परोपकार पर निबंध | Essay on Philanthropy in Hindi

नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे लेख में, हम आज के लेखक में परोपकार पर निबंध के बारे में जानेंगे जो आपके लिए उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण तथा ज्ञानवर्धक साबित हो सकता है इससे आप सभी को परोपकार से संबंधित सारी जानकारियां मिलेंगी।

यह निबंध लेख बहुत महत्वपूर्ण निबंध लेख है क्योंकि इस विषय पर अक्सर स्कूल और कॉलेज में बच्चों को निबंध लिखने के लिए प्रश्न दिया जाता है, यदि आप सभी को परोपकार पर निबंध लिखने को दिया जाए तो आप इस आर्टिकल के माध्यम से आसानी से परोपकार पर निबंध लिख सकते हैं।

परोपकार का अर्थ होता है दूसरे व्यक्ति का मदद करना हम सभी को हमेशा परोपकार करना चाहिए हम परोपकार करके अपने जीवन में हमेशा खुश रह सकते हैं तथा हम सभी के जीवन का उद्देश्य किसी भी प्रकार से दूसरे व्यक्ति की सहायता करना होना चाहिए।

परोपकार पर निबंध ‌1

प्रस्तावना

परोपकार व्यक्ति को निस्वार्थ रूप से दूसरे लोगों की सेवा अथवा सहायता करना सिखाता है, इसलिए हम सभी को परोपकार का सीख लेना चाहिए और सदैव दूसरे व्यक्ति की मदद करनी चाहिए। परोपकार समाज में प्रेम भाव तथा भाईचारा का भावना फैलाता है और हमें एक समृद्ध भारत के लिए परोपकार के महत्व को समझना चाहिए।

हमारी पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे होते हैं जिनमें परोपकार की भावना होता है इसी के कारण पेड़ पौधे कभी अपना फल नहीं खाते परंतु हम मनुष्यों को बिना किसी स्वार्थ के देते हैं, परोपकार से हमारे हृदय को शांति और आनंद के अनुभव प्राप्त होती है जो हम सभी के जीवन के लिए महत्वपूर्ण होता है।

किसी भी समाज और देश में प्रकार से बढ़कर कोई भी धर्म नहीं होता है परोपकार की भावना से हम बिना किसी स्वार्थ के दूसरे व्यक्ति की मदद कर सकते हैं और दूसरों के बीच अच्छे संबंध भी स्थापित कर सकते हैं। मनुष्य जीवन के विकास के लिए परोपकार का होना बहुत आवश्यक है परोपकार के गुणों में सबसे अच्छा गुण होता है।

हमें किसी भी व्यक्ति या जरूरतमंद इंसान का समय पड़ने पर मदद करना चाहिए और यदि कोई जानवर किसी परेशानी में है तो जानवर का भी सहायता करना चाहिए और यह सहायता ही परोपकार कहलाता है, हम सभी के मानव जीवन का उद्देश्य परोपकार करना होना चाहिए।

हम परोपकार की भावना का शुरुआत अपने घर से कर सकते हैं क्योंकि जो व्यक्ति अपने परिवार में परोपकार कर सकता है वह व्यक्ति ही जीवन में आगे बढ़ सकता है तथा जो व्यक्ति परोपकार की शुरुआत अपने घर से नहीं कर सकता वह किसी और के लिए भी परोपकार की भावना नहीं रख सकता है।

हमें बचपन से ही अपने परिवार के बच्चों को दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करना चाहिए और बचपन से ही इमानदारी का कार्य करने को सिखाना चाहिए ताकि भविष्य में एक बेहतर समाज का रचना किया जा सके। जीवन के विकास के लिए सबसे श्रेष्ठ गुण परोपकार का होता है,यह गुण हमेशा मानव जीवन को सफल बनाने में मदद करता है।

परोपकार का अर्थ

परोपकार दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, जिसका अर्थ दूसरों का मदद करना होता है, पर का अर्थ दूसरे लोग और उपकार का अर्थ कोई ऐसा कार्य जो बिना किसी स्वार्थ के किया गया हो, परोपकार हमें ईश्वर के समीप लाता है और मन में शांति का भी अनुभव होता है।

परोपकार की भावना ही मनुष्य को पशुओं से अलग बनाती हैं, हमारे भारत देश की संस्कृति विभिन्न जगहों पर इस प्रकार से देखने को मिलती है जहां करुणा, दया और लोगों के बीच सहानुभूति की भावना देखी जाती है।

हम सभी मनुष्यों का उद्देश्य होना चाहिए कि हम अपने साथ-साथ दूसरों के भी कल्याण कर सकें और दूसरे व्यक्ति के कल्याण के लिए कार्य कर सकें, प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य होता है अपने जीवन के साथ दूसरे व्यक्ति के जीवन को सफल बनाने में सहायता करना।

