आज मै आपके लिए जन्माष्टमी पर भाषण ले के आई हूँ उम्मीद है आप इन भाषणों से लोगो का दिल जीत लेंगे, तो चलिए शुरू करते है !

जन्माष्टमी पर भाषण 1:-
यहां उपस्थित आदरणीय शिक्षक गण एवं स्पीच सुनने वाले सभी श्रोतागण आप सभी को मेरा सादर प्रणाम!
जन्माष्टमी हर वर्ष भ्राद पक्ष के माह में मनाया जाता है। यह त्योहार श्री कृष्ण जी के जन्म उत्सव के अवसर पर मनाया जाता है।
श्रीमद्भागवत पुराण के वर्णन के अनुसार कृष्ण जब बाल्यावस्था में थे तब नंद बाबा के घर आचार्य गर्गाचार्य द्वारा उनका नामकरण संस्कार हुआ था। नाम रखते समय गर्गाचार्य ने बताया, यह पुत्र प्रत्येक युग में अवतार धारण करता है। तभी इसका वर्ण स्वेत, कभी लाल, कभी पीला होता है।
पूर्व के प्रत्येक युगों में शरीर धारण करते हुए इसके 3 वर्ण हो चुके हैं। इस बार कृष्ण वर्ण का हुआ है, अतः इसका नाम कृष्ण होगा और इस तरह धरती को कंस जैसे पापी के पापों के भार से मुक्त करने के लिए श्री कृष्ण का जन्म भाद्र पक्ष की कृष्ण पक्ष की गहन अंधेरी रात में हुआ, थोड़ा पहले की बात करें तो मथुरा में कंस नामक राजा राज्य करता था, उसकी प्राणों से प्रिय एक बहन देवकी थी, देवकी का विवाह कंस के मित्र वसुदेव के साथ हुआ। अपनी बहन का रथ हांककर वह स्वयं अपनी बहन को ससुराल छोड़ने जा रहा था।
तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र उसका काल होगा, इतना सुनते ही उसने रथ को वापस मोड़ लिया तथा देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया, एक-एक करके उसने देवकी के साथ संतानों की हत्या कर डाली, किंतु श्री कृष्ण को मारने के सभी प्रयास असफल रहे।
श्री कृष्ण के व्यक्तित्व में ऐसे गुण थे, जिसके कारण वह हिंदुओं के महानायक बने, उन्होंने गरीब मित्र सुदामा से मित्रता निभाई, दुराचारी शिशुपाल का वध किया, पांडू पुत्र युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में आने वाले अतिथियों के पैर धोए और जूठी पत्तले उठाई।
महाभारत के युद्ध में अपने स्वजनों को देखकर विमुख अर्जुन को आत्मा की अमरता का संदेश दिया, जो हिंदुओं का धार्मिक ग्रंथ ‘श्रीमद्भागवत गीता’ बना, यही ग्रंथ आज दार्शनिक परंपरा की आधार शिला है। श्री कृष्ण का चरित्र हमें लौकिक और आध्यात्मिक शिक्षा देता है।
सभी हिंदू ग्रंथों में, श्रीमद्भागवत गीता को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण के अनुसार हमें अच्छे कर्म करते रहना चाहिए और व्यर्थ की बातों में अपना समय नष्ट नहीं करना चाहिए।
बस यही तक बोलकर मैं अपनों शब्दों को विराम देना चाहुंगे एक बार आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक सुभकामनाएँ !
धन्यवाद !
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कृष्ण जन्माष्टमी पर भाषण 2
यहाँ पर मौजूद शिक्षक एवं मेरे प्यारे मित्रों आज मै आपको कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है इसके बारे में बताने जा रही हूँ उससे पहले आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक सुभकामनाये!
