कालवाचक क्रिया विशेषण की परिभाषा, पहचान और उदाहरण

नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे वेबसाइट में, आज के लेख में हम आपके लिए कालवाचक क्रिया विशेषण की परिभाषा, पहचान और उदाहरण लेकर आए हैं। अगर आपको भी कालवाचक क्रिया विशेषण से संबंधित जानकारी चाहिए या आप कालवाचक क्रिया विशेषण की परिभाषा तथा पहचान और उदाहरण की तलाश कर रहे हैं तो यह लेख आपके लिए ही है।

आज के कालवाचक क्रिया विशेषण की परिभाषा, पहचान और उदाहरण के लेख को पढ़कर आप कालवाचक क्रिया विशेषण क्या है तथा इसके बारे में विस्तार पूर्वक जान सकते हैं और यह जानकारी आप अन्य लोगों को भी दे सकते हैं। यह लेख सभी लोगों के लिए उपयोगी है क्योंकि आजकल के सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में इन सभी से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

इस लेख के मदद से आप सभी विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं और इसे विद्यालय तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष रूप से अध्ययन किया जा सकता है। जिन क्रिया शब्दों से किसी कार्य के संपन्न होने का समय ज्ञात होता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है इसमें विभिन्न प्रकार के शब्दों को सम्मिलित किया गया है ।जैसे निरंतर, कल, घड़ी घड़ी, पीछे, बाद में, यदा तथा तब आदि।

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कालवाचक क्रिया विशेषण

ऐसी क्रिया विशेषण जिससे किसी क्रिया के होने के समय का ज्ञात होता है या किसी क्रिया के होने का समय पता चलता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। अर्थात जिन शब्दों से हमें क्रिया के विशेषताओं का पता चलता है उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण कहा जाता है। जैसे उदाहरण के लिए , प्रिया धीरे-धीरे गाना गाती है। मोहन अपना कार्य जल्दी-जल्दी करता है। मम्मी कमरे के बाहर खड़ी है।

क्रिया विशेषण एक ऐसा शब्द है जिससे किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है, और क्रिया विशेषण का प्रयोग प्रायः वाक्य में क्रिया से तुरंत पहले किया जाता है। क्रिया विशेषण अविकारी शब्द है अर्थात इसमें वचन, कारक, काल, लिंग आदि के कारण कोई भी परिवर्तन नहीं आता है। क्रियाविशेषण हमेशा अपने मूल रूप में प्रयुक्त होता है।

कालवाचक क्रिया विशेषण हमारे किसी भी क्रिया के होने के समय काल को बताता है अर्थात इससे किसी क्रिया के होने की समय पता चलती है। यदि सरल शब्दों में देखें तो कालक्रम क्रिया विशेषण से किसी क्रिया के होने की विशेषता ज्ञात होती है। अर्थात कालवाचक क्रिया विशेषण से क्रिया के होने के समय का पता चलता है ।

कालवाचक क्रिया विशेषण की परिभाषा

ऐसी क्रिया विशेषण जो किसी क्रिया के होने के समय काल और विशेषताओं को बताती है उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है। अर्थात कालवाचक क्रिया विशेषण क्रिया के विशेषताओं का ज्ञात कराती है।

“वाक्य में ऐसे शब्द जिनके सहायता से क्रिया के होने के समय का ज्ञात होता है कालवाचक क्रिया विशेषण कहलाता है।”

कालवाचक क्रिया विशेषण के वाक्यों में अधिकतर आज, कल, दिन, रात, शाम, सुबह, महीनों के नाम आदि प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए-

जैसे- मैं सुबह स्कूल जाऊंगा।

सुबह और शाम को टहलना सेहत के लिए अच्छा होता है।

3 दिन बाद मेरा एग्जाम है।

10 दिन के बाद घूमने जाना है।

कल मेरा इंटरव्यू है।

परसों को मैं मामा के घर जाऊंगा।

उदाहरण

  • कल बरसात होगी , इस वाक्य में हमें बरसात होने के समय का बोध हो रहा है।
  • श्याम कल मेरे घर आएगा।
  • वह कल आई थी।
  • तुम अब जा सकते हो।
  • अब मैं स्कूल जा रही हूं।
  • रंजना मेरे घर अभी अभी तो आई थी।
  • वह पहले कभी नहीं आई।
  • बेबी बार-बार मेरे घर आ जाती है।
  • मेरी सहेली अभी आ जाएगी।

क्रिया विशेषण के भेद

क्रिया विशेषण के चार भेद होते हैं –

1. कालवाचक क्रिया विशेषण

जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के होने का समय ज्ञात होता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है, इस प्रकार के क्रियाविशेषण से किसी कार्य के होने का समय पता चलता है। जैसे –

अभी-अभी, बार बार, कल, परसों, अब तक, पीछे, पहले आदि।

उदाहरण
  • रवि अभी तक पढ़ रहा है।
  • प्रिया बार-बार घूमने क्यों जाती है?
  • परसों कौन सा दिन है?
  • कल कहां जा रहे हो?

