लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध | Lal Bahadur Shastri Essay in Hindi

हेलो दोस्तों! कैसे हो आप सब? आशा करते हैं आप सभी कुशल होंगे, आज के आर्टिकल में हम लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध लेकर आए हैं, इस निबंध के माध्यम से सभी विद्यार्थी स्कूल में दिए जाने वाले निबंध लिख सकते हैं, तथा साथ ही लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में शिक्षा भी प्राप्त कर सकते हैं।

हमारा आज का निबंध सभी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है, क्योंकि लगभग इस टॉपिक “लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध”पर सभी विद्यार्थियों को निबंध लेखन का प्रश्न दिया जाता है और निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है, तो आप हमारे इस आर्टिकल को पढ़कर निबंध प्रतियोगिता में भी भाग ले सकते हैं, यह सभी विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा। लाल बहादुर शास्त्री जी जनसेवक थे उन्होंने सरल तरीके से और सच्चे मन से जनता के हित के लिए कार्य किया, हम सभी को उनके आदर्शों पर चलना चाहिए क्योंकि हमारे भारत देश का निर्माण इन्हीं सभी कार्यों पर समृद्ध हो सकता हैं।

तो चलिए आज हम हमारे आर्टिकल में लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में चर्चा शुरू करते हैं और उनके बारे में जानकारियां प्राप्त करते हैं ताकि आप सभी विद्यार्थियों को लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में जानकारियां प्राप्त हो और आप सभी एक अच्छी निबंध लेखन कर सकें।

Lal Bahadur Shastri Essay in Hindi

लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध 1

प्रस्तावना:-

लाल बहादुर शास्त्री जी देश के एक सच्चे वीर सपूत थे, उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देशभक्ति के लिए समर्पित कर दिया, लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1940 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय नामक शहर में हुआ था, दुर्भाग्यवश इनके पिता का मृत्यु शास्त्री जी के बाल्यावस्था में ही हो गया, और शास्त्री जी का शिक्षा दीक्षा उनके दादा जी के देखरेख में हुआ।

शास्त्री जी के पिता शारदा प्रसाद जी एक शिक्षक थे, सन 1920 में गांधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और बाद में उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने काशी विद्यापीठ में प्रवेश लिया तथा वहां से वर्ष 1926 में उन्होंने शास्त्री की उपाधि प्राप्त की, और उन्होंने अपनी जाति सूचक शब्द श्रीवास्तव को हटाकर अपने नाम के आगे शास्त्री लगा लिया।

स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान:-

लाल बहादुर शास्त्री जी बचपन से ही राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम की ओर आकर्षित होने लगे थे, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना समारोह में गांधी जी के द्वारा दिए गए भाषण से शास्त्री जी बहुत प्रभावित हुए थे, और शास्त्री जी गांधीजी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े, जिसके कारण शास्त्री जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा, शास्त्री जी आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भिकता के एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए स्तंभ के रूप में जाने जाते हैं, वे चाहते थे कि ऊंचे वादों को करने वाले भाषणों के बजाय उनके कार्य को स्मरण किया जाए, और वे हमेशा जाति भेदभाव के खिलाफ थे उन्होंने इसी कारण अपना उपनाम छोड़ने का फैसला किया और स्नातक की शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने शास्त्री उपनाम को अपने नाम के आगे लगा लिया ।

शास्त्री जी की शिक्षा और विवाह:-

शास्त्री जी बाल्यावस्था से ही ईमानदार और मेहनती थे, शास्त्री जी ने 1926 में काशी विद्यापीठ से प्रथम श्रेणी की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त किया और उन्हें विद्वान की उपाधि मिली, लाल बहादुर शास्त्री जी ने बहुत से गुणों को प्राप्त किया था, जो निम्न हैं -साहस, आत्मसंयम, शिष्टाचार, निस्वार्थता, तथा प्रेम और धैर्य जैसे गुणों को भी प्राप्त किया था, शास्त्री जी ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए अपना पढ़ाई भी छोड़ दिया था।

लाल बहादुर शास्त्री जी का विवाह ललिता नाम की कन्या से हुआ और लाल बहादुर शास्त्री जी ने तथा उनके पत्नी दोनों ने 6 बच्चों को जन्म दिया था, जिनका नाम कुसुम, सुमन, सुनील, अनिल, हरि कृष्ण और अशोक था।

