स्वागत है दोस्तों आपका अपने वेबसाइट में, आज के आर्टिकल में हम ग्लोबल वार्मिंग निबंध हिंदी में लेकर आए हैं, ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से मानव प्रेरक कारणों के कारण होता है,
आप सभी विद्यार्थियों को स्कूल में निबंध लेखन का प्रश्न ग्लोबल वार्मिंग पर दिया जाता है तो आप इस आर्टिकल के माध्यम से निबंध को आसानी से लिख सकते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध1
प्रस्तावना:-
वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पूरी मानव जाति हेतु एक चिंता की विषय बन चुकी है, ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी समस्या है जो एक बार बढ़ गई तो इसे संतुलित कर पाना बड़ा ही मुश्किल होता है। वैज्ञानिकों के मतानुसार यदि ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले समय में इस पृथ्वी पर जीवन यापन करना असंभव हो जाएगा।
पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ते स्तर के कारण धरती की सतह का तापमान लगातार बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग होता है, यह विश्व समुदाय के लिए एक बड़ा और गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है,
पृथ्वी पर कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ने से इंसानी जीवन पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ सकता है इससे लगातार गर्म हवाएं अचानक से तूफान, अप्रत्याशित चक्रवात, ओजोन परत में क्षरण, बाढ़, भारी बरसात, महामारी आदि में वृद्धि हो सकती है।
कार्बन डाइऑक्साइड के अधिक उत्सर्जन का कारण जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग, खाद का इस्तेमाल, पेड़ों की कटाई, फ्रीज और अत्यधिक बिजली के इस्तेमाल आदि है।
ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ:-
औद्योगिक क्रांति के बाद यह औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं, ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ प्रदूषण के कारण पृथ्वी के तापमान में होने वाली वृद्धि से है।
हमारी पृथ्वी ग्लोबल वार्मिंग के समस्या के कारण दिन प्रतिदिन अधिक गर्म होती जा रही है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण:-
ग्लोबल वार्मिंग के बहुत से कारण है जैसे कि वनों की अंधाधुंध कटाई, जनसंख्या विस्फोट, आवश्यकता से अधिक आधुनिकीकरण, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, ग्रीन हाउस प्रभाव आदि,
ग्रीन हाउस में शामिल गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन एवं जलवाष्प की मात्रा जब आवश्यकता से अधिक बढ़ने लगती है तो यह पृथ्वी में तापमान को आवश्यकता से अधिक बढ़ा देती है।
ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम:-
मौसम में बदलाव, अत्यधिक गर्मी का पड़ना, समुद्र में जल स्तर का बढ़ना, प्राकृतिक आपदा आना, ओजोन परत में छेद होना आदि ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम होते हैं तथा तापमान में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ जाती है।
समस्या का समाधान:-
ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं और ऐसे कार्यों को ना करें जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती हैं, हमें ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कम करना चाहिए।सरकारी एजेंसियों, व्यवसाय प्रधान, निजी क्षेत्र, एनजीओ आदि द्वारा बहुत से कार्यक्रम ग्लोबल वार्मिंग कम करने के लिए चलाए जाते हैं।
हमें ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से बचने के लिए प्रदूषण नहीं करना चाहिए तथा अधिक मात्रा में पौधारोपण करना चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग पर ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव:-
ग्रीन हाउस गैस अर्थात कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, हाइड्रो फ्लोरो कार्बन, सल्फर हेक्साफ्लोराइड आदि किसी भी ग्रीनहाउस गैस का प्रभाव उसकी मात्रा में वृद्धि, वायुमंडल में इसकी अवधि और विकिरण की तरंग धैर्य पर आधारित होता है।
- कार्बन डाइऑक्साइड मुख्य ग्रीनहाउस गैस है जो वायुमंडल में सबसे ज्यादा मात्रा में मौजूद होता है, इसका उत्सर्जन मुख्यतः जीवाश्म ईंधन के दहन से होता है। यह लगभग 0.5 % प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है।
- क्लोरोफ्लोरोकार्बन एंथ्रोपोजेनिक गतिविधि के कारण उत्पन्न होती है, ओजोन समताप मंडल में मौजूद है जहां पराबैंगनी विकिरण ऑक्सीजन को ओजोन में परिवर्तित करते हैं, इसलिए अल्ट्रावायलेट किरणें पृथ्वी की सतह तक नहीं पहुंचती है।
क्लोरोफ्लोरोकार्बन समताप मंडल पहुंचकर ओजोन को नष्ट कर देता है जो स्पष्ट रूप से अंटार्कटिका के ऊपर देखा जा सकता है। समताप मंडल में ओजोन सांद्रता में कमी को ओजोन छिद्र के रूप में जाना जाता है, ओजोन छिद्र पराबैगनी किरणों को क्षोभ मंडल से गुजरने देता है। - नाइट्रस ऑक्साइड प्राकृतिक रूप से महासागरों और वर्षा वनों द्वारा निर्मित होती है। नाइट्रस ऑक्साइड से मानव निर्मित स्त्रोतों में नायलॉन और नाइट्रस एसिड का उत्पादन, कृषि में उर्वरकों का उपयोग, उत्प्रेरक कनवर्टर वाली कारें और कार्बनिक पदार्थों का जलना शामिल है।
