नमस्कार दोस्तों ! आप सभी का स्वागत है, हमारा यह लेख मेरा प्रिय लेखक पर निबंध के बारे में है, जिसमें आपको प्रिय लेखक के बारे में जानने को मिलेंगे।
आप सभी विद्यार्थियों को अक्सर स्कूल में निबंध लिखने के लिए दिया जाता है तथा स्कूल और कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है जिसमें इन सभी महत्वपूर्ण विषयों के बारे में लिखने का टॉपिक दिया जाता है।
यह निबंध लेख आप सभी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आप सभी को अपने प्रिय लेखकों के बारे में पता होना चाहिए, इस लेख के माध्यम से आप आसानी से मेरा प्रिय लेखक पर निबंध लिख सकेंगे, तो चलिए हम इस लेख को शुरू करते हैं –
मेरा प्रिय लेखक पर निबंध 1
प्रस्तावना
हिंदी साहित्य विभिन्न प्रकार के श्रेष्ठ लेखकों का भंडार है, मुझे रविंद्र नाथ टैगोर जी के रचनाएं और कहानियां तथा उपन्यास बहुत पसंद है। टैगोर जी के कहानियों को पढ़कर मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है। टैगोर जी का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के धनी परिवार में हुआ था।
टैगोर जी देवेंद्रनाथ के सबसे छोटे पुत्र थे और टैगोर जी के परिवार के सभी लोग सुशिक्षित और कला प्रेमी थे। टैगोर जी के अधिकतर शिक्षा घर पर हुई थी और इन्हें वकालत पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेजा गया था टैगोर जी इंग्लैंड में 1 वर्ष रहने के पश्चात भारत वापस आ गए।
इंग्लैंड से वापस आने के बाद टैगोर जी ने घर के शांतिपूर्ण वातावरण में बांग्ला भाषा सीखने का कार्य आरंभ कर दिया और शीघ्र ही उन्होंने बांग्ला भाषा में ज्ञान प्राप्त कर लिया तथा उन्हें प्रसिद्धि भी प्राप्त हुई।
टैगोर जी ने अनेक कविताएं, छोटी कहानियां और उपन्यास, नाटक तथा निबंध लिखें और उनकी रचनाएं सर्वप्रिय हो गई। रवींद्रनाथ टैगोर जी को उनकी काव्य रचना गीतांजलि के लिए उन्हें सन 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
रवींद्रनाथ टैगोर जी ने अपनी रचनाओं का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में भी किया था और उनके प्रकाशित कृतियों में गीतांजलि, गीतिमाल्य की कहानियां, कणिका, गीताली आदि प्रमुख रूप से शामिल थे। हमारे भारत देश के राष्ट्रगान के रचयिता भी रविंद्र नाथ टैगोर जी हैं।
टैगोर जी की मृत्यु 7 अगस्त 1941 को कोलकाता में हुई थी, रविंद्र नाथ टैगोर जी को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता था। टैगोर जी एक दार्शनिक कलाकार और चित्रकार तथा समाज सुधारक भी थे उन्होंने समाज को सुधारने में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था।
रविंद्र नाथ टैगोर जी ने कोलकाता के समीप एक स्कूल स्थापित किया था जो वर्तमान में विश्व भारती के नाम से प्रसिद्ध है।
उपसंहार
रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी कविताओं और कहानियों के माध्यम से प्यार और सौहार्द्र के बारे में अच्छे से बताया है, टैगोर जी एक महान भारतीय कवि थे। टैगोर जी के पूर्वी नाम की रचना बहुत प्रसिद्ध थी जिसमें उन्होंने सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक आदि जैसे बहुत सारे विषयों के जरिए सुबह और शाम के गीत को दर्शाया है।
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मेरा प्रिय लेखक पर निबंध 2
प्रस्तावना
मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्यकारों में मुझे सबसे ज्यादा पसंद है, उनकी की रचनाएं दिल को छू लेने वाली होती है। मुंशी प्रेमचंद जी की कला बहुत बेहतरीन होती है जो मुझे बहुत पसंद आती है। मुंशी प्रेमचंद जी ने उर्दू भाषा में भी कई रचनाएं की है और उन्होंने अपने एक मित्र के सलाह पर अपना नाम प्रेमचंद रखा था।
प्रारंभिक जीवन और कार्य
प्रेमचंद जी का जन्म 1880 ईस्वी में वाराणसी के लम्ही नामक स्थान में हुआ था। प्रेमचंद जी का प्रारंभिक जीवन बहुत कष्टमय था, प्रेमचंद जी के 7 साल के उम्र में ही उनकी माता का देहांत हो गया और जब प्रेमचंद जी 14 वर्ष के थे तब उनके पिता भी उन्हें छोड़ कर चले गए।
उनके माता-पिता के देहांत के बाद प्रेमचंद जी का 15 साल की उम्र में ही विवाह हो गया, और उनका विवाह सफल नहीं हुआ इसके बाद उन्होंने 1906 में विधवा विवाह का समर्थन करते हुए एक बाल विधवा शिवरानी से विवाह किया।
प्रेमचंद जी प्रारंभ में नवाब राय का नाम लिखते थे किंतु 1910 में उनके लिखे कृतियों को जप्त कर लिया गया और हमीरपुर के तत्कालीन कलेक्टर ने उनकी रचना सोजे वतन के लिए उन्हें चेतावनी दी कि आगे से वह किसी भी रचना के बारे में ना लिखें अगर लिखा तो उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा।
पहले प्रेमचंद जी उर्दू में लिखा करते थे और उन्होंने अपने एक मित्र के सलाह पर प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे, प्रेमचंद जी जीवन के अंतिम क्षण में गंभीर रूप से बीमार हो गए थे जिसके कारण 1936 में उनका देहांत हो गया।
प्रेमचंद जी की अंतिम रचना मंगलसूत्र अधूरी छूट गई जिसे बाद में उनके बेटे अमृत राय के द्वारा पूरा किया गया।
प्रेमचंद की रचनाएं
उपन्यास – गबन 1931, गोदान 1936, सेवा सदन 1918, कर्मभूमि 1920, वरदान 1921, प्रेमाश्रम 1921 आदि प्रमुख उपन्यास रचनाएं हैं।
कहानियां – प्रेमचंद जी की कहानियां निम्न हैं – पंच परमेश्वर, दो बैलों की कथा, ईदगाह, पूस की रात, बूढ़ी दादी आदि।
कहानी संग्रह – सप्त सरोज, प्रेम पूर्णिमा, नव निधि, प्रेम पचीसी, प्रेम प्रतिमा, प्रेम द्वादशी, समय यात्रा, मानसरोवर आदि प्रेमचंद जी की कहानियां संग्रह है।
प्रेमचंद जी के प्रसिद्ध लेख – साहित्य का उद्देश्य, पुराना जमाना नया जमाना, स्वराज के फायदे, कहानी कला, हिंदू उर्दू की एकता, कौमी भाषा के विषय में कुछ विचार, महाजनी सभ्यता और कहानी कला आदि।
उपसंहार
प्रेमचंद जी की प्रशंसा जितनी की जाए उतनी कम होती है। प्रेमचंद जी के उपन्यास दुनिया के कई भाषाओं में स्थानांतरित किए गए हैं जिससे पता चलता है कि उनके उपन्यास बहुत प्रसिद्ध है।
प्रेमचंद हिंदी और उर्दू के प्रसिद्ध लेखक हैं उन्होंने हिंदी में कहानी और उपन्यासों के लेखन के लिए एक मार्ग की स्थापना की थी। प्रेमचंद जी को मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है प्रेमचंद जी एक सच्चे नागरिक और संवेदनशील लेखक तथा सकुशल प्रवक्ता थे।
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मेरा प्रिय लेखक पर निबंध 3
प्रस्तावना
मेरे प्रिय लेखक पुल देशपांडे का जन्म 8 नवंबर 1919 को हुआ था, देशपांडे जी ने मुंबई और पुणे में एलएलबी तक की शिक्षा प्राप्त की थी और साहित्य को पढ़ने के लिए बंगाली साहित्य में उन्हें विशेष रूचि थी जिसके कारण देश पांडे जी ने संस्कृत के साथ-साथ बंगाली में भी साहित्य को सीखा था।
