नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम हिन्दी वर्णमाला के बारे में चर्चा करेंगे. वर्णमाला को किसी भी भाषा की व्याकरण की रीढ़ की हड्डी माना जाता है और व्याकरण में अच्छी पकड़ बनाने के लिए वर्णमाला की गहराई से जानकारी होना आवश्यक है.
इसी प्रकार हिन्दी भाषा में भी व्याकरण को अच्छी तरीके से समझने के लिए इसकी आत्मा यानी कि हिन्दी वर्णमाला को पढ़ना बहुत जरुरी है.
अगर हम हिन्दी भाषा की बात करे तो यह विश्व की प्रमुख बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है. केवल भारत देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्वभर में हिन्दी भाषा को लोग बहुत पसंद करते है.
चलिए दोस्तों विस्तार से जानते है हिन्दी वर्णमाला और वर्णमाला के विभिन्न भागों की विस्तृत जानकारी. इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद आपको हिन्दी वर्णमाला के बारे में अच्छे से जानकारी हो जायेगी.

हिन्दी वर्णमाला क्या है? (Hindi Varnamala)
किसी भी भाषा की सबसे छोटी इकाई को ध्वनि कहा जाता है और ध्वनि को ही वर्ण कहा जाता है. यानी कि मौखिक रूप से भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है और लिखित रूप से भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण है.
वर्णमाला को परिभाषित करे तो वर्णों के व्यवस्थित समूह को ही वर्णमाला कहा जाता है. यह शब्द “वर्णमाला = वर्ण +माला ” से मिलकर बना है.
हिन्दी भाषा में वर्णों की संख्या की बात करे तो लेखन के आधार पर हिंदी भाषा में वर्णों की संख्या 52 है और उच्चारण के आधार पर हिंदी भाषा में वर्णों की संख्या 53 है.
यानि कि हिंदी वर्णमाला के दो भेद है पहला स्वर और दूसरा व्यंजन. चलिए अब आगे के विषय में हम वर्णमाला के इन्ही दो भेदों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे.
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हिन्दी वर्णमाला के भेद
हिंदी वर्णमाला यानि Hindi Alphabet को मुख्यतः दो भेदों में विभाजित किया है पहला भेद है स्वर जिनकी संख्या 11 है और दूसरा भेद है व्यंजन जिनकी संख्या 33 है 4 संयुक्त व्यंजन है 2 दिव्यगुण व्यंजन है 1 अनुस्वार और 1 विसर्ग है.
- स्वर – वर्णमाला में आने वाले ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता लिए स्वतंत्र रूप से होता है या जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस तालु, कण्ठ आदि से बिना रुकावट के निकलती है ऐसे वर्णों को स्वर कहा जाता है.
हिन्दी वर्णमाला के 11 स्वर निम्न है –
अ | आ | इ | ई | उ | ऊ |
ऋ | ए | ऐ | ओ | औ |
मात्रा के अनुसार वर्णमाला के 11 स्वर –
अ | मात्रा नहीं |
आ | ा |
इ | ि |
ई | ी |
उ | ु |
ऊ | ू |
ऋ | ृ |
ए | े |
ऐ | ै |
ओ | ो |
औ | ौ |
स्वरों का वर्गीकरण
हिन्दी वर्णमाला में उच्चारण के आधार पर स्वरों को निम्न भागों में विभाजित किया गया है –
- ह्रस्व स्वर – इन स्वरों के उच्चारण में समय कम लगता है जैसे अ, इ, उ
- लुप्त स्वर – इन स्वरों के उच्चारण में ज्यादा समय लगता है जैसे रे!, ओ!, हे! आदि इनको त्रिमात्रिक स्वर भी कहा जाता है.
- दीर्घ स्वर – इन स्वरों के उच्चारण में दो मात्रा या ह्रस्व की तुलना में अधिक समय लगता है जैसे आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
- व्यंजन – वर्णमाला में आने वाले ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है या उच्चारण के समय साँस तालु, कण्ठ आदि से रुकावट के साथ निकलती है ऐसे वर्णों को व्यंजन कहा जाता है.
उच्चारण करते समय साँस किस मुँह के किस भाग से टकराकर निकलती है यह व्यंजन वर्ग पर निर्भर करता है.
हिन्दी वर्णमाला के व्यंजन निम्न है –
क | ख | ग | घ | ङ |
---|---|---|---|---|
च | छ | ज | झ | ञ |
ट | ठ | ड | ढ | ण |
त | थ | द | ध | न |
प | फ | ब | भ | म |
य | र | ल | व | |
श | ष | स | ह | |
क्ष | त्र | ज्ञ | श्र |
व्यंजनों का वर्गीकरण
प्रयत्न स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण
हिंदी वर्णमाला में उच्चारण स्थान के आधार पर अलग-अलग भागों में वर्गीकृत किया गया है अर्थात व्यंजनों के उच्चारण के समय मुँह के अवयव एक दूसरे से मिलते है और उस उच्चारण स्थान से व्यंजन का उच्चारण होता है उसी आधार पर व्यंजनों को वर्गीकृत किया गया है.
- कण्ठ्य व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला में जिन व्यंजनों का उच्चारण कण्ठ की मदद से होता है उन्हें कण्ठ्य व्यंजन कहा जाता है जैसे क, ख, ग, घ, ङ आदि.
- तालव्य व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला में जिन व्यंजनों का उच्चारण जीभ और तालु के स्पर्श होता है उन्हें तालव्य व्यंजन कहा जाता है जैसे च, छ, ज, झ,
- मूर्धन्य व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला में जिन व्यंजनों का उच्चारण तालु के बीच वाले कठोर भाग यानी मूर्धा को जीभ के द्वारा स्पर्श करने से होता है उन्हें मूर्धन्य व्यंजन कहा जाता है. जैसे – ट, ठ, ड, ढ, ड़, ढ़, र, ष आदि.
