रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध | Essay on Rani Lakshmi Bai in Hindi

स्वागत है दोस्तों आपका अपने वेबसाइट में, आज के आर्टिकल में हम रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध लिखकर आए हैं, रानी लक्ष्मीबाई भारत की एक साहसी वीरांगना थी, उन्होंने हमारे देश को आजाद कराने के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिया, ऐसी वीरांगना के बारे में आप सभी को पता होना चाहिए,

हम आज रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध लेखन लेकर आए हैं जिसके द्वारा आप स्कूल में निबंध का प्रश्न लिख सकेंगे तथा रानी लक्ष्मी बाई के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे, रानी लक्ष्मीबाई देशभक्ति और आत्मसमर्पण की प्रतीक थी। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने जीवन में बहुत ज्यादा संघर्ष किया और उन्होंने अपने राज्य की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी तथा उन्होंने वीरगति को प्राप्त किया,

अगर आप स्कूल या कॉलेज के विद्यार्थी हैं तो आपने अक्सर देखा होगा की परीक्षा में रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध लेखन का प्रश्न दिया जाता है इस आर्टिकल को पढ़कर आप सभी विद्यार्थी इस निबंध को आसानी से समझ कर निबंध लिख सकते हैं, तो चलिए इस आर्टिकल को शुरू करते हैं.

रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 1

प्रस्तावना:-

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भारतीय वीरांगना थी, उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1835 में काशी नगरी में एक मराठा ब्राह्मण परिवार में हुआ था, रानी लक्ष्मीबाई के पिता जी का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी बाई था।

रानी लक्ष्मीबाई का असली नाम मणिकार्णिका था और सभी उन्हें मनु कह कर पुकारते थे, रानी लक्ष्मी बाई की माता धर्म और संस्कृति परागण भारतीयता की साक्षात मूर्ति थी, उन्होंने बचपन में मनु बाई को विभिन्न प्रकार के धार्मिक, सांस्कृतिक और शौर्यपूर्ण गाथाएं सुनाई थी, इससे मनु का मन और ह्रदय विविध प्रकार के उच्च और महान उज्जवल गुणों से परिपूर्ण होता गया।

जन्म और शिक्षा:-

लक्ष्मी बाई का जन्म भारत में उस वक्त हुआ जब अंग्रेज प्रशासन सम्राज्य के प्रसार एवं उसकी जड़ें जमाने में लगे थे, लक्ष्मीबाई के पिता मोरोपंत पेशवा बाजीराव के भाई चिम्मा जी के यहां बनारस में नौकरी करते थे, रानी लक्ष्मीबाई के जन्म के बाद मोरोपंत जी कानपुर जाकर पेशवा के साथ रहने लगे, लक्ष्मी बाई के सुंदरता के कारण लोग उन्हें छबीली कहने कहते थे, लक्ष्मी बाई 4-5 वर्ष की थी तभी उनकी माता का देहांत हो गया,

रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही अस्त्र शस्त्र चलाने, घुड़सवारी करने और नकली युद्ध करने की शौकीन थी, और धीरे-धीरे लक्ष्मी बाई इन कलाओं में भी पूर्ण रूप से शिक्षित हो गई।

विवाह तथा पति वियोग:-

रानी लक्ष्मीबाई के युवा होने पर उनका विवाह झांसी के अंतिम पेशवा राजा गंगाधर राव के साथ हुआ, और शादी के बाद उनका नाम लक्ष्मी बाई पड़ा, शादी के लगभग 1 वर्ष बाद लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया, परंतु दुर्भाग्यवश उनके पुत्र का 3 से 4 महीने बाद ही मृत्यु हो गया, पुत्र के दुखी में उनके पति गंगाधर राव बीमार पड़ गए, और उन्होंने दामोदर राव को गोद ले लिया।

कुछ समय बाद सन 1853 ईस्वी में राजा गंगाधर राव का भी देहांत हो गया, उसके बाद भी लक्ष्मी बाई नहीं टूटी और उन्होंने झांसी की शासन की बागडोर खुद संभाला।।

स्वतंत्रता युद्ध:-

लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से भारत को स्वतंत्र कराने का भी बहुत प्रयास किया, सन् 1857 ईसवी में सेना ने भी अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, मंगल पांडे इसके नेता थे देशभक्त वीरों ने कानपुर, मेरठ, लखनऊ आदि नगरों पर अधिकार कर लिया और इसके बाद उन्होंने दिल्ली के लाल किले पर भी अपना अधिकार जमा लिया,

लक्ष्मी बाई ने भी इस स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लिया, उन्होंने अंग्रेजी सेना को बुरी तरह से हरा दिया, तात्या टोपे और नाना साहब ने भी इस युद्ध में लक्ष्मीबाई का साथ दिया, लक्ष्मीबाई ने इस युद्ध में अपना रण कौशल दिखाया और लड़ते समय उनके दोनों हाथों में तलवार होती थी कथा युद्ध लड़ते समय उन्होंने दामोदर राव को पीठ पर बांध रखा था।

