नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे वेबसाइट में, आज हम आपके लिए शांत रस (परिभाषा, भेद, उदाहरण) सहित पूरी जानकारी लेकर आए हैं। आज के लेख की जानकारी सभी विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है। शांत रस से संबंधित जानकारी आपको प्रतियोगी परीक्षाओं में सहायता प्रदान करेगी।
शांत रस
शांत रस एक भावनात्मक रस है,जो शांति और स्थिरता तथा आत्मिक आनंद, मन की संतुलन आदि को प्रकट करता है। शांत रस व्यक्ति को मन की शांति और अवस्था में ले जाता है। विचारों को स्थिर और आनंदमय बनाता है, इस रस की अनुभूति करने से व्यक्ति को आंतरिक शांति और तृप्ति की अनुभूति भी होती है।
शांत रस का विवरण एवं अनुभव कविताओं, संगीत चित्रकला तथा आध्यात्मिक ग्रंथों में भी पाया जा सकता है। शांत रस के द्वारा व्यक्ति मन की शांति, आध्यात्मिक उच्चता और ध्यान को प्राप्त कर सकता है।
उदाहरण
- एक त्रांस से अपार शांति और आध्यात्मिकता की अनुभूति करना।
- एक सुंदर समुद्र तट पर बैठकर अनंत शांति और समय का आनंद लेना।
- एक विचार शून्य ध्यान स्थिति में चित्त की शांति और समता को अनुभव करना।
- एक आध्यात्मिक सत्संग में बैठकर आनंदमय शांति की अनुभूति करना।
- एक सुंदर प्रकृति में घूमते हुए चित्र को शांति और उसके प्रकृति को देख कर मन में शांति का भाव उत्पन्न होना।
शांत रस को भारतीय साहित्य और नाट्य शास्त्र में एक महत्वपूर्ण भाव अथवा रस के रूप में जाना जाता है। इसे भारतीय नाट्य शास्त्र में शांति रस के रूप में भी जाना जाता है तथा यह रस व्यक्ति के मन की शांति, आत्मिकता और मनोभाव को भी प्रकट करता है। यह भाव रस पदार्थ के सहयोग से उत्पन्न होता है और व्यक्ति को आत्मिक तृप्ति और शांति का अनुभव कराता है।
शांत रस को साधारण: शांति, मन की संतुलन और आत्मिक आनंद के साथ जोड़ा जाता है तथा इससे स्थिरता की प्राप्ति भी होती हैं। शांत रस की अनुभूति कीर्तन, आराधना आदि के भक्ति के साथ भी प्रकट होती है। शांत रस को संतुष्टि के साथ अनेक जुड़े हुए काव्य, गीत, नाटक और आध्यात्मिक ग्रंथों में पाया जा सकता है। इन सभी में व्यक्ति शांत रस के अनुभव को प्राप्त कर सकता है और शांति तथा संतोष का आनंद ले सकता है।
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शांत रस की परिभाषा
चित्त की शांति की दशा में शांत रस होता है। शांत रस का स्थाई भाव निर्देश है।
उदाहरण
अब लौ नसानी अब नसैहों।
राम कृपा भाव निशा सिरानी, जागे पुणि न डसैहो।
“शांत रस एक भावनात्मक रस है जो मन की शांति ,अध्यात्मिक आनन्द और मन की संतुलन को प्रकट करती है।”
शांत रस व्यक्ति को अंतर्मुखी बनाकर आत्मा का अनुभव कराती है।
जब कोई भी व्यक्ति मोह माया को त्याग कर सांसारिक कार्यों में मुक्त हो जाता है और वैराग्य धारण करके परमात्मा के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करता है तो मनुष्य के मन को जो शांति मिलती है या जिस शांति का अनुभव होता है उसे ही शांत रस कहा जाता है। शांत रस का आशय उदासीनता से होता है।
ज्ञान की प्राप्ति के लिए मनुष्य को सुख-दुख और किसी से द्वेष राग होता है तो ऐसी मनोस्थिति में मन में उठा विभाव, शांत रस कहलाता है। पहले शांत रस को नहीं माना जाता था परंतु बाद में ऋषि और मुनियों ने इस भाव को शांत रस की संज्ञा दी है। शांत रस जब स्थाई होकर विभाव, अनुभव तथा संचारी भाव से संयुक्त होकर रस रूप में परिणित हो जाता है तब शांत रस कहलाता है।
शांत रस साहित्य में प्रसिद्ध नौ रसों में से अंतिम रस माना जाता है, इसका कारण यह है कि भरतमुनि के नाट्य शास्त्र में जो रस विवेचन आदि का स्रोत है, उनमें नाट्य रसों के रूप में केवल 8 रसों का ही वर्णन मिलता है। किसी तत्व ज्ञान की प्राप्ति के लिए संसार से वैराग्य होने पर शांत रस की उत्पत्ति होती है।
उदाहरण
कबहुंक हौं यहां रहनि रहौंगो।
श्री रघुनाथ कृपाल कृपा तें संत सुभाव गहौंगो।
जथालाभ संतोष सदा काहू सों कछु न चहौंगो।
