महिला दिवस पर भाषण | Speech on women’s day in Hindi

महिला दिवस एक अंतरास्ट्रीय दिवस है इसे हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है जिसको महिलाओ के प्रति मनाया जाता है ताकि लोगो को यह ध्यान रहे की महिलाये किसी भी पुरुष से कम नहीं हैं वे कंधे से कन्धा मिला कर भी चल सकते है और पुरषों से बेहतर कार्य भी कर सकती है तो स्पीच शुरू करने से पहले आपको महिला दिवस की हार्दिक सुभकामनाये !

महिला दिवस पर भाषण को शुरू करने से पहले

Speech on women's day in Hindi

कोई भी स्पीच को शुरू करने से पहले आपको इस बात का ध्यान रखना है जब भी आप स्पीच का शुरूआत करेंगे तो आपको इस बात का ध्यान रखना है की आपको मुख्य अतिथि तथा आपके स्पीच को सुन रहे लोगो को आपको आदर करते हुए अपना भाषण शुरू करना है

महिला दिवस पर भाषण – 1

माननीय अतिथि, आदरणीय अध्यापक और मेरा भाषण सुनने वाले सभी महिलाएं आप सभी को मेरी तरफ से महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं।

महिला दिवस हर साल 8 मार्च को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं और पुरुषों में समानता लाने और महिलाओं को उनेक अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

महान विद्वान स्वामी विवेकानंद जी कहते थे, दुनिया के कल्याण के लिए कोई अवसर नहीं है जब तक महिला की स्थिति में सुधार ना हो।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक मजदूर आंदोलन से उपजा है। इसका शुरुआत 1908 में हुआ था, जब 1500 महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में रैली निकालकर नौकरी में कम घंटों की मांग की थी, इसके अलावा उनकी मांग थी उन्हें बेहतर वेतन दिया जाए और मतदान करने का अधिकार भी दिया जाए। 1 साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका इस दिन को पहला राष्ट्र महिला दिवस घोषित कर दिया।

महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय बनाने का आइडिया एक औरत का ही था, क्लारा जेटकिन ने 1910 में कोपनहेगन में कामकाजी औरतों की एक इंटरनेशनल कांफ्रेंस के दौरान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया। उस वक्त कॉन्फ्रेंस में 17 देशों की 100 औरतें मौजूद थीं, उन सभी ने इस सुझाव का समर्थन किया। सबसे पहले साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था। 1975 में महिला दिवस को अधिकारिक मान्यता उस वक्त दी गई थी जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मनाना शुरू किया।

क्लारा जाट की ने महिला दिवस मनाने के लिए कोई तारीख पक्की नहीं की थी, 1917 में युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने ब्रांड एंड पीस की मांग की, महिलाओं की हड़ताल ने वहां के सम्राट निकोलस को पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया, और अंतरिम सरकार ने महिलाओं को मतदान देने का अधिकार दे दिया। उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर प्रयोग होता था, जिस दिन महिलाओं ने यह हड़ताल शुरू की थी वह तारीख 23 फरवरी थी, ग्रेगेरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च था और उसी के बाद से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाने लगा।

कई देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की जाती है, रोज और दूसरे कई देशों में इस दिन के आसपास फूलों की कीमत काफी बढ़ जाती है इस दौरान महिला और पुरुष एक दूसरे को फूल देते हैं। चीन में ज्यादातर दफ्तरों में महिलाओं को आधे दिन की छुट्टी दी जाती है, वहीं अमेरिका में मार्च का महीना “Women History Month” के तौर पर मनाया जाता है।

आप सभी ने मेरा भाषण को सुना उसके लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद् करते हुए मैं अपना भाषण को यही पर विराम देती/देता दूँ

धन्यवाद्  

इन्हें भी पढ़े : –

महिला दिवस पर भाषण – 2

माननीय अतिथिगण, आदरणीय अध्यापक और मेरा भाषण सुनने वाले सभी महिलाएं आप सभी को मेरी तरफ से महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं।

हर वर्ष विश्व भर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, यह दिन महिलाओं के अधिकार के लिए आंदोलन का प्रतीक है और इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य भी महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना है।

पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 1921 में दुनिया भर में एक साथ मनाया गया था।

अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस 15 अक्टूबर 2020 को मनाया गया था, इसका उद्देश्य कृषि विकास, ग्रामीण विकास, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण गरीबों उन्मूलन में महिलाओं के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करना था।

“खुशी की बात है कि आज महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल ही नहीं रही है बल्कि धीरे-धीरे उनसे आगे निकल रही है। फिर भी अभी कई चुनौतियां हैं जो उनके कदमों को रोकने का काम कर रहे हैं, जो किसी एक देश के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई सारे देशों में चिंता का विषय बनी हुई है।

वैसे तो हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी काबिलियत, हुनर और मजबूत इच्छाशक्ति से उस हर चुनौती को चकनाचूर कर दिया है जो उनकी तरक्की में बाधा पहुंचाने का काम करतीं हैं। लेकिन अब भी कई चुनौतियां ऐसी है जिनसे वह आज भी जूझ रही है जैसे शिक्षा ना मिल पाना, आजादी के 74 साल बाद भी देश में एक बड़ी संख्या में लड़कियां और बच्चियां अपनी शिक्षा को पूरा नहीं कर पाते हैं।

गरीबी या परिवारिक समस्या की वजह से छोटी उम्र में ही स्कूल छोड़ने को मजबूर होते हैं, अशिक्षित होने की वजह अधिकांश महिलाएं अपने जीवन स्तर में सुधार करने में खुद को असमर्थ महसूस करती हैं।

