प्रदूषण की समस्या पर निबंध | Pradushan Ki Samasya Par Nibandh

स्वागत है दोस्तों आपका अपने वेबसाइट में, आज के आर्टिकल में हम प्रदूषण की समस्या पर निबंध लेकर आए हैं, आज हमारा वायुमंडल अत्यधिक दूषित हो रहा है, जिसके वजह से मानव जीवन खतरे में है।

आपने अक्सर देखा होगा कि विद्यालय या कॉलेज की परीक्षाओं में प्रदूषण की समस्या पर निबंध का प्रश्न दिया जाता है, प्रदूषण की समस्या एक बहुत बड़ी गंभीर समस्या है, इसके बारे में आप सभी को पता होना चाहिए क्योंकि यह बहुत बड़ी समस्या है, हमारे आज के आर्टिकल के माध्यम से प्रदूषण की समस्या पर , चर्चा करेंगे जिसके माध्यम से आप सभी को निबंध लेखन में सहायता मिलेगी तथा प्रदूषण की समस्या, प्रदूषण की समस्या से निवारण, आदि सभी के बारे में जानकारी प्राप्त होगी। तो चलिए शुरू करते हैं.

Pradushan Ki Samasya Par essay

प्रदूषण की समस्या पर निबंध 1

प्रस्तावना:-

प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है, यह केवल हमारे देश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समस्या बन चुका है, पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना होता है, परि + आवरण, अर्थात चारों ओर से ढका आवरण , वातावरण जिसमें जीव जंतु, पेड़ पौधे, तथा वायु, मिट्टी, जल आदिसभी पर्यावरण के अंतर्गत आता है, इस वातावरण में जब कोई अवांछनीय परिवर्तन आ जाता है तो वातावरण प्रदूषित हो जाता है।

आजकल मानव औद्योगिकीकरण के जाल में इस तरह फस चुका है कि वह अपने पर्यावरण की शुद्धता को ध्यान में ना रखते हुए प्रदूषण की समस्या को बढ़ाते जा रहाहै, जिससे गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही है, इस समय हमारा पर्यावरण अर्थात वायु, जल , वन, आदि सभी प्रदूषित होते जा रहा है, इस समस्या को रोकने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण का महत्व बताया जाना चाहिए, क्योंकि यह हमारे जीवन का आधार है।

पर्यावरण के संतुलन के बिना पृथ्वी पर एक स्वस्थ जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए हम सभी को पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकना चाहिए।

प्रदूषण का अर्थ:-

संतुलित वातावरण के द्वारा ही हम सभी का जीवन संभव होता है, पर्यावरण का निर्माण प्रकृति से होता है प्रकृति के द्वारा प्रदान किया गया पर्यावरण समस्त जीवधारियों के अनुकूल होता है और जब पर्यावरण में कुछ हानिकारक घटक आ जाते हैं तोवातावरण के संतुलन को बिगाड़ कर प्रदूषित कर देते हैं और हमारा वातावरण गंदा हो जाता है, यह गन्दा वातावरण जीवधारियों के लिए अनेक प्रकार से हानिकारक होता है,इस प्रकार वातावरण प्रदूषित होता है। वर्तमान में प्रदूषण विभिन्न रूपों में दृष्टिगोचर हो रहा है उनमें से प्रमुख निम्न प्रकार है-

1. वायु प्रदूषण:-

वायु में विभिन्न प्रकार की गैसे उपस्थित रहती हैं, जिनका एक विशेष अथवा निश्चित अनुपात होता है, सभी जीवधारी अपने क्रियाओं द्वारा ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन वातावरण में बनाए रखते हैं। हम मानव के द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण किया जाता है तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस को छोड़ा जाता है जिसे पेड़ पौधेग्रहण करते हैं।

पौधे प्रकाश की उपस्थिति में ऑक्सीजन गैस छोड़ते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रहण करते हैं परंतु कुछ मानव के कार्यों द्वारा इस संतुलन को नष्ट किया जा रहा है, जैसे मीलों तथा विभिन्न प्रकार के वाहनों से निकलने वाले धुएं वातावरण में जहरीली गैसों को फैलारहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो रहे हैं।

2. जल प्रदूषण:-

जल प्रदूषण का प्रमुख कारण नदियों में गंदगी और कल कारखानों के प्रदूषित जल को नदियों में बहाना , कारखानों में अनेक प्रकार के रसायनों का प्रयोग किया जाता है, इन रसायनों के बचे अवशेष तथा कचरों को नालियों द्वारा नदियों में बहा दिया जाता है जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।

नदियों से निकलने वाली जल नहरों के माध्यम से सिंचाई तथा पीने के लिए प्रयोग किया जाने वाला जल प्रदूषित होने के कारण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

3. ध्वनि प्रदूषण:-

अनेक प्रकार के वाहनों में आवाज अत्यधिक मात्रा में होने से वातावरण में ध्वनि प्रदूषण होता है, जैसे मोटर कार, विमान, लाउडस्पीकर म्यूजिक सिस्टम, कल कारखानों से निकलने वाली सायरन की आवाज, आदि कर्कश और हमें चिड़चिड़ा तथा हमारे श्रवण इंद्रियों को बेचैन व शिथिल बना देता है, जिसके कारण मनुष्य में तीव्र चिड़चिड़ापन, नींद ना आना, भूख ना लगना, मानसिक तनाव तथा पागलपन जैसे अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न करता हैं।

