हेलो दोस्तों आज हम आपके लिए भारत में शरणार्थी पर निबंध लेकर आए हैं, यह विषय देश के लिए एक अहम मुद्दा बन चुका है, आज के पोस्ट में आपको भारत में शरणार्थी पर निबंध से जुड़े समस्त जानकारियां देंगे, तो चलिए हम हमारे आज के आर्टिकल को शुरू करते हैं।

भारत में शरणार्थी पर निबंध 1
प्रस्तावना :-
हमारे भारत देश में शरणार्थियों की संख्या सर्वाधिक पाई जाती है, क्योंकि हमारा भारत देश दया, सहायता और निराश्रय को आश्रय देने की भावना रखता है। शरणार्थी का अर्थ शरण में आने वाले असहाय, जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है अर्थात बेघर तथा देश से निकाले गए निराश्रय और रक्षा चाहे जाने वाले व्यक्ति आदि शरणार्थियों की श्रेणी में आते हैं।
भारत देश शरणार्थियों की समस्या से जूझ रहा है, अंग्रेजी भाषा में इन्हें Refugee कहते हैं।
भारत में शरणार्थी का आगमन :-
हमारा भारत देश 1947 को आजाद हुआ, भारत देश के आजादी के बाद भारत ने पड़ोसी देशों के शरणार्थियों के विभिन्न समूहों को अपने देश में आश्रय दिया, क्योंकि हमारा भारत देश बहुत ही दयावान है ।
जिसमें शरणार्थियों के प्रति दया और सहायता का भाव रहता है, भारत ने पड़ोसी देशों के जिन शरणार्थियों को आश्रय दिया उनमें ब्रिटिश भारतीय क्षेत्रों के शरणार्थी भी शामिल थे।
शरणार्थी संकट :-
शरणार्थियों के कई कारण होते हैं जिनके कारण उन्हें अपने घर और देश को छोड़कर कहीं और जाना पड़ता है, जैसे युद्ध, भूखमरी, उत्पीड़न आदि सभी मजबूरियों के कारण उन्हें अपने जन्म स्थल को छोड़कर जाना पड़ता है।
असहाय लोग जीवन जीने की उम्मीद में अपने जन्म स्थल को छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
शरणार्थियों के समस्या का समाधान:-
शरणार्थियों के समस्या के समाधान के लिए अभयारण्य में सुरक्षित मार्ग को खुला छोड़ देना ,एक महत्वपूर्ण समाधान है, तथा इसके साथ ही सभी साथियों का पुनर्वास करना चाहिए और सबसे कमजोर शरणार्थियों के लिए पुनर्वास उपलब्ध कराना समस्या का एक महत्वपूर्ण समाधान है।
इनके समस्या के समाधान में लोगों को चिकित्सा सुविधा देना आदि सभी शामिल है। शरणार्थियों को सीमा पार करने के लिए बिना किसी दस्तावेज के अनुमति देना चाहिए और वह यात्रा जिस भी तरह से करना चाहते हैं उन्हें बिना किसी दस्तावेज के यात्रा की अनुमति देनी चाहिए।
शरणार्थियों को कष्ट नहीं देना चाहिए उन्हें बिना किसी खर्च के आश्रय देना चाहिए, शरणार्थियों को किसी भी देश के द्वारा दोषी नहीं समझा जाना चाहिए।
शरणार्थियों के लिए सरकार को भी कुछ नियम बनाए जाने चाहिए जिससे शरणार्थियों के साथ साथ अन्य देशवासियों को भी किसी भी प्रकार का परेशानी का सामना ना करना पड़े।
भारत की शरणार्थी संबंधी नीति:-
भारत में सामाजिक समस्या के समाधान के लिए कानून का अभाव है इसके बाद भी शरणार्थियों की समस्या में लगातार वृद्धि हुई है। विदेशी अधिनियम के अंतर्गत 1946 शरणार्थियों से संबंधित एकीकृत समस्याओं के समाधान करने में असफल रहता है।
विदेशी अधिनियम केंद्र ,सरकार को किसी भी विदेशी नागरिक को निर्वासित करने के लिए शक्ति प्रदान करता है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 में मुसलमानों को बाहर रखा गया और यह केवल हिंदू, पारसी, जैन, ईसाई , सिख तथा बांग्लादेश एवं पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सभी बौद्ध प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करता है।
भारत के संविधान में मनुष्य के जीवन और स्वतंत्रता के लिए उनका सम्मान करता है, तथा अरुणाचल प्रदेश में सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा सभी नागरिकों के लिए अधिकार उपलब्ध है, तथा विदेशी नागरिकों को भी समानता और जीवन जीने का अधिकार उपलब्ध है।
उपसंहार:-
भारत देश के पड़ोसी देशों से कई लोग उत्पीड़ित और भुखमरी के कारण भारत आते हैं उन्हें हमारे भारत देश में शरण अर्थात आश्रय दिया जाता है।
शरणार्थियों के लिए एक अलग नीति बनाना चाहिए जिससे शरणार्थियों को आश्रय मिले और वे देश के संसाधनों पर भी समस्या का कारण ना बने, भारत में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सबसे अधिक शरणार्थी आबादी हैं, आज तक उनके आश्रय के लिए समान कानून नहीं बनाए गए हैं।
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भारत में शरणार्थी पर निबंध 2
प्रस्तावना :-