ग्वालियर पर अधिकार:-

रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया, अंग्रेजी सेना का उन्होंने जीना हराम कर दिया , और रानी लक्ष्मीबाई को कालपी जाना पड़ा, उन्होंने सोचा था कि ग्वालियर के राजा उनका साथ दें परंतु वे कायर और निकम्मे थे उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई का साथ नहीं दिया, और रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर के किले पर अधिकार कर लिया।

मृत्यु:-

अंग्रेजी सेना रानी लक्ष्मीबाई का लगातार पीछा कर रही थी, और उनकी सेना भी बहुत बड़ी थी जिससे रानी लक्ष्मीबाई को अपना घोड़ा दौड़ाना पड़ा, रानी लक्ष्मीबाई का घोड़ा नया था जिसके वजह से वह नाले को पार नहीं कर सका और अंग्रेजी सेना ने उन्हें घेर लिया, रानी लक्ष्मीबाई ने मरते दम तक मुकाबला किया और इसी युद्ध में उन्होंने वीरगति को प्राप्त किया।

उपसंहार:-

रानी लक्ष्मीबाई ने कठिन संघर्षों का सामना करते हुए हमारे देश को आजाद कराने में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाया, रानी लक्ष्मीबाई एक साहसी, बुद्धिमती और वीरांगना सेना थी, उन्होंने अपने प्राणों की चिंता ना करते हुए हमारे देश के आजादी के लिए प्राण न्यौछावर कर दिया, उन्होंने ब्रिटिश सरकार का बहुत विरोध किया और अपने झांसी को देने से इनकार कर दिया।

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प्रस्तावना:-

रानी लक्ष्मीबाई एक महान और साहसी विरांगना थी, उन्होंने देश की आजादी के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया, रानी लक्ष्मीबाई एक साहसी और पराक्रमी महिला की, रानी लक्ष्मीबाई ने पति गंगाधर राव की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने राज्य का कामकाज संभालने का फैसला किया और रानी लक्ष्मी बाई के उत्तराधिकारी बनने पर ब्रिटिश शासकों ने बहुत विरोध किया, इसके बाद रानी लक्ष्मीबाई एक साहसी योद्धा की तरह एक विरांगना बनी और उन्होंने लोगों के सामने वीरता की मिसाल कायम की,

रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा की धनी थी, जिसे उनके पिता मोरोपंत तांबे ने शुरुआत में ही भांप लिया था और उन्होंने उस दौर में जब लोग अपनी बेटीयों की शिक्षा पर ज्यादा महत्व नहीं देते थे, उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई को घर पर ही शिक्षा ग्रहण करवाया, इसके साथ ही उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई को वीर योद्धा की तरह निशानेबाजी, घेराबंदी, युद्ध की शिक्षा, सैन्य शिक्षा, घुड़सवारी, तीरंदाजी, आत्मरक्षा आदि का भी ज्ञान दिया।

जन्म और बाल्यकाल:-

रानी लक्ष्मी बाई का जन्म सन 1835 में हुआ, इनके बचपन का नाम मनु बाई था, इनकी माता का नाम श्रीमती भागीरथी था रानी लक्ष्मीबाई जब 4 वर्ष की थी तभी उनकी माता का देहांत हो गया।

विवाह:-

रानी लक्ष्मीबाई का विवाह 13 वर्ष की आयु में झांसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुआ, और वे झांसी की रानी बन गई तभी से उनका नाम लक्ष्मी बाई पड़ा, शादी के कुछ समय बाद उनका एक पुत्र हुआ, दुर्भाग्यवश कुछ समय बाद ही उनके पुत्र का मृत्यु हो गया, पुत्र की मृत्यु से गंगाधर राव को बहुत ज्यादा सदमा लगा और वे बीमार रहने लगे, इस सदमे के कारण उनके पति का भी मृत्यु हो गया, और महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी शासन से दामोदर राव को गोद लेने का इजाजत मांगा परंतु अंग्रेजी शासन ने इंकार कर दिया और झांसी को अंग्रेजी राज्य में ले लिया।

उपसंहार:-

रानी लक्ष्मी बाई झांसी की ऐसी योद्धा थी जिसने अपने देश की आजादी के लिए अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाई और उनसे लड़ाई लड़ी, और देश की आजादी के लिए उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दे दिया, रानी लक्ष्मीबाई हमारे देश की एक बहादुर और शक्तिशाली योद्धा थी, रानी लक्ष्मीबाई ने देश को अंग्रेजी शासकों के गुलामी से मुक्त कराने के लिए उनके ख़िलाफ़ उन्होंने बहुत संघर्ष किया,

महारानी लक्ष्मीबाई घुड़सवार की पोशाक में लड़ते लड़ते, 17 जून 1857 को शहीद हो गई, रानी लक्ष्मीबाई देशभक्ति और आत्मसम्मान की प्रतीक है, रानी लक्ष्मीबाई ने बचपन में ही घुड़सवारी, तलवार और बंदूक चलाना सीख लिया था, रानी लक्ष्मीबाई प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महान सेनापति थी।

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