- दन्त्य व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला में जिन व्यंजनों का उच्चारण जीभ के अगले भाग के द्वारा दांत को स्पर्श करने से होता है उन्हें दन्त्य व्यंजन कहा जाता है. जैसे – त, थ, द, ध, न, ल आदि.
- ओष्ठ्य व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला में जिन व्यंजनों का उच्चारण दोनों होठों में मिलने से होता है उन्हें ओष्ठ्य व्यंजन कहा जाता है. जैसे – प, फ, ब, भ, म आदि.
- दन्तोष्ठ्य व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला में जिन व्यंजनों का उच्चारण दांत और होठ के मिलने से होता है उन्हें दन्तोष्ठ्य व्यंजन कहा जाता है. जैसे – व.
- काकल्य व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला में जिन व्यंजनों का कण्ठ से थोड़े निचले भाग से होता है उन्हें काकल्य व्यंजन कहा जाता है जैसे – ह.
स्वर तंत्रियों के कम्पन के आधार व्यंजनों का वर्गीकरण
हम जब भी व्यंजनों का उच्चारण करते समय जब साँस बाहर की तरफ आती है तब या तो हमारी स्वर तंत्रियों में कम्पन होता है या कम्पन नहीं होता है इन्ही के आधार पर व्यंजनों को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है.
- सघोष व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय स्वर तंत्रिका में कंपन उत्पन्न होता है उन व्यंजनों को सघोष या घोष व्यंजन कहा जाता है जैसे – ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ढ़, ड़, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व, ह आदि.
- अघोष व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय स्वर तंत्रिका में कंपन उत्पन्न नहीं होता है उन व्यंजनों को अघोष व्यंजन कहा जाता है जैसे – क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ, श, ष, ह आदि.
प्राण वायु के आधार पर वर्गीकरण
हिन्दी वर्णमाला में व्यंजनों को उच्चारण के दौरान साँस की मात्रा के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है.
- अल्पप्राण व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के जिन व्यंजनों के उच्चारण के दौरान प्राण वायु की मात्रा कम निकलती है उन्हें अल्पप्राण व्यंजन कहा जाता है जैसे – क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म, ड़, ढ़ आदि.
- महाप्राण व्यंजन – हिन्दी वर्णमाल के जिन व्यंजनों के उच्चारण के दौरान प्राण वायु की मात्रा अधिक निकलती है उन्हें महाप्राण व्यंजन कहा जाता है जैसे – ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ठ, फ, भ, श, ष, स, ह आदि.
प्रयत्न विधि के आधार पर वर्गीकरण
- स्पर्श व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय साँस जीभ या होठ को छू कर निकलती है उन्हें स्पर्श व्यंजन कहा जाता है. जैसे – क-वर्ग, च-वर्ग, ट-वर्ग, त-वर्ग, प-वर्ग के वर्ण स्पर्श व्यंजन कहलाते है इनकी संख्या 25 होती है.
- स्पर्श – संघर्ष व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय साँस जीभ या होठ को छू कर संघर्ष करती हुई निकलती है उन्हें स्पर्श-संघर्ष व्यंजन कहा जाता है. जैसे – च, छ, ज, झ, ञ व्यंजन इसके उदहारण है.
- नासिक्य व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय साँस नाक से होकर निकलती है उन्हें नासिक्य व्यंजन कहा जाता है. जैसे – ङ, ञ, ण, न, म नासिक्य व्यंजन के उदहारण है.
- उत्क्षिप्त व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय जीभ तालु को छूते हुए एक झटके से नीचे आती है उन्हें उत्क्षिप्त व्यंजन कहा जाता है. जैसे – ड़ तथा ढ़ व्यंजन इसके उदाहरण है.
- लुंठित व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय साँस जीभ से टकराकर लुढ़कती हुई निकलती है उन्हें लुंठित व्यंजन कहा जाता है जैसे – र इसका उदहारण है.
- अन्तः स्थ व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय जीभ, तालु व होठों को थोड़ा सा छूते हुए निकलती है उन्हें अन्तःस्थ व्यंजन कहा जाता है. जैसे – य तथा व इसके उदहारण है.
- पार्श्विक व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय साँस जीभ के बगल यानी पार्श्व से निकलती है उन्हें पाश्विक व्यंजन कहा जाता है. जैसे – ल व्यंजन इसका उदहारण है.
- उष्म व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय साँस हमारे मुँह से घर्षण करती हुई निकलती है उन्हें उष्म व्यंजन कहा जाता है. जैसे – श, स, ष, ह इसके उदहारण है.
- संयुक्त व्यंजन – हिन्दी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जो दो व्यंजनों के मिलने से बने है उन्हें संयुक्त व्यंजन कहा जाता है. जैसे – क्ष =(क +ष), त्र =(त +र), ज्ञ =(ग +य), श्र =(श +र) व्यंजन इसके उदाहरण है.
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निष्कर्ष – इस लेख में हमने हिन्दी वर्णमाला के बारे में विस्तार से जानकारी दी जो हिन्दी व्याकरण का महत्वपूर्ण भाग है. उम्मीद है ये जानकारी आपको पसंद आई होगी. अगर आपको जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे. इस लेख से जुड़ा किसी भी प्रकार का सवाल कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है.

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम प्रवीन कुमार है . और में इस ब्लॉग का Owner हूँ. मुझे हिंदी में लेख लिखना पसंद है. और में आपके लिए सरल भाषा में लेख लिखता हूँ.