शरणार्थी का अर्थ होता है लाचार, तथा रक्षा चाहने वाले व्यक्ति, और निराश्रय तथा उनके समूह को शरणार्थी कहते हैं। किसी भी कारणवश अपना घर, या जन्मस्थान देश छोड़कर किसी दूसरे देश में जाते हैं तो वे शरणार्थी कहलाते हैं। हमारे भारत देश में विभाजन के बाद भी कई शरणार्थी आए जिन्हें भारत देश ने शरण दिया।
भारत और शरणार्थी:-
हमारे भारत देश में शरणार्थियों का आने का इतिहास बहुत ही प्राचीन है, हमारे भारत देश में बने कानून और गैरकानूनी शरणार्थियों की जनसंख्या कहीं ज्यादा है और शरणार्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब आदि प्रदेशों के लाखों लोग अपना घर छोड़कर हमारे भारत देश के कई हिस्सों में बस गए वे सभी शरणार्थियों के अंतर्गत आते हैं।
हमारे भारत देश को स्वतंत्रता विभाजन के साथ मिली थी इसलिए सभी व्यक्ति इस विभाजन के निर्णय को लेकर चिंतित थे, भारत में जहां एक ओर कुछ लोग स्वतंत्रता मिलने की खुशियां मना रहे थे, वहीं दूसरी ओर शरणार्थियों और अल्पसंख्यकों को विभाजन का सबसे अधिक मूल्य चुकाना पड़ा था।
शरणार्थी समस्या :-
शरणार्थियों के प्रमुख समस्या युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं, पर्यावरण में परिवर्तन और मानव अधिकारों का हनन आदि समस्याएं हैं। जिन्होंने विश्व के कई देशों के निवासियों को अन्य देशों की शरण लेने पर मजबूर कर दिया है।
लगभग 6 करोड लोग हिंसा और अन्य परेशानियों के कारण अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं तथा लगभग 23 करोड़ लोग ऐसे हैं जो बेहतर जीवन की तलाश में दूसरे देशों की ओर जाने के लिए मजबूर हुए हैं।
लाखों-करोड़ों लोग इन परेशानियों के कारण पीड़ित है , सरकार को शरणार्थियों और प्रवासियों को प्रवास के दौरान होने वाले लूटपाट से बचाने और सीमा तक सुरक्षित पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।
व्यापार कौशल और श्रम की कमी के कारण शरणार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं, लोग रोजगार की तलाश में भी अपने देश को छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं, लाखों-करोड़ों लोगों को अधिकार से वंचित रहना पड़ रहा है जिससे उन्हें कई प्रकार के समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
शरणार्थी समस्या के प्रभाव:-
शरणार्थी राज्य और देश के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है, क्योंकि इससे देश के संसाधनों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है और इसके साथ ही जनसंख्या में वृद्धि होती है जिससे राज्य और गरीब होते जाता है, तथा शरणार्थियों के समस्या के कारण जोखिम भी उत्पन्न हो सकता है।
हमारे भारत देश में शरणार्थी समस्या सरकार के कमियों का ही परिणाम है, क्योंकि संविधान में नागरिकता संबंधी कानून बनाने की पूर्ण शक्ति संसद को प्रदान की गई है परंतु सरकार के सदस्यों के संदर्भ में अभी तक कोई स्पष्ट नीति नहीं है।
शरणार्थी समस्या वर्तमान में दुनिया के समक्ष एक गंभीर विषय बन कर उभरा हुआ है, जिसका कोई समाधान उपलब्ध नहीं है। शरणार्थियों में सबसे पहली समस्या भाषा की आती है क्योंकि उन्हें जिस देश में शरण मिले वहां की भाषा वहां की भाषा शरणार्थियों को आती हो यह संभव नहीं है।
जिससे शरणार्थियों को भाषा सीखने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, भाषा नहीं समझ पाने के कारण उन्हें भोजन खरीदने तथा इलाज आदि सभी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
उपसंहार:-
हमारे भारत देश में शरणार्थियों के आने का इतिहास बहुत ही पुराना है, भारत देश में कई देशों के लोगों को शरण दिया है, विभिन्न देशों से लोग उत्पीड़न, भूखमरी तथा युद्ध आदि कारणों से अपनी जिम्मेदारी को छोड़ने के लिए विवश हो जाते हैं।
अपने देश को छोड़कर किसी दूसरे देश में चले जाते हैं जहां उन्हें शरणार्थी के नाम से जाना जाता है। हमारे भारत देश में भी तिब्बती और बांग्लादेश के शरणार्थी आए जिसे भारत देश ने आश्रय दिया।
निष्कर्ष –
आशा करते हैं आपको हमारा आज का आर्टिकल पसंद आया होगा, यह विषय हमारे देश के लिए एक समस्या के साथ-साथ अहम मुद्दा बना हुआ है, हमने हमारे इस पोस्ट में इससे संबंधित सारी जानकारी देने की कोशिश की है जो आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अमृत यादव है और पेशे से मैं एक ब्लॉगर और लेखक हूं, जो लेख आप अभी पढ़ रहे हैं वह मेरे द्वारा लिखा गया है, मैं अभी बीकॉम फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा हूं।