- हाइड्रोफ्लोरोकार्बंस का उपयोग रेफ्रिजरेटर के रूप में किया जाता है, यह भी ओजोन परत को नष्ट करती है।
- सल्फर हेक्साफ्लोराइड अब तक के खोजों की सबसे शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैस है जो फ्लोराइड के उत्पादन के परिणाम स्वरूप उत्सर्जित होती है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव:-
- समुंद्र का बढ़ता स्तर समुद्री पानी का ऊपर बढ़ना, बाढ़ आदि ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख प्रभाव में से एक है।
- वर्षा में बदलाव कुछ क्षेत्रों में सूखे और आग लगते हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों में बाढ़ आती है, यह सब वर्षा के बदलाव के कारण होता है।
- बर्फ की चोटियों का पिघलना ,पुराने ग्लेशियरों का पिघलना।
- इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव पृथ्वी पर भी पड़ता है।
उपसंहार:-
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, इससे हमें सदैव सावधान रहना चाहिए, यह कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि करता है,
और ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता है, इस समस्या के समाधान के लिए हमें अधिक से अधिक वृक्षों को लगाना चाहिए।
सम्बंदित निबंध : –
ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 2
प्रस्तावना:-
आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग पर्यावरण की एक बड़ी समस्या है, ग्लोबल का अर्थ पृथ्वी और वार्मिंग का अर्थ गर्म, अर्थात पृथ्वी की सतह पर औसतन तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग कहलाता है,
इसका कार्य पृथ्वी के तापमान का बढ़ना और उसके कारण और मौसम में परिवर्तन होना, आज के समय में मनुष्य विकास के नाम पर प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है जिसके कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ता जा रहा है, जिससे धरती को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
पृथ्वी के तापमान के बढ़ने के कारण जल, वायु, भूमि पर बुरे परिणाम पड़ते हैं, इसके नतीजे बहुत खतरनाक होते हैं,इसे नियंत्रित करने के लिए हम सभी को योगदान देना चाहिए।
हमें पेड़ों की कटाई पर रोक लगाना चाहिए और अत्यधिक मात्रा में वृक्षारोपण करना चाहिए, हम सभी को ग्लोबल वार्मिंग जैसे गंभीर विषय पर सोचना चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग :–
घरातलीय वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि होने से वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि ही ग्लोबल वार्मिंग कहलाता है।
कारण:-
- जीवाश्म ईंधन जलाने से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड गैसों में वृद्धि से।
- वृक्षों की कटाई से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा का बढ़ना।
- वनों के जलाने से उत्पन्न मिथेन गैसों से।
- ग्रीन हाउस प्रभाव से उत्पन्न गैसों से।
प्रभाव:-
- मनुष्यों में डेंगू, मलेरिया, प्लेग, पीलिया, श्वसन संबंधी तथा चर्म रोगों में वृद्धि।
- समुद्र तल में जलस्तर का बढ़ना।
- जलवायु परिवर्तन।
- फसलों की उत्पादन में कमी।
- बर्फ पिघलने से बाढ़ का आना इसके बाद सूखा पड़ना।
ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के उपाय:-
- कार्बन डाइऑक्साइड को कम करना।
- अत्यधिक मात्रा में वृक्षारोपण करना।
- सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा में वृद्धि करना चाहिए।
- जीवाश्म ईंधनों काप्रयोग कम करना।
- क्लोरोफ्लोरोकार्बन को कम करने का उपाय करना चाहिए।
ग्रीन हाउस प्रभाव को प्रभावित करने वाले गैस:-
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
- मेथेन (CH4)
- क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC)
- नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)
- ओजोन गैंस (O2)
- ट्राई फ्लोरोमिथाइल सल्फर पेंटाफ्लोराइड।
उपसंहार:-
ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए जितना हो सके उतना प्रयास करना चाहिए, वृक्षारोपण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम किया जा सके, जिससे प्रदूषण नियंत्रण हो। औद्योगिक कचरे को नियंत्रित करना चाहिए जिससे हवा में फैलने वाली हानिकारक गैसों को रोका जा सके ,
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, हमें अपने सभी बुरी आदतों को त्याग देना चाहिए, क्योंकि यह कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि करता है और ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव की वजह से पृथ्वी का तापमान ऊपर जाता है, इसलिए हमें पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाना चाहिए और अधिक मात्रा में वृक्षारोपण करना चाहिए।
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