देशपांडे जी के लेखन के सभी पात्र सामान्य स्तर के हैं और उनके दैनिक जीवन के हिस्से भी है। देशपांडे जी ने मानव प्रकृति के विभिन्न पहलुओं के बारे में अवगत कराया था और उन्होंने फिल्म, नाटक आदि का एकल प्रयोग किया है जिसमें सभी चीजें होती हैं जो लोगों को खुशी देती है।
देशपांडे जी ने राइटिंग प्रेजेंटेशन के साथ-साथ एक्टर का भी जिम्मेदारी बहुत अच्छे से निभाया था उन्होंने पूल के संवाद, गीत अभिनय,आदि के माध्यम से दर्शकों को बहुत खुशी दी है।
देशपांडे जी का निधन 12 जून 2000 को हुआ था, उस वक्त समाचार पत्र, पत्रिका, साप्ताहिक और समाचार पत्रों के माध्यम से उनके सम्मान में एक संस्मरण लिखा जाता था।
उपसंहार
देशपांडे जी की कविता ज्यादातर रोजमर्रा की जिंदगी से संबंधित होती है और वे अक्सर उन तनाव को दूर करने के लिए लिखते हैं जो उनके अंदर उत्पन्न होता रहता है। देशपांडे जी ने पुणे विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी।
देशपांडे जी द्विभाषी लेखिका है जो मराठी में लघु कथाएं लिखती हैं और उन्होंने मराठी में तीन उपन्यास भी लिखे हैं देशपांडे जी का पूरा नाम गौरी देशपांडे है।
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निष्कर्ष –
आशा करते है दोस्तों आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा, पहले सभी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है, विद्यार्थियों के अलावा अन्य लोगों के लिए भी यह लेख ज्ञानवर्धक है।
यदि आपको और भी विषयों पर निबंध लेखन चाहिए तो हमारे वेबसाइट में लिखी गई है जो आप सभी को आसानी से समझ आ जाएगी और आप आसानी से निबंध लेखन कर सकेंगे।
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अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रेमचंद जी ने कितने कहानियां और उपन्यास लिखे था?
मुंशी प्रेमचंद जी ने अपनी रचना में लगभग 300 कहानियां और एक दर्जन उपन्यास के कई लेख लिखे था तथा इनके अलावा उन्होंने नाटक भी लिखा था तथा मजदूर फिल्म की कहानी भी मुंशी प्रेमचंद जी ने लिखा है।
रविंद्र नाथ टैगोर जी का जन्म कब हुआ था और उनके माता-पिता का क्या नाम था?
रवींद्रनाथ टैगोर जी का जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में हुआ था, तथा टैगोर जी के माता का नाम शारदा देवी और पिता का नाम महर्षि देवेंद्र नाथ टैगोर था।
प्रेमचंद जी के उपन्यास और कहानियों का नाम बताइए ?
प्रेमचंद जी के उपन्यास का नाम गबन, गोदान, सेवा सदन, कर्मभूमि, वरदान और प्रेम आश्रम है तथा उनके कहानियों का नाम पंच परमेश्वर, दो बैलों की कथा, पूस की रात, बूढ़ी दादी और ईदगाह आदि है।
प्रेमचंद जी का जन्म कब और कहां हुआ था ?
प्रेमचंद जी का जन्म 1880 ईस्वी में वाराणसी के लम्ही नामक स्थान पर हुआ था।
रविंद्र नाथ टैगोर जी के प्रकाशित कृतियों के नाम बताइए ?
रविंद्र नाथ टैगोर के प्रकाशित कृतियों का नाम – गीतांजलि, गीताली, कणिका और क्षणिका आदि प्रमुख हैं।
मुंशी प्रेमचंद जी का निधन कब और क्यों हुआ था ?
मुंशी ट्रेन चार्ट का निधन 8 अक्टूबर 1936 को हुआ था वह बहुत बीमार थे जिसके कारण उनका निधन हुआ था।
गौरी देशपांडे ने पीएचडी की डिग्री कहां से प्राप्त की थी ?
गौरी देशपांडे ने पुणे विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अमृत यादव है और पेशे से मैं एक ब्लॉगर और लेखक हूं, जो लेख आप अभी पढ़ रहे हैं वह मेरे द्वारा लिखा गया है, मैं अभी बीकॉम फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा हूं।