जो व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को दुखी देखकर दुखी हो जाता है वह मनुष्य परोपकारी होता है तथा जो व्यक्ति दुखी व्यक्ति को देखकर भी खुश रहता है और व्यक्ति को कोई फर्क नहीं पड़ता वह व्यक्ति पशु के समान होता है। जो गरीब व्यक्ति और असहाय व्यक्ति को देखकर भी उन पर परोपकार नहीं करता ऐसा व्यक्ति परोपकारी व्यक्ति नहीं होता है।

परोपकार का महत्व

प्रत्येक मनुष्य के जीवन में परोपकार का बहुत महत्व है, सभी मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और मनुष्य को अपने जीवन के अस्तित्व के लिए किसी ना किसी प्रकार से दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है, व्यक्ति को एक दूसरे की मदद करने की आवश्यकताएं होती है, एक दूसरे की सहायता के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं हो पाता है।

परोपकार के कारण मनुष्य स्वार्थहीन बनता है और मन को शांति की अनुभव होती है। हमें एक स्वस्थ समाज का विकास करने के लिए आपस में एक दूसरे के मन में परोपकार की भावनाएं होनी चाहिए, हमारे भारत देश में देश के विकास में और देश की आजादी में सहायता करने वाले व्यक्तियों में परोपकार का भावना रहता था।

महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर, राजेंद्र प्रसाद और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आदि महान व्यक्तियों ने अपने परोपकार के कारण ही राष्ट्रहित और मानव कल्याण के लिए विभिन्न प्रकार का कार्य किया था, जिन्होंने अपना सारे जीवन में दुख सहकर भी देश के लिए कार्य किया।

परोपकार से लाभ

परोपकार के शारीरिक और मानसिक कई लाभ हैं, यदि हम मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं तो हम शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहते हैं और यदि हम परोपकार करते हैं तो हमारे जीवन में हमेशा प्रसन्नता होती है हम हमेशा आनंदित होते हैं तथा हमारे ह्रदय को भी शांति की अनुभूति होती है।

परोपकार का भावना हमें जीवन को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाने में मदद करता है, और परोपकार पुण्य प्राप्त करने के लिए भी एक महत्वपूर्ण साधन होता है। जिस व्यक्ति के हृदय में परोपकार करने की भावना होती है वह व्यक्ति कई समस्याओं का सामना कर सकता है और हमेशा खुश रह सकता है।

परोपकारी व्यक्ति को जीवन में हमेशा सफलताएं मिलती है, और परोपकारी व्यक्ति कर्तव्यनिष्ठा था तथा सत्यनिष्ठा के गुणों से परिपूर्ण होता है परोपकारी व्यक्ति एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसे अपने जीवन में हमेशा आत्मा संतोष मिलता है और इसके साथ ही परोपकारी व्यक्ति की समाज में मान और प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।

उपसंहार

मनुष्य को हमेशा परोपकारी होना चाहिए और प्रत्येक मनुष्य तथा जीव जंतुओं का सहायता करना चाहिए, हमें अपने जीवन को समृद्ध बनाने के लिए परोपकार के भावना को अपनाना चाहिए तथा भविष्य में जीवन को सफल बनाने के लिए बच्चों को भी परोपकार के ज्ञान के बारे में बताना चाहिए।

परोपकार जीवन की सार्थकता होती है हम परोपकारी व्यक्ति बन कर जीवन भर लोगों के सहायता कर सकते हैं और जिस समाज में व्यक्ति को दूसरे की सहायता करने की भावना जितनी अधिक होती है वह समाज उतना ही अधिक सुखी और समृद्ध होता है। परोपकार का भावना मनुष्य का स्वाभाविक गुण होता है।

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परोपकार पर निबंध 2

प्रस्तावना

सभी मनुष्यों का प्रमुख कर्तव्य परोपकार करना होता है, जीवन के विकास के लिए परोपकार सबसे अच्छा गुण होता है । परोपकार का अर्थ दूसरों का भला करना और दूसरों की सहायता करना होता है, यदि कोई व्यक्ति या जानवर किसी मुसीबत में है तो हमें व्यक्ति और जानवर की मदद करनी चाहिए। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में परोपकार का बहुत महत्व होता है परोपकारी बनकर अपने मान और सम्मान को भी समाज तथा देश में बढ़ाया जा सकता है।

परोपकार एक ऐसी भावना होती है जो प्रत्येक व्यक्ति को अपने अंदर रखना चाहिए और इस भावना से सभी जरूरतमंद व्यक्तियों की सहायता करनी चाहिए। परोपकार प्रत्येक व्यक्ति को अपने आदत के रूप में विकसित करना चाहिए तथा बच्चों और अन्य व्यक्तियों को भी परोपकार की भावना के बारे में सिखाना चाहिए।