कृष्ण जन्माष्टमी जिसे गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है। यह एक वार्षिक हिंदू त्योहार है, त्यौहार हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, श्रावण या भाद्र पक्ष में मनाया जाता है।
कृष्ण का जन्म अराजकता के क्षेत्र में हुआ था। यह एक ऐसा समय था जब उत्पीड़न बड़े पैमाने पर था, स्वतंत्रता से वंचित किया गया था, बुराई हर जगह थी और जब उनके मामा राजा कंस द्वारा उनके जीवन के लिए खतरा था।
कृष्ण जी भगवान विष्णु जी के अवतार है, मामा कंस का वध करने हेतु भगवान विष्णु ने यह अवतार धारण किया था।
हिंदू जन्माष्टमी को उपवास, गायन ,एक साथ प्रार्थना करने, तथा विभिन्न प्रकार के भोजन को तैयार करना और उसे एक दूसरे को बांटना, रात्रि जागरण और कृष्ण या विष्णु मंदिरों में जाकर मनाते हैं।
प्रमुख कृष्ण मंदिर में ‘भागवत पुराण‘ और ‘भागवत गीता‘ के पाठ का आयोजन करते हैं।
पूरे भारत में यह त्योहार अलग-अलग राज्य जैसे, गोकुल, वृंदावन, मथुरा, जगन्नाथ पुरी में धूमधाम से मनाया जाता है।
जन्माष्टमी महाराष्ट्र में गोकुलाष्टमी के रूप में लोकप्रिय है। दही हांडी कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन हर अगस्त या सितंबर में मनाई जाती है। यहां लोग दहीहंडी को तोड़ते हैं , जो इस त्यौहार का एक हिस्सा है।
दही हांडी शब्द का शाब्दिक अर्थ है “मिट्टी के बर्तन में दही”। यह त्यौहार हर घर में खुशी, समृद्धि और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
जन्माष्टमी हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है, यह पर्व भगवान कृष्ण से हमारी आस्था का प्रतीक है, भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, कृष्णा अपने माता पिता की आठवीं संतान थे।
भगवान कृष्ण का पालन पोषण गोकुल में माता यशोदा और नंद बाबा ने किया, दहीहंडी इस पर्व का प्रमुख हिस्सा है मथुरा के मंदिरों में रासलीला का आयोजन किया जाता है, यह त्यौहार भ्रादपक्ष के कृष्ण पक्ष में अष्टमी को मनाया जाता है।
भगवान कृष्ण का जन्म रात 12:00 बजे हुआ था इसी कारण से रात को 12:00 बजे इसका व्रत तोड़ा जाता है, इस दिन लोग कृष्ण के बालस्वरूप को झूला झूलातेहैं।
भारत त्योहारों का देश है जहां पर सभी त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं, श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है, यह त्यौहार रक्षाबंधन के बाद भ्रादपक्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता हैं।
इसे भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाते हैंजन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, कृष्ण अष्टमी, श्रीकृष्ण जयंती के नाम से भी जाना जाता है। श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, इनके पिता का नाम वसुदेव और माता का नाम देवकी था, जन्माष्टमी की रात 12:00 बजे श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।
इसलिए मंदिरों और घरों में रात 12:00 बजे लोग भगवान कृष्ण का अभिषेक, पूजन और आरती करते हैं। जन्माष्टमी पर कृष्ण मंदिरों में भव्य समारोह किए जाते हैं तथा श्री कृष्ण की झांकियां सजाई जाती है। मथुरा और वृंदावन जहां भगवान श्री कृष्ण ने अपना बचपन व्यतीत किया था, वहां की जन्माष्टमी विश्व प्रसिद्ध है।
जन्माष्टमी के त्योहार पर दहीहांडी विशेष महत्व है, दही हांडी का प्रदर्शन करते लोग “गोविंदा आला रे” जैसे गीत गाते हैं। इस दिन पूरे विश्व में मंगलमय वातावरण होता है।
आप सभी को एक बार फिर से कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई बस यही बोलकर मै अपने सब्दो को विराम देना चाहूंगी !
धन्यवाद् !
जन्माष्टमी पर भाषण 3
आप सभी को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं, जय श्री कृष्ण ! मै ………………….. आज आपके समक्ष भगवन श्रीकृष्ण जी के जन्म उत्सव के अवसर पर एक भाषण ले कर आयी/आया हूँ मुझे हर्ष है की मुझे भगवन के बारे में दो शब्द बोलने का अवसर दिया जा रहा है !