प्रदूषण पर नियंत्रण:-

प्रदूषण को रोकने के लिए हमें व्यक्तिगत और सरकारी दोनों स्तरों पर प्रयास करना चाहिए, कारखानों को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तथा कचरे के समुचित निस्तारण के लिए बाध्य किया जाना चाहिए, हम सभी को हमारे वायुमंडल को संतुलित बनाए रखने के लिए वनों की कटाई पर नियंत्रण तथा वृक्षारोपण को अत्यधिक मात्रा में लगाना चाहिए।

प्रदूषण की समस्या हम सभी के लिए अत्यंत गंभीर समस्या है, हम सभी के द्वारा इसे समय रहते हैं नियंत्रण ना किया गया तो आने वाले वर्षों में अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

उपसंहार:-

प्रदूषण की समस्या हम सभी जीव धारियों के लिए बहुत घातक होता है, हम सभी को व्यक्तिगत रूप से प्रदूषण को रोकने का पूर्ण प्रयास करना चाहिए, तथा सभी लोगों को भी प्रदूषण ना करने के लिए जागरूक करना चाहिए, जिससे हम सभी स्वस्थ वातावरण में रह सकें।

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प्रदूषण की समस्या पर निबंध 2

प्रस्तावना:-

पर्यावरण को संतुलित रखना हम सभी के लिए आवश्यक होता है क्योंकि संतुलित पर्यावरण में ही हम स्वस्थ रह सकते हैं, प्रदूषण हमारे पृथ्वी के लिए खतरा बनते जा रहा है, जिसके कारण कई बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं, प्रदूषण हमारी पृथ्वी के वायुमंडल को असंतुलित कर रहा है, जिससे पृथ्वी की ओजोन परत पर भी प्रदूषण का बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

प्रदूषण से सभी जानवरों तथा पृथ्वी जगत के सभी जीव धारियों को अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है, प्रदूषण कोई एक समस्या नहीं है बल्कि एक अभिशाप है क्योंकि प्रदूषण के कारण लाखों लोग अपनी जान गवा रहे हैं, प्रदूषण हमारे पृथ्वी पर तेजी से बढ़ रहा है जिससे लोगों को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रदूषण से बचने के उपाय:-

हम सभी को विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए, सड़कों के किनारे घने वृक्ष हो, कल कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उन से निकलने वाले विषैले धुएं और मल को नष्ट करने के लिए एक समुचित उपाय करना चाहिए, तथा कचरे को डस्टबिन में डालना चाहिए।

प्रदूषण की समस्या से प्रभाव:-

प्रदूषण से ना केवल जीव जंतु प्रभावित हो रहे हैं बल्कि पृथ्वी पर होने वाली सभी प्रकार की घटनाएं प्रभावित हो रहे हैं, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन परत का क्षरण और हरित गृह प्रभाव जैसी बड़ी समस्या प्रदूषण के कारण ही उत्पन्न होती है, और यह सभी प्रदूषण हमारे द्वारा ही निर्मित रासायनिक कारकों से उत्पन्न हो रहा है, प्रदूषण के कारण वायु, जल और ध्वनि आदि सभी में हानिकारक पदार्थों के मिलने से मानव जीवन और अन्य जीवधारियों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, प्रदूषण से प्राकृतिक पदार्थ दूषित होते जा रहे हैं जिससे सभी जीवधारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो रहे हैं।

प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव:-

प्रदूषित वातावरण से अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती हैं, वायु के प्रदूषित होने से लोगों को सांस लेने में समस्या, आंखों में जलन, गले में बीमारी, खांसी जैसे अनेक प्रकार की बीमारियां मानव में उत्पन्न होते हैं। जल में प्रदूषित पदार्थों के विसर्जन से जलीय जीवों की कई प्रजातियां नष्ट हो जाती हैं, यह अप्रत्यक्ष रूप से भोजन श्रृंखला को प्रभावित करता है। भूमि और मृदा प्रदूषण से कैंसर, त्वचा रोग और अन्य प्रकार की घातक बीमारियां पैदा होती हैं, मृदा प्रदूषण के कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है जिससे मृदा अपरदन जैसे प्रभाव उत्पन्न होता है, ध्वनि प्रदूषणचिड़चिड़ापन, सुनने की शक्ति में कमी जैसी कई बीमारियां उत्पन्न करती है।

उपसंहार:-

आज प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है, यह हमारे देश की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की समस्या है, जिसके कारण पृथ्वी पर रहने वाले मानव तथा सभी जीव जंतु और निर्जीवपदार्थ भी प्रभावित हो रहे हैं, हम सभी को मानव जाति के स्वस्थ जीवन यापन करने के लिए, पर्यावरण को संतुलित बनाए रखना चाहिए। हम सभी को कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए, तथा पेड़ों की कटाई पर रोक लगाना चाहिए यह हम सभी की जिम्मेदारी है।

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