

गांधी का ‘दांडी मार्च’ किस आंदोलन से संबंधित था?

गांधी का ‘दांडी मार्च’ नमक सत्याग्रह आन्दोलन आंदोलन से संबंधित था।

गांधी जी के अनमोल वचन क्या थे?

सत्य और अहिंसा मेरा ईश्वर है

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