भारत अपनी परंपराओं के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध रहा है, भारत में त्योहारों को बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार हिन्दूओं का प्रमुख त्यौहार होता है।
भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को पूरे विश्व में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को रक्षाबंधन के बाद कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण देवकी के आठवें पुत्र थे। श्री कृष्ण का पालन पोषण माता यशोदा और नंद बाबा के देखरेख में हुआ।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। इस दिन मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण के मूर्तियों को सजाए जाते हैं और उन्हें झूला झूलाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण को गोविंद, कन्हैया, कान्हा, माखन चोर, गोपाल, बाल गोपाल, और लगभग 108 नामों से जाना जाता है।
श्री कृष्ण जी के हाथों में एक बांसुरी और सिर पर एक मोर का बहुत ही सुंदर पंख लगा होता है।
इस दिन को भारतवासी कई वर्षों से मनाते आए हैं, हिंदू धर्म में इस त्योहार का बहुत महत्व है। हमारे समाज में श्री कृष्ण के माता देवकीनंदन का बहुत महत्व है क्योंकि वह यूगों से पूजे जाते हैं, कृष्ण जी के कई किस्से हमने महाभारत और कृष्ण लीला में सुना और देखा है।
उनके किस्से और जीवन से हमें यह शिक्षा मिलता है, हमें अपने कर्तव्य पर डटे रहना चाहिए, और उसको अधिक महत्व देना चाहिए। कृष्ण जी के जीवन में जन्म से लेकर कई बाधाएं आई और उन्होंने उनका सामना डटकर किया और अपने कर्तव्य का पालन किया।
श्री कृष्ण जी और उनके गरीब मित्र सुदामा, उनकी मित्रता ,द्रोपदी की रक्षा करना, और उनका बचपन का नटखटपन जीवन में आने वाली अनेकविपदाओं का उन्होंने डटकर सामना किया, कहा जाता है कि श्री कृष्ण जी भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतारों में से एक माने जाते हैं।
अष्टमी तिथि को जया तिथि भी कहते हैं, यानी जीत दिलाने वाली तिथि। इस दिन उपवास के साथ भगवान की पूजा करने से सभी कामों में जीत मिलती है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि के दिन ही रात को 12:00 बजे हुआ था।
अष्टमी तिथि के स्वामी शिव है, और इस दिन भगवान विष्णु ने अवतार लिया, यह एक साथ दो प्रमुख देवताओं की पूजा का दिन है।
यह हिंदुओं का लोकप्रिय त्यौहार है, जो बहुत ही धूमधाम और खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन मध्यरात्रि को भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के जेल में हुआ था।
श्री कृष्णा जी ने हमें यह सिखाया कि हमारे आसपास का वातावरण कितना भी नकारात्मक हो पर हमें सभी संकटों का धैर्य और समझदारी से सामना करना चाहिए, और सकारात्मक सोच के साथ अपने कर्तव्य को महत्व देना चाहिए।
“जय श्री कृष्ण” बस यही बोलते हुए मै अपना स्थान ग्रहण करना चाहूंगी !
धन्यवाद!
कृष्णजन्माष्टमी पर भाषण 4
यहाँ पर सबसे पहले तो मै …………………….. आपको कृष्ण जन्माष्टमी के इस पावन त्यौहार पर आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक सुभकामनाए देना चाहूंगी!
जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू धर्म के लिए एक प्रमुख त्यौहार है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी भी कहते हैं यह पूरे भारत में बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था, इस दिन भारत के सभी मंदिर भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियों से सजाई जाती है। मथुरा के विभिन्न क्षेत्रों में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन दही हांडी तोड़ने का प्रतियोगिता रखी जाती है।