परोपकार का जीवन में महत्व

परोपकार का हम सभी के जीवन में विशेष महत्व होता है, क्योंकि परोपकारी व्यक्ति ही संसार में पुण्य प्राप्त कर सकता है। परोपकार का भावना हमें पूज्य बनाता है तथा समाज में हमारे मान सम्मान को भी बढ़ाता है। परोपकार समाज में प्रगति करने के लिए सबसे प्रमुख साधन है आज के वर्तमान और विज्ञान के तकनीकी युग में परोपकार की भावनाएं बहुत कम व्यक्तियों में होती है।

प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिए परोपकार की भावना को अपनाना चाहिए और जीवन के प्रत्येक क्षण दूसरे लोगों की मदद के लिए आगे रहना चाहिए। जो व्यक्ति दूसरों की मदद करता है हमेशा उस व्यक्ति कि हमेशा प्रगति होती है और परोपकारी व्यक्ति जीवन में हमेशा सफल व्यक्ति बनता है।

परोपकार से लाभ

परोपकार से मानव का व्यक्तित्व विकास होता है और परोपकार के कारण ही आत्म को शांति मिलती है तथा हमारे अंदर भाईचारे का भावना उत्पन्न होता है और हम समाज तथा देश में हमेशा एक दूसरे की सहायता करते हैं।

परोपकार से अलौकिक आनंद मिलता है और परोपकार प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है, परोपकार की भावना से व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को संकट से निकालने में मदद करता है और भूखे व्यक्ति को भोजन भी खिलाता है।

परोपकार करने से हमारे मन और आत्मा को बहुत शांति मिलती है। परोपकार की भावना से विश्व बंधुत्व की भावना में वृद्धि होती है तथा प्रत्येक मनुष्य को सुख का अनुभव दूसरे व्यक्ति की सहायता करने से मिलती हैं। जो व्यक्ति दूसरों के सुख के लिए जीते हैं उनका जीवन हमेशा खुशहाल और आनंद से भरा होता है।

उपसंहार

मानव जीवन में परोपकार बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि हमारे समाज में परोपकार से बढ़कर कोई भी धर्म नहीं होता है, अर्थात परोपकार मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ धर्म होता है, मनुष्य दूसरों को दुख में देखकर दुखी हो जाता है और मनुष्य के खुशी में खुश हो जाता है।

परोपकार और दूसरे व्यक्ति की सहायता करके हैं हम अच्छे समाज की स्थापना कर सकते हैं। परोपकार में स्वार्थ की भावना के लिए कोई स्थान नहीं होता है जिससे मन और आत्मा को बहुत शांति मिलती है तथा परोपकार से विश्व बंधुत्व की भावना भी बढ़ती है।

जो व्यक्ति परोपकारी व्यक्ति होता है अर्थात जिस व्यक्ति में परोपकार की भावना होती है वह व्यक्ति का जीवन आदर्श माना जाता है परोपकारी व्यक्ति को कभी भी आत्मग्लानि नहीं होती है और उनका मन हमेशा शांत रहता है।

परोपकारी व्यक्ति को हमेशा समाज में यश और सम्मान मिलता है इसलिए हम सभी को भी अपने जीवन में परोपकार की भावना से कार्य करना चाहिए तथा हमेशा दूसरों की मदद करते रहना चाहिए तभी हम समाज और देश में सम्मान प्राप्त कर सकते हैं।

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निष्कर्ष –

आशा करते हैं दोस्तों आप सभी को हमारा यह लेख बहुत पसंद आया होगा, तथा आप सभी के जीवन के लिए भी परोपकार पर निबंध ज्ञानवर्धक तथा उपयोगी होगा।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रकृति से हमें परोपकार की शिक्षा कैसे मिलती है?

प्रकृति हमें परोपकार की शिक्षा देता है, नदिया परोपकार की भावना से ही बहती हैं और पेड़ पौधे हमें हमेशा छाया देते हैं तथा विभिन्न प्रकार के फल भी प्राप्त कराते हैं। प्रकृति के कई ऐसे उपहार है जिनके द्वारा हमारे लिए परोपकार किया जाता है इस प्रकार से हमें प्रकृति से परोपकार की शिक्षा मिलती है।

परोपकार की शुरुआत कब हुई ?

परोपकार की शुरुआत 19वीं शताब्दी के अंत में निजी नींव के निर्माण के रूप में किया गया है। परोपकार के कारण शिक्षा, चिकित्सा, अनुसंधान और सार्वजनिक नीति आदेश अभी में बहुत सफलता मिला है।

परोपकार क्यों किया जाता है ?

परोपकार करने से हमारे मन को शांति मिलती है तथा परोपकारी व्यक्ति का हमेशा समाज में मान और सम्मान किया जाता है और पीड़ित वर्ग को भी सहायता मिलती है।

जीवन में परोपकार के महत्व को बताइए ?

हम सभी के जीवन में परोपकार का सबसे ज्यादा महत्व होता है परोपकार से हमारे आत्मा को शांति मिलती है तथा आत्म संतुष्टि होता है और परोपकार में निस्वार्थ भाव से कार्य किया जाता है जो प्रत्येक व्यक्ति को सफल बनाता है।

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