वैसे तो हमारे संविधान में पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार दिए हैं, लेकिन आज भी जीवन के हर क्षेत्र में लड़कियों और महिलाओं को घर से लेकर कार्य क्षेत्र में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

आजादी के 74 साल बाद भी देश के कई हिस्सों में आज भी महिलाओं के लिए रूढ़िवादी सोच कायम है। महिलाओं ने पुरुषों से संबंधित खेलो-कुश्ती, बॉक्सिंग, वेटलिफ्टिंग, कबड्डी, क्रिकेट, तथा कार्यक्षेत्र-फाइटर पायलट, रेल, ऑटो, कैब ड्राइवर, में अपने कदम रखें और सफलता भी पाई है, लेकिन फिर भी आज भी महिलाओं को इन कार्यों को करने से पहले परिवार और समाज की नाराजगी का सामना करना पड़ता है।

जहां बेटियों को देवी, दुर्गा ,लक्ष्मी का रूप माना गया है, वही आज के दौर में महिलाएं ही नहीं छोटी छोटी बच्चियां के साथ दुर्वेव्हार , हत्या, किडनैपिंग और तस्करी जैसे गंभीर अपराध का शिकार हो रही है, तो वही महिलाओं के खिलाफ एसिड अटैक, दुष्कर्म, घरेलू हिंसा जैसे मामले ने महिलाओं के लिए देश को एक असुरक्षित स्थान बना दिया है, लेकिन अगर पुरुष और समाज महिलाओं के प्रति अपनी मानसिकता में बदलाव लाएं और कानूनों का सख्ती से पालन किया जाए, तो देश में बढ़ते अपराधों पर रोक लगाई जा सकती हैं।

आप सभी ने मेरा भाषण को सुना उसके लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद् करते हुए मैं अपना भाषण को यही पर विराम देती/देता दूँ

धन्यवाद्  

महिला दिवस पर भाषण – 3

माननीय अतिथि, आदरणीय अध्यापक और मेरा भाषण सुनने वाले सभी महिलाएं आप सभी को मेरी तरफ से महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं।

महिला दिवस हर साल 8 मार्च को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं और पुरुषों को एक सामान बनाने के लिए मनाया जाता है, आपको बता दें हमारे देश में लक्ष्मी जैसी कई ऐसी अदम्य साहस वाली महिलाएं हैं जो एसिड अटैक को जलने के बाद भी एक आम जिंदगी जीना पसंद करती है और अन्य के लिए एक रोल मॉडल बनी है। इन सभी भयानक परिस्थितियों और हालातों से संघर्ष करते हुए नारी ने जो साहस का परिचय दिया है, वह आश्चर्यजनक है। आज नारी की भागीदारी के बिना कोई भी काम पूर्ण नहीं माना जा रहा है, आज की महिला हर मामले में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र है, और पुरुषों के बराबर सब कुछ करने में सक्षम भी है।

हमें महिलाओं का सम्मान जेंडर के कारण नहीं, बल्कि उसकी स्वयं की पहचान के लिए करना होगा। हमें यह स्वीकार करना होगा कि घर और समाज की अच्छाई के लिए पुरुष और महिला दोनों समान रूप से योगदान करते हैं। हर महिला पुरुषों से भी विशेष होती है खुद मौत के दरवाजे पर जाकर एक नन्हीं सी जान को जन्म देती है। वह अपने आसपास की दुनिया में बदलाव ला रही है,

और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों की परवरिश और घर को स्वर्ग बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस महिला की सराहना करें और उसका सम्मान करें।

“यात्रा नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता”, अर्थात जहां नारियों की पूजा की जाती है, वहां देवता निवास करते हैं।

वास्तव में स्त्रियां जन्म से अबला नहीं होती, उन्हें अबला बनाया जाता है। जन्म के समय एक ‘स्त्री शिशु ‘ के जीवन शक्ति का एक पुरुष शिशु’की अपेक्षा अधिक प्रबल होती है, लेकिन समाज अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों एवं जीवन मूल्यों के द्वारा महिलाओं को सबला से अबला बनाता है।

ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि हमें महिलाओं का सशक्तिकरण करने के लिए उन्हें एहसास दिलाना होगा , उनमें अपारशक्ति है, उनको अपनी आंतरिक शक्ति को जगाना होगा। क्योंकि जिस प्रकार एक पक्षी के लिए केवल एक पंख के सहारे उड़ना संभव नहीं है, वैसे ही राष्ट्र की प्रगति केवल पुरुषों के सहारे नहीं हो सकता है।

किसी जमाने में अबला समझी जाने वाली नारी को मात्र भोग एवं संतान उत्पति का जरिया समझा जाता था, जिन औरतों को घरेलू कार्यों में समय दिया गया था, वह अपनी चारदीवारी को तोड़कर बाहर निकली है और अपना दायित्व स्फूर्ति से निभाते हुए सबको हैरान कर दिया है।

21वी सदी नारी के जीवन में सुखद संभावनाएं लेकर आई है, नारी अपनी शक्ति को पहचानने लगी है, वह अपने अधिकारों के प्रति जागृत हुई है, लेकिन यहां हम कटु सत्य में मुंह नहीं मोड़ सकते हैं, महिलाओं को आज भी पुरुषों की अपेक्षा में कम आका जाता है। आज भी उसे अबला समझा जाता है। महिला दिवस तो तब सफल होगा जब महिला और पुरुष को बराबर सम्मान दिया जाएगा।

मै आशा करता हूँ की आप आज से महिला एवं पुरुष को एक सामान मानेंगे और दोनों को बराबरी का दर्ज़ा देंगे तो मै अपने इस भाषण को यही विराम देता हूँ धन्यवाद्

Leave a Comment