उसमें ऊंचाई पर दही या मक्खन से भरी हांडी लटकाई जाती है, जिसे तोड़ने वाले को पुरस्कार दिया जाता है।
इस पर्व के दिन हिंदू परिवार में कुछ लोग व्रत रखते हैं, देश के मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू का प्रसाद बनाया जाता है। इस प्रसाद को कृष्ण भगवान को चढ़ाने के बाद मंदिर में आने वाले लोगों में बांट दिया जाता है।
यह पर्व भगवान श्री कृष्ण के दिखाए रास्ते पर चलने और उनके आदर्शों का पालन कर मानव जाति के विकास के लिए अपना योगदान देने की तरफ हमें संदेश देता है।
श्री कृष्ण जी के जन्म दिवस जिसे हम जन्माष्टमी के रुप में मनाते हैं यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
“गोकुल में जिसने किया निवास, गोपियों के संग रचा इतिहास, देवकी यशोदा जिनकी मैया, ऐसे हैं हमारे कृष्ण कन्हैया”
आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व कृष्ण का जन्म हुआ था, मथुरा में कंस नामक राजा राज्य करता था। वसुदेव ने कृष्ण को अपने मित्र नंद के यहां छोड़ दिया। कंस को किसी तरह उसके जीवित होने का संदेश मिल गया, उसने श्री कृष्ण को मारने के अनेक असफल प्रयास किए और स्वयं काल का ग्रास बन गया। बाद में श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता को मुक्त कराया।
यशोदा नंदन भगवान श्री कृष्ण के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। भगवान कृष्ण हमेशा अपने कर्तव्यों को अधिक महत्व देते थे। उनके जीवन में ना जाने कितनी बाधाएं आई जिनका उन्होंने बड़ी ही बहादुरी से सामना किया।
श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता, द्रोपदी की रक्षा, बचपन का नटखटपन और बहुत सारे साहस से भरे कार्य यह सभी उनके व्यक्तित्व की भिन्न-भिन्न गुणों को दर्शाते हैं।
श्री कृष्ण का मानवीय रूप महाभारत काल में स्पष्ट दिखाई देता है। श्री कृष्णा कर्म को ही मानते थे, कंस हो या फिर कौरव पांडव दोनों ही निकट के रिश्ते हैं, फिर भी श्री कृष्ण ने धर्म की रक्षा के लिए रिश्ते की बजाए कर्तव्य को अधिक महत्व दिया है।
हम सब को भगवान श्री कृष्ण के जीवन से यह शिक्षा मिलती है, हमारे जीवन में कितनी भी बाधाएं और संकट आए हमें बहादुरी के साथ सभी बाधाओं का सामना करना चाहिए, और सबसे महत्वपूर्ण हमें भगवान श्री कृष्ण के जीवन से यह सीखने को मिलता है कि हमें फल की इच्छा के बिना कर्म पर ध्यान देना चाहिए।
जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया किया जाता है। लोग इस पर्व को पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। जन्माष्टमी के पर्व को ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय भी पूरे उल्लास से मनाते हैं। भगवान कृष्ण अपनी नटखट हरकतों से लोगों के दिल में बसते हैं।
जन्माष्टमी के दिन प्रातः काल लोग अपने घरों को साफ करके मंदिरों में धूप और दिए जलाते हैं। इस दिन लोग उपवास भी रखते हैं। मंदिरों में सुबह से ही कीर्तन, पूजा पाठ, यज्ञ, वेद पाठ, कृष्ण लीला आदि प्रारंभ होते हैं, जो अर्ध रात्रि तक चलते हैं।
ठीक 12:00 बजे चंद्रमा के दर्शन के साथ ही मंदिर शंख और घड़ियाल की ध्वनि से गूंज उठता है, आरती के बाद लोगों में प्रसाद बांटा जाता है, लोग उस प्रसाद को खाकर अपना व्रत तोड़ते हैं और अपने घर आकर भोजन इत्यादि करते हैं।
जन्माष्टमी पर मंदिर चार-पांच दिन पहले से ही सजने प्रारंभ हो जाते हैं, इस दिन मंदिरों की शोभा अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच जाते हैं।
देखो फिर जन्माष्टमी आई, माखन की हांडी में फिर मिठास पर लाई, कान्हा की लीला है सबसे प्यारी, कान्हा देते सभी को खुशियां सारी। यही बोलते हुए मै अपने शब्दों को विराम देती हूँ ।
धन्यवाद् !