परहित निरत निरंतर, मन क्रम वचन नेम निबहौंगो।
इस पद में तुलसीदास जी ने श्री रघुनाथ की कृपा से संत स्वभाव ग्रहण करने की कामना की है। संसार से पुणे विरक्ति और निर्वेद स्थाई भाव है। राम की भक्ति आलंबन है, साधु संपर्क एवं श्री रघुनाथ की कृपा उद्दीपन है। धैर्य, संतोष तथा अचिंता अनुभाव है। निर्वेद, हर्ष स्मृति आदि संचारी भाव है। इस प्रकार यहां पर शांत रस का पूर्ण स्पष्टीकरण हुआ है।
मोक्ष और अध्यात्म की भावना से जिस रस की उत्पत्ति होती है उसको भी शांत रस का नाम दिया जाता है, शांत रस अन्य रसों की तुलना में अत्यधिक महत्वपूर्ण और सर्वोपरि होता है। कुछ विचारको ने इसी आधार पर कि शांत भावशून्य स्थिति का द्योतक है, उसकी अनभिज्ञता सिद्ध की और उसका खंडन किया जिसका विरोध अभिनव भारती और रसगंगाधर आदि अनेक ग्रंथों में मिलता है।
शांत रस का अवयव
- शांति – यह शांत रस का मुख्य अवयव है जो शांति या मन की शांति की अवस्था को प्रकट करता है।
- स्थिरता – यह अवयव शांत रस की एक महत्वपूर्ण सिफारिश है, जिसे स्थिरता और स्थिरता की अनुभूति के रूप में प्रकट किया जाता है।
- आत्मिकता- इस अवयव से शांत रस की आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है। व्यक्ति को अपने आत्मिकता के संबंध में जागरूक करती हैं।
- मनोभाव – यह अवयव व्यक्ति के मन की भावना और भावनात्मक ता को प्रकट करता है।
- समता -शांत रस के इस अवयव से समता और सभ्यता की अनुभूति होती है।
इन सभी अवयवों के माध्यम से शांत रस का वर्णन और अनुभव किया जाता है । व्यक्ति को आत्मिक शांति तथा मनोभाव संपन्नता और आनंद का अनुभव होता है।
शांत रस के भेद
शांत रस के विभेदन के रूप में निम्नलिखित भेद हो सकते हैं-
- शांत रस में साधारणता-इस प्रकार के भेद में शांत रस एक साधारण और सामान्य अनुभव के रूप में वर्णित होता है। यह मन की शांति और समता के अनुभव को प्रकट करता है।
- अध्यात्मिक शांत रस – इस भेद में शांत रस आध्यात्मिक अनुभवों, आत्मिक उन्नति और आनंद के साथ जुड़ा होता है। इसमें मन की शांति, ध्यान और संतुष्टि तथा आत्मिक समृद्धि का अनुभव होता है।
- सामाजिक शांत रस -इस भेद में शांत रस सामाजिक संबंधों, परिवार, मित्रता, और समुदाय के साथ जुड़ा होता है। यह मन की शांति, सामरिकता और सामुदायिक समृद्धि का अनुभव कराता है।
- व्यक्तिगत शांत रस – इस भेद में शांत रस व्यक्तिगत स्तर पर उपयोग होता है।यह मन की शांति, आत्म प्रेम, स्वास्थ्य और व्यक्तिगत आनंद का अनुभव कराता है।
शांत रस के उदाहरण
एक समुद्र की तरणी और उसकी शांत लहरें जिसे देखकर मन की शांति का अनुभव होता है।
एक चिड़िया जो अपने आवास में निवास करती है और आत्मिक शांति का अनुभव करती हैं।
पुरानी मंदिर की शांति और आध्यात्मिक वातावरण जो व्यक्ति को शांति और आनंद का अनुभव कराती है।
वन में घुसने के बाद व्यक्ति को प्राकृतिक शांति का अनुभव होता है, जहां वह वन की सुंदरता और शांति पूर्णता का आनंद लेता है।
एक योगी जो ध्यान करता है और आत्मिक शांति, मन की स्थिरता और अद्वैत अनुभव करता है।
यह सभी उदाहरण शांत रस की विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। व्यक्ति को मन की शांति और स्थिरता तथा आत्मिक शांति का अनुभव कराता है।
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निष्कर्ष
हमने यहां पर शांत रस की परिभाषा, शांत रस के भेद तथा उदाहरण के बारे में बताया है। यहां पर आपको शांत रस से संबंधित पूरी जानकारी प्राप्त होगी। आशा करते हैं यह लेख आप सभी को पसंद आएगा तथा आप सभी के लिए उपयोगी और महत्वपूर्ण होगा। अगर यह लेख आपके लिए उपयोगी है तो आप इसे अपने दोस्तों को भी शेयर कर दें ताकि उन्हें भी इनके बारे में जानकारी मिल सके।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अमृत यादव है और पेशे से मैं एक ब्लॉगर और लेखक हूं, जो लेख आप अभी पढ़ रहे हैं वह मेरे द्वारा लिखा गया है, मैं अभी बीकॉम फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा हूं।