2. रीतिवाचक क्रिया विशेषण

ऐसा अविकारी शब्द जो किसी क्रिया के रीति का बोध कराता है, रीति वाचक क्रिया विशेषण कहलाता है। उदाहरण – कदाचित, सचमुच, कदापि, वैसे, इसलिए, मात्र आदि

  • कल रविवार है इसलिए स्कूल नहीं जाना है।
  • वैसे कल कहां जा रहे हो?
  • कल घूमने नहीं जाऊंगा क्योंकि परसों एग्जाम है।

3. स्थान वाचक क्रिया विशेषण

ऐसा अविकारी शब्द जिससे किसी क्रिया के संपादित होने के स्थान का बोध होता है, उन्हें स्थान वाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है। जैसे -यहां, वहां ,कहां, जहां, नीचे, ऊपर ,आगे ,बाहर ,अंदर आदि।

उदाहरण

ऊपर पंखा चलती है।

घर के अंदर खाना है।

बाहर धूप है।

मैं वहां जा रही हूं।

लता वहां चल रही है।

4. परिणाम वाचक क्रिया विशेषण

परिणाम वाचक क्रिया विशेषण एक ऐसा अविकारी शब्द है जिससे किसी क्रिया के परिमाण अथवा निश्चित संख्या का बोध होता है। अर्थात जिस अविकारी शब्द से किसी क्रिया के परिमाण अथवा निश्चित संख्या का बोध होता है उन्हें परिणाम वाचक क्रिया विशेषण कहा जाता।

जैसे – एक-एक करके, थोड़ा, कितना, थोड़ा-थोड़ा, जितना कुछ आदि।

कालवाचक क्रिया विशेषण की पहचान

कालवाचक क्रिया विशेषण की पहचान करना बहुत आसान है, किसी भी वाक्य में यदि आपको भूतकाल, भविष्य काल या वर्तमान काल में प्रयोग होने वाले शब्दों का प्रयोग दिखता है तो आप वहां समझ सकते हैं कि इस क्रिया में विशेषण का प्रयोग हुआ है। दूसरी तरह से आप कालवाचक क्रिया विशेषण की पहचान किसी कार्य के होने के समय ज्ञात होने की स्थिति के आधार पर कर सकते हैं। यदि आपको किसी कार्य के होने का समय ज्ञात हो जाता है तब भी आप क्रिया विशेषण का प्रयोग देख सकते हैं।

कालवाचक क्रिया विशेषण का उदाहरण

  • कल मैं दोस्त के जन्मदिन उत्सव में गया था।
  • कार्य करने से पहले सोच विचार करना चाहिए।
  • मित्र ऐसे हो जो हमेशा साथ दें।
  • तुम जब भी बोलो हम साथ घूमने चलेंगे।
  • कल बहुत ज्यादा बारिश हो रही थी।

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  • कल मैं दोस्त के जन्मदिन उत्सव में गया था।
  • कार्य करने से पहले सोच विचार करना चाहिए।
  • मित्र ऐसे हो जो हमेशा साथ दें।
  • तुम जब भी बोलो हम साथ घूमने चलेंगे।
  • कल बहुत ज्यादा बारिश हो रही थी।

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निष्कर्ष

आशा करते हैं आपको आज का लेख पसंद आया होगा और आपके लिए सहायक भी साबित हुआ होगा। हमने आज के लेख में कालवाचक क्रिया विशेषण के बारे में जानकारी दिया हुआ है, आप सभी इस लेख को जरूर पढ़ें यह लेख आप सभी विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। अगर आपको आज का लेख पसंद आता है या आपके लिए उपयोगी साबित होता है तो आप इसे अपने दोस्तों को भी शेयर करें ताकि आपके दोस्त भी हमारे आज के महत्वपूर्ण लेख के बारे में पढ़ सकें और जानकारी प्राप्त कर सकें।

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