जन्माष्टमी पर भाषण 5:-
सुप्रभात कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक सुभकामनाए आज भारत एक पर्व का देश है, जहां पर सभी त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी एक धार्मिक त्यौहार है जिसे हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। कृष्ण जी ने मथुरा में कंस का वध करने के लिए इस दिन मनुष्य का अवतार लिया था, इस वजह से इस दिन को कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
श्री कृष्ण जी का जन्म भ्रादपद में कृष्ण अष्टमी को रात के 12:00 बजे हुआ था। इनके पिता का नाम वसुदेव और माता का नाम देवकी था। देवकी कंस की बहन थी, तथा कंस मथुरा का राजा था। वह बहुत अत्याचारी था, जब वह अपने बहन देवकी को विवाह के बाद उसके ससुराल छोड़ने जा रहा था तब उसकी आकाशवाणी हुई।
“जिस बहन को तुम इतने प्यार से विदा कर रहे थे, उसकी आठवीं संतान तुम्हारी मृत्यु का काल/कारण बनेगा” यह भविष्यवाणी सुनकर कंस घबरा गया, और उसने अपनी बहन को वापस ले जाकर कारावास में बंद कर दिया।
देवकी के सात पुत्र हुए, किंतु कंस ने उनके पुत्रों को मार डाला। जब देवकी ने अपने आठवें पुत्र श्री कृष्णा को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्री कृष्ण को गोकुल में माता यशोदा और नंद बाबा के पास पहुंचा आए जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा।
श्री कृष्ण का पालन पोषण यशोदा माता और नंद बाबा के देखरेख में हुआ। उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहारमनाया जाता है। जन्माष्टमी के त्योहार को मनाने का ढंग सरल और रोचक है। इस त्यौहार को मनाने के लिए सभी श्रद्धालु भक्त सवेरे-सवेरे अपने घरों की सफाई करके उसे सजाते हैं।
कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं, वे श्री कृष्ण की लीला का गान करते हैं और श्री कृष्ण जी का कीर्तन करते हैं। तथा रात्रि के 12:00 बजे श्री कृष्ण का जन्म दिवस मनाया जाता है तभी पूजा आरती कर भक्तजन अपना व्रत तोड़ते हैं।
जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दहीहंडी प्रतियोगिता में सभी गोविंदा भाग लेते हैं, छाछ दही आदि से भरी एक मटकी को रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल गोविंदा द्वारा फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दहीहंडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व से हमें यह संदेश मिलता है कि पाप का नाश अवश्य होता है।
जब जब संसार में कष्ट बढ़ते हैं पाप और भ्रष्टाचार बढ़ता है उसे समाप्त करने के लिए कोई न कोई महान शक्ति अवश्य जन्म लेती है, इसलिए मनुष्य को सदा सत्कर्म में लगे रहना चाहिए।
यही पर मै अपने शब्द को विराम देते हुए उन सभी का धन्यवाद करना चाहूंगी जो यहाँ पर आये और कृष्ण जी का यह पावन इतिहास के 2 शब्द को सुना !
धन्यवाद्!जय श्री कृष्ण
जन्माष्टमी पर भाषण 6:-
सुप्रभात आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक सुभकामनायें!
जन्माष्टमी का पर्व कृष्ण जी के जन्म उत्सव पर मनाया जाता है। यह पर्व पूरी दुनिया में पुण्य आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में सभी जगह बसे भारतीयों के द्वारा पूरे आस्था के साथ मनाया जाता है। श्री कृष्णा युगो युगो से हमारे आस्था के केंद्र रहे हैं, कृष्ण जी कभी-कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा।
जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जन्माष्टमी पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जो रक्षाबंधन के बाद भ्रादपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी दिन को मनाया जाता है। श्री कृष्णा देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे।
मथुरा नगरी का राजा कंस जो बहुत अत्याचारी था, इसके अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे एक समय आकाशवाणी हुई की उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा, यह सुनकर कंस ने अपने बहन देवकी को उसके पति वसुदेव दोनों को काल कोठरी में डाल दिया।
कंस ने देवकी के कृष्ण से पहले 7 बच्चे को मार डाला जब देवकी ने श्री कृष्ण को जन्म दिया तब भगवान विष्णु वासुदेव को आदेश देते है कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में माता यशोदा और नंद बाबा के पास पहुंचा आए, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सके।
भगवान श्री कृष्ण जी का पालन पोषण यशोदा माता और नंद बाबा के द्वारा किया गया, उनकेजन्म की खुशी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।
बस यही छोटा सा एक झलक श्री कृष्ण जी के जन्म दिवस को मानाने का करण ले कर आप सभी के सामने आई हूँ मै अपने सब्द को अब यही विराम देना चाहूंगी ताकि कृष्ण जी के बारे में और भी मेरे प्रिय मित्र जन रोचक बाते बता सके.
जय श्री कृष्ण, धन्यवाद्!
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हेल्लो दोस्तों मेरा नाम प्रवीन कुमार है . और में इस ब्लॉग का Owner हूँ. मुझे हिंदी में लेख लिखना पसंद है. और में आपके लिए सरल भाषा में लेख लिखता हूँ.