उपसंहार:-

लाल बहादुर शास्त्री को उनके सादगी, ईमानदारी तथा देशभक्ति के लिए जाना जाता है, वे हमारे देश के एक महान नेता थे, लाल बहादुर शास्त्री जी हमेशा एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए स्तंभ के रूप में जाने जाते हैं, शास्त्री जी भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे, वे एक महान व्यक्ति होने के साथ-साथ एक महान नेता भी थे उन्हें भारत रत्न से पुरस्कृत किया गया था। शास्त्री जी हमेशा दहेज प्रथा के खिलाफ रहे और उन्होंने समय का सदुपयोग ,समाज सुधारकऔर पश्चिम दार्शनिक को पढ़ाने में भी सहयोग किया, तथा शास्त्री जी बहुत ही मृदुभाषी व्यक्ति थे।

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लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध 2

प्रस्तावना :-

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर को हुआ था, तथा महात्मा गांधी जी का भी जन्म 2 अक्टूबर को हुआ था, हमारे देश में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है तथा कहीं-कहीं 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्म दिवस के रूप में भी जाना जाता है, 2 अक्टूबर का दिन हमारे देश के 2 महापुरुषों के स्मरण के रूप में मनाया जाता है। कई स्थानों पर गांधी जी के जयंती के साथ-साथ बहादुर शास्त्री जी के जयंती के रूप में भी आयोजित किया जाता है, 2 अक्टूबर का अध्ययन हमारे भारत देश के लोगों को उत्साह और उमंग के साथ प्रेरणा भी देता है।

2 अक्टूबर को जिस प्रकार सभी स्कूल कॉलेज और ऑफिस में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्म दिवस के स्मरण के रूप में सभी स्कूल कॉलेजों में मनाया जाता है। शास्त्री जी एक महापुरुष थे उन्होंने भारत की स्वतंत्रता में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है तथा उन्होंने महात्मा गांधी जी के साथ कई कार्य किए हैं, शास्त्री जी ने जवाहर नेहरू जी के निधन हो जाने के बाद प्रधानमंत्री का पद संभाला, और भारत में एकता और शांति को बनाए रखा।

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था, उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था, शारदा प्रसाद श्रीवास्तव जी एक अध्यापक थे और उन्हें बाद में इलाहाबाद के राजस्व कार्यालय में क्लर्क की नौकरी मिली, शास्त्री जी जब 1 साल के थे तभी उनके पिता शारदा प्रसाद जी का निधन हो गया। शास्त्री जी के माता का नाम दुलारी देवी था, उनकी माता एक गृहणी थी उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन अपने पति और बच्चों के लिए समर्पित कर दिया, शास्त्री जी की दो बहनें थीं, उनकी बड़ी बहन का नाम कैलाश देवी और छोटी बहन का नाम सुंदरी देवी था।

महात्मा गांधी जी का लाल बहादुर शास्त्री पर प्रभाव:-

लाल बहादुर शास्त्री जी गांधी जी से बहुत प्रभावित थे, गांधी जी ने सभी विद्यार्थियों को असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने को कहा था और गांधीजी से प्रभावित होकर लाल बहादुर शास्त्री जी ने हरिश्चंद्र इंटर कॉलेज से अपना दाखिला वापस ले लिया, और शास्त्री जी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा ले लिया जिसके कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, और जब उन्हें जेल भेजा गया तब वे नाबालिक थे, नाबालिक होने के कारण उन्हें जेल से छोड़ दिया गया।

उस दौर में वरिष्ठ नेताओं और क्रांतिकारियों को लगा कि देश के आजादी के लिए नवयुवकों का शिक्षित होना आवश्यक है इसलिए उन्होंने काशी विद्यापीठ की स्थापना की तथा लाल बहादुर शास्त्री जी ने विद्यापीठ दर्शन और नीति शास्त्र में उपाधि प्राप्त की। लाल बहादुर शास्त्री जी गांधीवादी विचारधारा के समर्थक थे वे गांधी जी के अनुयाई थे, शास्त्री जी गांधी जी के साथ हमेशा स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेते रहे और उनकी निष्ठा और देश के प्रति सेवा की भावना के कारण ही वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने और कुछ समय के बाद कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता भी बने।

उपसंहार:-

2 अक्टूबर को हमारे देश में महात्मा गांधी जी के जयंती के साथ साथ लाल बहादुर शास्त्री जी का जयंती भी मनाया जाता है, हमारे भारत देश में 2 महापुरुषों की जयंती एक ही दिन मनाई जाती है, शास्त्री जी जवाहरलाल नेहरू जी के बाद प्रधानमंत्री बने थे जिन्हें भारत के पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में भी जाना जाता है। शास्त्री जी एक सच्चे देशभक्त थे जिन्होंने हमारे भारत देश के लिए दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में महत्वपूर्ण कार्य किया और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, शास्त्री जी भारत के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ा और दूसरों को भी इस संघर्ष में हिस्सा लेने को प्रेरित किया।

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